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Sunday, August 17, 2025

लेखक एवं पत्रकार मित्र आकाश माथुर सम्मानित

Received from Neelima Sharma on 17th August 2025 at 11:11 Regarding Writer Akash Mathur

“मुझे सूरज चाहिए" के लिए रामदरश मिश्र न्यास के रामदरश मिश्र शताब्दी सम्मान से  किया गया

नई दिल्ली: 17 दिसंबर 2025: (नीलिमा शर्मा//हिंदी स्क्रीन)::

लेखक एवं पत्रकार, मित्र आकाश माथुर जी को हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में उनके शानदार उपन्यास “मुझे सूरज चाहिए" के लिए रामदरश मिश्र न्यास के रामदरश मिश्र शताब्दी सम्मान से  किया गया। 

साथ ही, मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रतिष्ठित वागीश्वरी पुरस्कार-2025 के लिए निर्णायक मंडल ने उनके उपन्यास उमेदा-एक योद्धा नर्तकी को चुना है।

इस अवसर पर आकाश जी को ढेर सारी शुभकामनाएँ एवं बधाई। हम परम पिता परमेश्वर से आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। आमतौर पर जो सम्मान एक लेखक को बड़ी उम्र में मिलते हैं, वे आपको युवावस्था में ही मिल रहे हैं, जो दर्शाता है कि आप माँ सरस्वती के कितने चहेते पुत्र हैं। हमें विश्वास है कि आप इसी तरह उम्दा कहानियाँ और रोमांचक उपन्यास लिखते रहेंगे और अपने शहर व परिवार का नाम रोशन करते रहेंगे।

Friday, January 24, 2025

पुस्तक मेले में भेंट हो सकेगी वाणी प्रकाशन से भी

Vani Prakashan 23rd January 2025 at 5:46 PM World Book Fair Input and Edited by Kartika Kalyani Singh

करीब 85 नयी पुस्तकों के साथ 12,000+ उत्कृष्ट कृतियाँ मिल सकेंगी


मोहाली: 24 जनवरी 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

शब्दों में शक्ति होती है। शब्दों से चमत्कार जैसे अनुभव संभव हैं। जब तन मिट जाता है तो उस समय सब कुछ रख होने के बाद भी शब्द ही हमें ज़ाद दिलाते हैं की फलां फलां कलमकार कैसा था और उसने दुनिया बदलने के लिए कितना सोचा और आम लोगों के सामने नई तब्दीलियों का ब्लू प्रिंट रख दिया। ज़ेह रोड मैप की तरह सदियों तक समाज को रह दिखता है। ऐसी शक्तियों वाले शब्दों को सहेजने के लिए लेखक, प्रकाशक और पुस्तक मेले बहुत ही अमूल्य योगदान दे रहे हैं। ऐसा ही एक पुस्तक मेला दिल्ली में भी लग रहा है पहली फरवरी को। 

पिछले कुछ दशकों में पुस्तकों की लोकप्रियता को बरकरार रखने में पुस्तक मेलों का विशेष योगदान रहा है। विभिन्न पुस्तक मेलों ने पुस्तक कल्चर को प्रशंसनीय बढ़ावा दिया है। पुस्तकों को घर घर पहुँचाने में एक क्रान्ति घरेलू लाइब्रेरी योजना भी लेकर आई थी। आजकल के दौर में जब पुस्तकों के अस्तित्व को खतरा सा महसूस  उस समय पुस्तक मेले इस अस्तित्व को मज़बूत करने में जुटे हुए हैं। वाणी प्रकाशन  इस संबंध में बहुत अच्छी खबरें लाए हैं। 

खुशखबरी यह है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी वाणी प्रकाशन ग्रुप विश्व पुस्तक मेला 2025 में नयी किताबों के साथ आपका स्वागत करने के लिए तत्पर है। हम, वाणी प्रकाशन (हॉल नम्बर 2-3, स्टॉल नम्बर N-03), यात्रा बुक्स और भारतीय ज्ञानपीठ की पुस्तकों के स्टॉल (हॉल नम्बर 2-3, स्टॉल नम्बर P-05) पर आपसे 1-9 फ़रवरी 2025 तक, सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक मिलेंगे। आपका साहित्य घर आपकी प्रतीक्षा करेगा। और आप जानते ही हैं कि साहित्य से सबंधित प्रतीक्षा किस्मत वालों के हिस्से में न ही आते है। 

आधुनिक तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाते हुए आज के डिजिटल युग में किताबों के हर रूप — मुद्रित, ई-पुस्तक या ऑडियो बुक—हम हर माध्यम से अपने पाठकों के समीप पहुँचने के लिए उत्सुक हैं।


आगामी पुस्तक मेले में लगभग 85 नयी पुस्तकों के साथ 12,000+ कालजयी साहित्य, जिसमें कविता, कहानी, उपन्यास, शायरी, कथा साहित्य, बाल साहित्य व अनुवाद की उत्कृष्ट कृतियाँ आपकी प्रतीक्षा में रहेंगी।


वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ और यात्रा बुक्स की गौरवमयी परम्परा के अंतर्गत प्रकाशन, साहित्य व लेखकों को समर्पित है। 


इस मेले में साहित्य की नज़दीकियों का आनंद लेने के इच्छुक कलमकारों और  साहित्य स्नेहियों से निवेदन है कि अपनी सम्भावित आगमन तिथि के बारे में वाणी प्रकाशन को अग्रिम तौर पर अवश्य सूचित करें, ताकि इस संबंध में नेशनल बुक ट्रस्ट को सूचना दी जा सके और आपका हार्दिक स्वागत भी प्रेम के साथ किया जा सके। 


यदि आप इस संबंध में अग्रिम सूचना दे सकें साहित्यिक पत्रकारिता से जुड़े लोगों को भी आपसे संपर्क में आसानी रहेगी। 

Thursday, August 17, 2023

विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन

 प्रविष्टि तिथि: 17 AUG 2023 6:48 PM by PIB Delhi

आयोजन हुआ दि अशोक होटल, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में संपन्‍न


नई दिल्ली
: 17 अगस्त 2023: (पीआईबी//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों ने भाषा और साहित्य के विकास में निरंतर सहयोग दिया है। तकरीबन तकरीबन हर विभाग में ऐसे कक्ष या टीम का गठन रहता ही है। इस रूचि से सबंधित लोग अक्सर भाषा और साहित्य से जुड़े आयोजनों में भाग भी लेते हैं। 

विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह की अध्‍यक्षता में दिनांक 17 अगस्त, 2023 को दि अशोक होटल, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में संपन्‍न हुई। बैठक में विद्युत मंत्रालय के विशेष सचिव एवं वित्‍तीय सलाहकार एवं मंत्रालय के अन्‍य अधिकारीगण उपस्थित थे। विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति में संसद सदस्य, अपने विषय के विशेषज्ञ गैर-सरकारी सदस्य तथा विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हैं।

बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने कहा कि राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्रीय एकता के लिए एक राष्ट्रभाषा का होना अति आवश्यक है जिसमें हिंदी पहले से ही अपनी भूमिका निभा रही है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए आपसी संवाद की आवश्यकता पर भी बल दिया। श्री आर.के. सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत काल में हम सभी ने संपन्‍न भारत का संकल्‍प लिया है। राष्‍ट्र निर्माण में उसकी भाषा की संपन्‍नता भी निहित है इसलिए हमें अपनी राजभाषा हिंदी को भी जन-जन की भाषा बनाते हुए संपन्‍न बनाना है।

बैठक में माननीय सदस्यों द्वारा बैठकों का नियमित आयोजन, पत्रिकाओं का नियमित प्रकाशन, हिंदी पुस्तकों की खरीद तथा पुस्तकों की पठनीयता बढ़ाना, शीर्षस्थ स्तर पर मूल रूप से हिंदी में कार्य करना आदि बहुमूल्य सुझाव दिए गए। तदुपरांत, बैठक के लिए राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देते हुए प्रशंसनीय कार्य करने के लिए वर्ष 2021-22 तथा वर्ष 2022-23 हेतु विभिन्न सीपीएसयूज़ को एनटीपीसी राजभाषा शील्ड से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री आर.के. सिंह के कर कमलों द्वारा विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित की जाने वाली पत्रिकाओं का विमोचन किया गया।

माननीय मंत्री जी को औपचारिक धन्यवाद के साथ ही यह बैठक समाप्त हुई। कितना अच्छा हो अगर इस तरह के आयोजन करते समय भाषा और साहित्य से जुड़े उन लोगों को भी विशेष तौर पर निमंत्रित किया  जाए जिनकी न तो इन विभागों में कोई पहुंच होती है और न ही उनकी आर्थिक दशा अच्छी होती है। 

***PIB//PIB DELHI | DJM (रिलीज़ आईडी: 1949955) 


Wednesday, January 25, 2023

अंतस् की 42 वीं गोष्ठी//दो काव्य-पुस्तकों का विमोचन

Wednesday 25th January 2023 at 01:02 PM

'अभी तो सागर शेष है..' और मन की गली (पार्ट 2) लोकार्पित हुए 


नई दिल्ली
: 21 जनवरी 2023: (
हिंदी स्क्रीन ब्यूरो):: 

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव काल में तथा गणतंत्र दिवस और वसंत उत्सव के माहौल में आयोजित अंतस् की 42 वीं गोष्ठी काव्य के विभिन्न रसों और विधाओं में उत्कृष्ट, मनहर अभिव्यक्तियों से आच्छादित रही।

इस गोष्ठी की अध्यक्षता की डॉ आदेश त्यागी ने। आर डब्ल्यू ए, विवेक विहार, दिल्ली के प्रधान श्री आनंद गोयल  के सान्निध्य में उन्ही के निवास स्थान पर आयोजित इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्री देवेंद्र गिरी (प्रधान ए ब्लॉक) अति विशिष्ट अतिथि श्री शिव कुमार गुप्ता (प्रधान, बाला जी मंदिर) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से ऊर्जा प्रदान की।

बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ तारा गुप्ता ने शिरकत की।

अनुशासित एवं रोचक संचालन  पूनम माटिया का रहा।

श्रीमती अंशु जैन और श्रीमती सुनीता अग्रवाल के श्रेष्ठ संयोजन में आयोजित इस नवरस गोष्ठी में वागीश्वरी के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत वाणी-वंदना अपने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की डॉ ममता वार्ष्णेय ने।

स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह ने।

श्रेष्ठ काव्य प्रस्तुत किया डॉ आदेश त्यागी, डॉ तारा गुप्ता, डॉ ममता वार्ष्णेय, डॉ पूनम माटिया, श्री सत्येंद्र जैन सरस, श्री रजनीश त्यागी राज, डॉ नीलम वर्मा, श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह, श्री विनयशील चतुर्वेदी, श्री सुरेशपाल वर्मा जसाला और श्रीमती अनुपमा पांडेय भारतीय ने।

काव्य पाठ की सरस धारा के अतिरिक्त इस गोष्ठी की विशेषता रहा दो काव्य-पुस्तकों का मंचासीन द्वारा विमोचन।

पूनम माटिया कृत 'अभी तो सागर शेष है..' द्वितीय परिष्कृत संस्करण

 तथा 

श्रीमती सुनीता अग्रवाल द्वारा लिखित -मन की गली(पार्ट 2) लोकार्पित हुए।

विशेष उद्बोधनों के क्रम में    मंचासीन अतिथियों द्वारा सभा को संबोधित किया गया तथा श्रीमती पूजा गोयल ने रोचक कविता का  पाठ किया।

सुधि और सहृदय श्रोताओं के रूप में उपस्थित अनेक गणमान्य व्यक्तियों में  श्री नरेश माटिया, श्री निर्मल जैन, श्रीमती पूजा गोयल, श्रीमती राजरानी गुप्ता, श्रीमती ऋतु भाटिया, श्री मनोज शर्मा, श्रीमती सुमन राजदान और श्रीमती बिमला शर्मा शामिल रहे।

अंत में औपचारिक रूप से सभी को श्रीमती अंशु जैन ने सभी की उपस्थिति और काव्यात्मक समिधा हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।

जन-गण-मन के सामूहिक गान के बाद स्वादिष्ट जलपान का सभी ने आनंद लिया। श्री आनंद गोयल जी के नवजात पौत्र की ख़ुशी में ग़ज़ब रसगुल्लों के साथ समाप्त हुई यह अविस्मरणीय गोष्ठी।

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Friday, December 11, 2020

किसान आंदोलन ने उत्साहित किया है संघर्षों के साहित्य सृजन को

 पढिए डा.चित्रलेखा की नयी काव्य रचना 

इस तस्वीर को क्लिक किया है हमेशां से ही सत्य  के साथ खड़ी होने वाली डा. जगदीश  कौर ने 

डाॅoचित्रलेखा

धरती है बिछौना

 रजाई आसमान

 खाएं रोटी-दाल

 हम हैं किसान।

 नए कानून से थोड़ा 

 हम-सब हैं हलकान

 पूंजीपति से मुक्त करो

 हम मेहनतकश इंसान। 

 काहे को झगड़ा-रगड़ा

 ओ हमारे हुक्मरान

 मान लो हमर बतिया

 दे दो ना जीवनदान।

 नंगे ही आए धरा पर

 नंगे ही श्मशान/कब्रिस्तान

 जीने को सिर्फ़ चाहिए

 रोटी,कपड़ा और मकान।

 इस देश का नारा है

 जय जवान, जय किसान

 गूंजता रहेगा ये सदा

 जब तक है हिंदुस्तान।

 पंछी के कलरव से पहले

 कृषकों का होता विहान

 जब तक थमी रहेगी सांस

 होगा नहीं अवसान।

Chitralekha Yadav Madhepura अर्थात डाॅoचित्रलेखा ने फेसबुक के "विश्व हिंदी संस्थान" नामक ग्रुप में  पोस्ट किया। हम इसे यहां 7 दिसंबर 2020 की रात्रि 08:09 बजे पोस्ट किया साभार प्रकाशित कर रहे हैं। 

Wednesday, January 8, 2020

विश्व पुस्तक मेले से लौटकर कविता वर्मा की विशेष रिपोर्ट

Tuesday: 8th January 2020 at 3:44 PM
यह पुस्तक मेला गांधी जी को समर्पित है
नई दिल्ली: 7 जनवरी 2020: (कविता वर्मा//हिंदी स्क्रीन)::
दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले का इंतजार पुस्तक प्रेमियों लेखकों और प्रकाशकों को साल भर रहता है। अभी कुछ वर्षों से यह जनवरी के प्रथम शनिवार से दूसरे रविवार तक लगने लगा है। हालांकि इस समय दिल्ली कड़ाके की ठंड और कोहरे की गिरफ्त में होती है और दूरदराज के प्रदेशों से आने वाले पुस्तक प्रेमियों लेखकों को ट्रेन बस या फ्लाइट की लेटलतीफी या निरस्त होने की आशंका से जूझना पड़ता है। लेकिन फिर भी उनका उत्साह कम नहीं होता।  
 यह पुस्तक मेला एक ही छत के नीचे लेखकों के आपसी मेलजोल पुस्तक विमोचन अपने प्रिय लेखक से मिलने और कुछ चर्चा परिचर्चा का अवसर देता है। लगभग हर दिन विभिन्न प्रकाशकों के स्टॉल पर बड़ी संख्या में पुस्तक विमोचन होता है। इस स्टॉल से उस स्टाॅल तक रेलम पेल लगी रहती है। लेखक खुद अपने दोस्तों परिचितों को याद दिला दिला कर स्टॉल तक खींच लाते हैं वहां जो भी वरिष्ठ साहित्यकार उपस्थित होते हैं उन्हीं के हाथों विमोचन करवाया जाता है। 
कुछ  बड़े या कहें लोकप्रिय प्रकाशक जिनके यहां से बहुत पुस्तकों का प्रकाशन होता है वह कुछ मीडिया फोटोग्राफर या वीडियो ग्राफर को भी बुलाते हैं और फिर बकायदा कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग होती है। लेखक और वरिष्ठों की बाइट ली जाती है जिसे सोशल मीडिया पर प्रसारित करके पुस्तक की पब्लिसिटी की जाती है। 
दरअसल पुस्तक मेले में पुस्तक विमोचन लोगों का जमावड़ा फोटो वीडियो आदि का  समस्त तामझाम सोशल मीडिया या अपने अपने यूट्यूब चैनल पर पुस्तक के प्रचार-प्रसार के लिए ही होता है। इसमें न लेखक को अलग से खूब इंतजाम करना होते हैं और न प्रकाशक को कोई खर्च। अब इस सब में कुछ मित्र गण मन से कुछ रिश्तो की खातिर तो कुछ शर्मा शर्मी में कुछ किताबें खरीद लेते हैं। कुछ वहीं के वहीं गिफ्ट भी कर दी जाती हैं समीक्षा की उम्मीद में। वरिष्ठ भी इस बात से खुश होते हैं कि पुस्तक मेले में झोले भरकर किताबें मिलीं। बहरहाल किताबें लिखी जा रही हैं प्रकाशित हो रही हैं और उसकी सूचना प्रसारित हो रही है यह जरूरी है और पुस्तक मेला यह कार्य बखूबी कर रहा है। लगभग सभी हिंदी भाषी प्रदेशों के लेखक और प्रकाशक सूचनाओं के आदान-प्रदान में लगे हैं। 
इस वर्ष देश गांधी जी का डेढ़ सौ वाँ जन्म वर्ष मना रहा है और यह पुस्तक मेला गांधी जी को समर्पित है। पुस्तक मेले के बैनर पोस्टर पर गांधी जी की तस्वीर और डेढ़ सौ का शून्य उनका चरखा इस शून्य होती संवेदना के युग में नया वितान रचता है। इस चरखे से बना सूत गांधी जी के हाथों में बड़ा संदेश देते हैं । 
पुस्तक मेला हर वर्ष हॉल 12 ए में  लगता है इस बार इसका आकार काफी बड़ा है। जहाँ हिंदी इंग्लिश के साथ अन्य भाषाओं की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। हॉल 12 ए में प्रवेश के साथ ही योग खानपान आचार व्यवहार  प्रेरणादायक कहानियों की पुस्तकों के स्टॉल हैं जहाँ सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। वहीं बच्चों के लिए बाल कहानी कविता खिलौने वर्क बुक भी बहुतायत में उपलब्ध हैं। बच्चों के लिए आजकल खूब साहित्य लिखा जा रहा है और कई बड़े साहित्यकार बच्चों के लिए लिख रहे हैं। बाल साहित्य की रंग बिरंगी मोटे चिकने पृष्ठों की मोटी मोटी किताबें भी साहित्य के प्रकाशन से छप रही हैं। हालांकि अभी इस बाल साहित्य का आकलन होना बाकी है। नेशनल बुक ट्रस्ट बाल साहित्य पर अच्छा काम कर रहा है लेकिन साहित्य की अन्य विधाओं की तरह ही इस पर किसी तरह का पैमाना नहीं है। मोटे चिकने रंग-बिरंगे पृष्ठों में किताबों की कीमत भी बढ़ा दी है जिससे वह एक वर्ग विशेष की पहुंच तक रह गई हैं और वह वर्ग विशेष शायद पुस्तकों में रुचि ही नहीं रखता। प्रकाशक लेखक अगर दिखने की सुंदरता के मोह से बाहर आएं और पेपर बैक में सामान्य रेखा चित्रों के साथ बाल साहित्य की पुस्तकों को प्रकाशित करें तो इनकी पहुंच सही हाथों तक हो सकती है। 
पुस्तक मेले में बड़े नामी और पुराने प्रकाशकों के यहाँ भारी भीड़ देखी जाती है और यह भी रिसर्च पुस्तकों के लिए ज्यादा उमड़ती है। हिंदी साहित्य में रिसर्च संबंधित वरिष्ठ साहित्यकारों नामवर सिंह धर्मवीर भारती कमलेश्वर की पुस्तकें यहां पेपर बैक में उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं। यहाँ प्रकाशक किसी सेलिब्रिटी की बायोग्राफी या अन्य पुस्तकों पर उनके हस्ताक्षर सहित पुस्तक का प्रलोभन देकर अच्छी कमाई करते हैं। 
मेले के बीचो बीच एक मंच पर चर्चा परिचर्चा विमोचन साक्षात्कार के कार्यक्रम लगातार चलते हैं। लगभग पचास लोगों की बैठक व्यवस्था के साथ आधे से एक घंटे के टाइम स्लॉट में अलग-अलग कार्यक्रम होते रहते हैं जिन्हें कोई भी अपनी रूचि के अनुसार देख सुन सकता है। इसी मंच पर  मशहूर एक्टर  प्रेम चोपड़ा की बायोग्राफी के हिंदी अनुवाद का विमोचन का कार्यक्रम भी हुआ यश पब्लिकेशन से आए इस अनुवाद को किया श्रुति अग्रवाल ने और इंग्लिश में बायोग्राफी लिखी है स्वयं प्रेम प्रेम चोपड़ा की बेटी ने।
 हर वर्ष कार्यक्रमों की संख्या बढ़ती जा रही है इसलिए एक अन्य हॉल में भी सेमिनार हॉल उपलब्ध है इस हाल में इंग्लिश और अन्य भाषाओं की पुस्तकों के स्टॉल भी हैं। 
हार्ड कॉपी में प्रकाशित पुस्तकों का अपना महत्व है लेकिन आज का युवा डिजिटल हो गया है और सोशल मीडिया के प्रचार-प्रसार के बाद अगला दौर डिजिटल साहित्य का है। आज कई वेब पोर्टल ईमैग्जीन चलताऊ से लेकर अच्छा सार्थक साहित्य उपलब्ध करवा रहे हैं। इन्हीं में एक मातृ भारती पोर्टल ने तो बकायदा लेखकों को प्रकाशन पूर्व मानदेय देना भी प्रारंभ किया है। आज इस वेब पोर्टल पर हजारों कहानियाँ कविताएँ लघुकथाएँ और उपन्यास उपलब्ध हैं। जो संपादन टीम की नजरों से गुजर कर इस वेब पोर्टल पर पहुंचते हैं और डाउनलोड के आधार पर अपने पाठकों की संख्या की जानकारी भी लोगों तक पहुंचा रहे हैं। 
 युवा वर्ग इस डिजिटल माध्यम से ही भारतीय साहित्य तक पहुंच रहा है अन्यथा वह देशी विदेशी इंग्लिश या अनुवादित पुस्तकों तक सीमित है। अगर कहा जाए कि ये वेबपोर्टल  युवाओं को भारत से जोड़ रहे हैं तो गलत नहीं होगा। 
कुल मिलाकर विश्व पुस्तक मेला साहित्य का बड़ा समागम है इसका आकर्षण ही इसकी सार्थकता है। यहाँ आया हर लेखक प्रकाशक पाठक समीक्षक आलोचक और युवा यहाँ से कुछ लेकर ही जाता है चाहे वे किताबें हो मिलने जुलने की संतुष्टि हो या अच्छी यादें।          --कविता वर्मा

नीलिमा शर्मा की काव्य रचना सफेद कुरता सीधा दिल में उतरती है

इसके बाद कौंधती हैं दिमाग में यादों की बिजलियां 
अब तुम कही भी नही हो
कही भी नही
ना मेरी यादो में
न मेरी बातो में
अब मैं मसरूफ रहती हूँ
दाल के कंकड़ चुन'ने में
शर्ट के दाग धोने में
क्यारी में टमाटर बोने में
एक पल भी मेरा
कभी खाली नही होता
जो तुझे याद करूँ
या तुझे महसूस करू
मैंने छोड़ दिए
नावेल पढने
मैंने छोड़ दिए है
किस्से गढ़ने
अब मुझे याद रहता हैं बस
सुबह का अलार्म लगाना
मुंह अँधेरे उठ चाय बनाना
और सबके सो जाने पर
उनको चादर ओढ़ाना
आज तुमको यह कहने की
क्यों जरुरत आन पढ़ी हैं
सामने आज मेरी पुरानी
अलमारी खुली पड़ी हैं
किस्से दबे हुए हैं जिस में
कहानिया बिखरी सी
और उस पर मुह चिडाता
तेरा उतारा सफ़ेद कुरता भी
नही नही !! अब कही भी नही हो
न मेरी यादो में न मेरी बातो में
फिर भी अक्सर मुझको सपने में
यह कुरता क्यों दिखाई देता हैं...... --नीलिमा शर्मा 
नीलिमा शर्मा के ब्लॉग में उनकी यह काव्य रचना "सफेद कुरता" एक यादगारी प्रभाव छोडती है। सीधा दिल में उतरती है और फिर दिमाग में किसी बिजली की तरह कौंधने लगती है। उन अहसासों की अनुभूति कराती है जब हम बहुत कुछ भूलना चाहते हैं।  खुद को इधर उधर व्यस्त करते हैं लेकिन फिर भी खुद बेबस सा पाते हैं। जल्द ही यूं लगता है जैसे हार रहे हैं।  कभी कभी तो हारने का मन भी होता है।  लेकिन दिल की बातें न समाज सुनता है न ही दिमाग। उस उधेड़बुन के अहसास को महसूस करना, पकड़ पाना पाना या शब्दों में बांध पाना आसान कहां? इसके बावजूद  इसे बहुत ही सादगी और खूबसूरती से प्रस्तुत किया है नीलिमा शर्मा ने सफेद कुरता नाम की अपनी काव्य रचना में। 
कभी जानमाने शायर अहमद फ़राज़ साहिब ने कहा था न--
पहले पहले का इश्क अभी याद है फ़राज़!
दिल खुद यह चाहता था कि रुसवाईयां भी हों! इसके साथ ही उनका एक और शेयर याद आता है---
वो मुझ से बिछड़ कर खुश है तो उसे खुश रहने दो “फ़राज़ “
मुझ से मिल कर उस का उदास होना मुझे अच्छा नहीं लगता…
मोहब्बत में कैसे कैसे उतराव चढ़ाव आते हैं, कैसे कैसे ख्याल  हैं उनको पकड़ पाना या याद रख पाना आसान नहीं होता। ज़िंदगी के फ़र्ज़ों और ज़िम्मेदारियों का गहन अंधेरा और उस अंधेरे में कौंध जाना यादों की बिजलियों का।  जैसे बिजली का कौंध जाना बरसात के मौसम में किसी कठिन पहाड़ी रास्ते में पल भर में रास्ता दिखा जाता है बस उसी तरह यादों का अहसास ज़िंदगी में भी मार्गदर्शन करता है। उस अहसास को महसूस करना भी आसान नहीं होता जिसे पकड़ने में सफलता पाई है नीलिमा शर्मा जी ने। इस सफल रचना के लिए एक बार फिर से बधाई। --रेक्टर कथूरिया 

Wednesday, March 23, 2016

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच एवं विश्व हिंदी संस्थान का विशेष आयोजन

दिल्ली में किया गया काव्य संध्या का आयोजन
नई दिल्ली: "'युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच''एवं विश्व हिंदी संस्थान कनाडा के तत्वावधान में रेलवे अधिकारी क्लब, राजीव चौक, नई दिल्ली में होली के उपलक्ष में "काव्य संध्या" एवं साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया,जिसमें मुख्य अतिथि मोहतरम उस्ताद शायर राजेंद्र नाथ "रहबर" एवं अति विशिष्ठ अतिथि ओमप्रकाश प्रजापति (संपादक ट्रू-मीडिया) रहे ! कार्यक्रम की अध्यक्षता कनाडा से आए अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्यकार प्रो. सरन घई ने की ! ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष सभी गण्यमान अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर माँ शारदे की आराधना की ! एवं सरवती वंदना कवियत्री मिलन सिंह ने अपने मधुर कंठ द्वारा की !
इस अवसर पर ''युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच'' के अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय एवं महासचिव ओम प्रकाश शुक्ल ने प्रो ,सरन घई,शायर राजेंद्र नाथ "रहबर" एवं ,ट्रू मीडिया के संपादक- ओम प्रकाश प्रजापति (अतिविशिष्ट अतिथि) को शौल एवं पुष्पहार पहनाकर सम्मानित किया,सभी कवियों ने अपना शानदार काव्य पाठ किया एवं एक दुसरे से फूलों की होली खेली !
इस मौके पर मशहूर शायर श्याम नंदा "नूर"(संरक्षक ,युवा उत्कर्ष ),त्रिभुवन कौल (उपाध्यक्ष ,युवा उत्कर्ष )अकेला इलाहाबादी,जगदीश भारद्वाज ,प्रदीप शर्मा ,निर्देश शर्मा ,संजय कुमार गिरि ,लाल बिहारी लाल (साहित्यिक संपादक -हमारा मैट्रो )कवियत्री हेमलता ,शायर अली खान ,विवेक शर्मा "आस्तिक" चंद्रकांता सिवाल ,चंचलेश साक्या आदि , 
मंच का संचालन स्वेताभ पाठक ने अपने लाजबाब अंदाज़ में किया !अंत में मंच के अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय ने सभी अतिथियों एवं कवियों का आभार व्यक्त किया।     ---संजय कुमार गिरि 

Sunday, August 11, 2013

उद्देश्य:भारतीय भाषाओं की उपयोगिता एवं आवश्यकताओं को रेखांकित करना

Sun, Aug 11, 2013 at 4:09 PM
नई दिल्ली मे हुआ दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
नई दिल्ली: 11 अगस्त 2013 (राजीव गुप्ता*) विधि शिक्षा और न्याय क्षेत्र में भारतीय भाषाओं की उपयोगिता एवं आवश्यकताओं को रेखांकित करने के उद्देश्य से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास एवं अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद ने नई दिल्ली मे दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया.  पहले दिन के इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वी. एस. सिरपुरकर ने कहा कि देश मे भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन मिलना चाहिये. उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों को भी एक – दूसरे की भाषा का न केवल सम्मान करना चाहिये अपितु उसे अंगीकार भी करना चाहिये. इसी तरह संस्कृत भाषी कवियों व लेखकों को अपनी बात सरल भाषा में ही व्यक्त करना चाहिये. दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और प्रतियोगिता आयोग के सदस्य एस.एन. धींगरा ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थिति में भाषा को यदि व्यवसाय और रोजगार से जोड दिया जाय तो भाषा का विकास और इसकी उपयोगिता नि:सन्देह संभव है.   अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता डी. भरत कुमार ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक का यह मौलिक अधिकार है कि वह अपना वाद और बहस अपनी मातृभाषा में करे. अपनी भाषा में न्याय की गुहार लगाना अनुच्छेद 19 का ही भाग है, जो प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है. दूसरे दिन के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और भारत सरकार के पूर्व सचिव बृज किशोर शर्मा ने कहा कि हिन्दी भारत की राष्ट्र्भाषा है और इसमें किसी भी प्रकार कभी भी कोई मतांतर नही रहा. जो मतांतर रहा वह केवल अंको के प्रयोग को लेकर रहा और कालंतर में निर्णय द्वारा आंग्ल लिपि के अंतर्राष्ट्रीय मानको को स्वीकृत किया गया और वही अनुच्छेद 343 में स्थान पाया. किसी भी अधिनियम के राजभाषा में अनुवाद को अधिकृत अधिनियम मानने हेतु संसद में 1972 में ही अधिनियम पारित कर दिया था, तभी से अधिकृत अनुवाद किसी भी राज्य की राजभाषा में सन्दर्भ हेतु प्रयोग किये जा सकते है. राजभाषा में विधि – पुस्तकों के हेतु उन्होनें कहा कि दंड प्रक्रिया, सिविल प्रक्रिया, संपत्ति हस्तांतरण आदि की पुस्तकें हिन्दी एवं सभी राजभाषाओं में उपलब्ध हैं लेकिन संविधान पर हिन्दी में टीका 1950 से लगातार केवल “बसु” की ही उपलब्ध हैं क्योंकि संवैधानिक विषय उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में विमर्श किये जाते है जहाँ की अधिकृत भाषा अंग्रेजी है. विधि आयोग के सदस्य बी.एन.त्रिपाठी ने कहा कि भाषा का स्वरूप सर्वप्रथम “बोली” से होता है तथा फिर शब्द व लिपि जुडती है. ऐसे में आज हिन्दी एवं राजभाषाओं को सही शब्दों से समृद्ध करना एक सतत प्रयास एवं प्रक्रिया है जिसके लिये राजभाषाओं में विधि शब्द कोषों की नितांत आवश्यकता है. साथ ही वें स्वयं सरकारी स्तर पर मातृभाषा के विषय को आगे बढायेंगे. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मीडिया प्रभारी राजीव गुप्ता ने बताया कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में देश के अनेक राज्यों के उच्च-न्यायालयों के अधिवक्ता इस दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लिया.

समापन समारोह में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सचिव अतुल कोठारी ने सभा को बताया कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में निम्नलिखित निर्णय लिये गयें हैं :

विधि और न्याय के क्षेत्र में भारतीय के राष्ट्रीय परिसंवाद में में सर्वसम्मति से केन्द्र सरकार से मांग की गई कि -

1.      अंग्रेजी के प्रयोग पर रोक लगाकर केन्द्र में  हिन्दी और राज्यों में उनकी राजभाषा में कारगर कदम उठाये जाय.

2.      मध्य प्रदेश, रजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार (इनके विभाजन स्वरूप उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ) में उच्च न्यायालयों मे हिन्दी के प्रयोग की अनुमति है. इसी प्रकार देश के सभी अन्य राज्यों में उनके उच्च न्यायालयों के कामकाज की भाषा राजभाषा बनायी जाय.

3.      राष्ट्रपति के आदेशानुसार उच्चतम न्यायालय में अंग्रेजी के साथ-साथ हिन्दी में कार्य करने की भी अनुमति दी जाय.

4.      देश के सभी राज्यों की विधि संबंधी सभी परीक्षाओं तथा न्यायिक सेवा का माध्यम अंग्रेजी के अलावा हिन्दी और प्रादेशिक भाषाएँ बनायी जाय.

5.      राष्ट्रीय विधि संस्थानो एवं विश्वविद्यालयों में विधि पाठयक्रमों का माध्यम हिन्दी और भारतीय भाषाएँ हो.

6.      सभी न्यायालयों में सभी कार्य राजभाषाओं में हो.

7.      सभी विधान सभाओं में विधि बनाने का कार्य मूलत: राज्य की राजभाषा में हो.

8.      सभी राज्यों में राजभाषा कार्यांवयन समिति का गठन हों.

*राजीव गुप्ता जाने माने युवा पत्रकार भी हैं और इस संगठन/संस्थान के मीडिया प्रभारी भी --उनकी रचनाएं अक्सर पंजाब स्क्रीन और अन्य ऑनलाईन पत्रिकायों में छपती रहती हैं  उनका फोन पर बात करने के लिए सम्पर्क नम्बर है  09811558925

उद्देश्य:भारतीय भाषाओं की उपयोगिता एवं आवश्यकताओं को रेखांकित करना 

Thursday, February 28, 2013

आप अपने भविष्य का निर्माण करें-पी चिदम्बरम

28-फरवरी-2013 14:03 IST
हम क्या बनेंगे, यह हम पर निर्भर है–पी. चिदम्बरम 
आज लोकसभा में अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने तमिल संत कवि तिरूवल्लूर और स्वामी विवेकानंद के कथनों को दोहराते हुए कहा कि अगर हम सही फैसले और सही चुनाव करें, तो भारत विश्व की पांच बड़े देशों में स्थान पा सकता है। अपने बजट भाषण का समापन करते हुए श्री चिदम्बरम ने कहा कि भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 तक हम आठवें स्थान पर या सातवें स्थान पर आ सकते हैं। वर्ष 2025 तक भारत पांच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है, जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। 

स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा- ‘आपको जितनी शक्ति और हिम्मत चाहिए, वह आपके अंदर है। इसलिए, आप अपने भविष्य का निर्माण करें’। उन्होंने कहा कि 2013-14 का आम बजट उसी भविष्य की दिशा में ठोस कदम है। (PIB)


मीणा/राजगोपाल/प्रदीप/‍सुधीर/संजीव/इंद्रपाल/बिष्ट/शदीद/सुनील/शौकत/मनोज -785

Friday, February 22, 2013

मधुमेह के मामले

22-फरवरी-2013 15:24 IST
भारत में 2011 में 61.3 मिलियन व्‍यक्ति मधुमेह से पीडित थे
अंतर्राष्‍ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2011 में 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के 61.3 मिलियन व्‍यक्ति मधुमेह से पीडित थे। राज्‍य/संघशासित क्षेत्र के हिसाब से मधुमेह से पीडित व्‍यक्तियों के आंकड़े उपलब्‍ध नहीं हैं। 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के अनुसार अस्‍वस्‍थ आहार, शारीरिक श्रम का अभाव, एल्‍कोहल का हानिकारक उपयोग, अधिक वजन, मोटापा, तम्‍बाकू सेवन आदि इस असंचारी रोग के बढ़ने के कारण हैं। 

भारत सरकार ने 21 राज्‍यों के 100 जिलों में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कैंसर, मधुमेह तथा हृदयघात (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए राष्‍ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया। इस का उद्देश्‍य जागरूकता फैलाकर, व्‍यवहार तथा जीवन शैली में बदलाव लाना, उच्‍च रक्‍तचाप के लक्षण वाले व्‍यक्तियों का जल्‍द निदान करके असंचारी तथा मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करना है। यह कार्यक्रम 30 वर्ष से अधिक आयु के व्‍यक्तियों को विभिन्‍न स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों जैसे जिला अस्‍पताल, सामुदायिक केन्‍द्र तथा उप-केन्‍द्रों में इन रोगों के उचित उपचार के लिए विभिन्‍न अवसर पर जांच प्रदान करता है। 

ये जानकारी स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्‍न के उत्‍तर में दी। (PIB)
मीणा/शोभा/यशोदा - 687

Friday, February 1, 2013

लोकपाल विधेयक 2011 में सरकारी संशोधन

01-फरवरी-2013 20:10 IST
प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार
लोकपाल के चयन का कॉलि‍जियम: विधेयक में लोकपाल के सदस्‍यों का चयन प्रधानमंत्री, अध्‍यक्ष (लोकसभा), नेता विपक्ष (राज्‍यसभा), भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीशों या मुख्‍य न्‍यायाधीश द्वारा मनोनीत सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश और राष्‍ट्रपति द्वारा नामित जाने-माने न्‍यायविद की चयन समिति द्वारा किए जाने का प्रावधान है। प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि चयन समिति का पांचवां सदस्‍य (जाने-माने न्‍यायविद) चयन समिति के चार सदस्‍यों की सिफारिश पर राष्‍ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाए। सरकार के इस सिफारिश को स्‍वीकार कर लिया है। सार्वजनिक एवं दान प्राप्‍त करनेवाली संस्‍थाओं पर अधिकार क्षेत्र प्रवर समिति ने जनता द्वारा दान प्राप्‍त करने वाली संस्‍थाओं और संस्‍थानों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की है। सरकार ने सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत ऐसी संस्‍थानों या प्राधिकारियों को छूट देने का निश्‍चय किया है जिनका गठन या नियुक्ति किसी केन्‍द्रीय पर राज्‍य या प्रांतीय अधिनियम के तहत सार्वजनिक धार्मिक या धर्मादि ट्रस्‍टों या इंडोमेंट्स या धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों में किया गया हो। सार्वजनिक रूप से दान प्राप्‍त करनेवाली अन्‍य गैरसरकारी संस्‍थाएं लोकपाल के दायरे में रहेंगी।सीधे तौर पर जांच करने का अधिकार: प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि लोकपाल को प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार दिया जाए बशर्ते कि लोकपाल को लगे कि प्रथम दृष्‍टया मामला बनता है। सरकार ने इस संशोधन के साथ यह भी सिफारिश स्‍वीकार कर ली है कि प्रथम दृष्‍टया मामला बनता है या नहीं इस निर्णय पर पहुंचने से पहले लोकपाल जनसेवक से स्‍पष्‍टीकरण मांगे और तब तय करे कि सीधी जांच प्रथम दृष्‍टया मामला बनता है या नहीं''।लोकसेवक की बात सुनने का अवसरः  चयन समिति ने सिफारिश की है कि जांच एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान लोकसेवक की टिप्पणी अनिवार्य  नहीं हो (धारा 20(2)। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जांच का आदेश देने से पहले लोकपाल द्वारा सुनवाई का अवसर समाप्त किया जा सकता है (धारा 20(3)) लोकसेवक और सरकार सक्षम अधिकारी को प्रारंभिक जांच स्तर और जांच का औपचारिक आदेश देने से बहुत से मामलों में संदेह समाप्त हो जाएगा और नियमित जांच के लिए मामलों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। सरकार ने चयन समिति की इस सिफारिश को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है और वह इसके लिए संशोधन पेश करेगी।
Ø लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए आदेश देने की शक्तिः
Ø समिति ने यह सुझाव दिया है कि लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी देने की शक्ति सरकार से हटाकर लोकपाल को दी जा सकती है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि इस प्रकार का निर्णय लेते समय लोकपाल के लिए सक्षम अधिकारी और लोकसेवक की टिप्पणियां प्राप्त करना जरूरी हो सकता है। सरकार ने समिति के इस सुझाव को स्वीकार करने का निर्णय लिया है।
Ø सीबीआई को सशक्त बनानाःसमिति ने सीबीआई को सशक्त बनाने के लिए विधेयक में कई संशोधन करने के लिए सुझाव दिये हैः-
Ø1.     सीबीआई निदेशक के नियंत्रणाधीन एक अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में एक अभियोजन निदेशालय की स्थापना करना।
2.         केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सुझाव पर अभियोजन निदेशक की नियुक्ति करना।
3.         लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की देख-रेख के लिए लोकपाल की सहमति के साथ सरकारी अधिवक्ताओं को छोड़कर सीबीआई द्वारा अधिवक्ताओं का एक पैनल बनाना।
4.     लोकपाल द्वारा बताये गये मामले की जांच के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त धन होने का प्रावधान।
5.     लोकपाल की स्वीकृति के साथ लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों का स्थानांतरण करना।

     सरकार ने अंतिम एक सुझाव को छोड़कर इन सभी सुझावों को मानने का निर्णय लिया है, जोकि लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए लोकपाल की मंजूरी से संबंधित हैं। इस प्रस्ताव को इसलिए नहीं माना जा सकता कि इससे सीबीआई के क्रियाकलाप पर प्रभाव पड़ेगा।

विधेयक की अन्य प्रमुख विशेषताएं
Ø      सीबीआई पर पर्यवेक्षण की शक्तियां- यह विधेयक लोकपाल को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (सीबीआई) पर जांच के लिए लोकपाल द्वारा सौंपे गये मामले के संदर्भ में अधीक्षण की शक्तियां प्रदान करता है।
Ø      सीबीआई निदेशक की नियुक्तिः  प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीबीआई निदेशक के चयन के बारे में                                                                                                                                                                                                         संस्तुति करेगी।
Ø      अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति को जब्त करनाः अभियोजन लंबित रहने की स्थिति मे भी भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त करने के प्रावधान विधेयक में शामिल हैं।
Ø      भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ानाः इस विधेयक में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया हैः-
Øए)    सात वर्ष से लेकर दस वर्ष तक अधिकतम दंड
Øबी)   छः माह से लेकर दो वर्षों तक न्यूनतम दंड                    (PIB)

वि.कासोटिया/सुधीर/राजेन्द्र/मीना/सुनील/निर्मल-420

Friday, January 18, 2013

सभी कार्यक्षेत्रों की महिलाओ का सम्मान

भारत को ब्रह्माण्ड़ गुरु की गरिमा वापस दिलाने का प्रयास 
दामिनी की जान हम नहीं बचा पाए उसके बाद इस तरह की घटनायों की मुक्कमल रोकथाम भी नहीं कर पाए लेकिन इस के बावजूद महिला सम्मान को लेकर एक आन्दोलन अवश्य खड़ा हुआ जो लगातार मजबूत हो रहा है। जहाँ एक और महिलायों और उनकी पौशाक को लेकर बहुत ज़िम्मेदार समझे जाने वाले लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं वहीँ इस नाज़ुक समय में महिलायों के समान को लेकर एक विशेष आयोजन भी हो रहा है। महिला रत्नों के सम्मान में आप अपने क्षेत्र की महिलायों के नामांकन भी भेज सकते हैं साथ ही आलेख, सुझाव, सहयोग और विज्ञापन भी। इस विशेष आयोजन में कर्मठसत्यानिष्ठ,  कर्तव्यनिष्ठ,  संघर्षशीलप्रतिभाशालीसमाजसेवीराष्ट्रहित  में कार्य करने वाली सभी कार्यक्षेत्रों की महिलाओ का सम्मान किया जायेगा। आयोजकों का कहना है कि विश्व सभ्यता की रक्षासुरक्षा एवं वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति के विकास व विस्तार हेतु संकल्प के साथ इस हाभियान मे सहयोग करों सफलता आपके कदम चूमेंगी। आपका छोटा सा प्रयास भारत को विश्वगुरु ही नही वरन्
ब्रह्माण्ड़ गुरु की प्राचीन गरिमा वापस दिलाएगा। सम्पर्क   : भावना त्यागी भारतीय (011 22528272, 9013666652) और भू त्यागी भारतीय (विश्व चिंतक) (09999466822, 9013666651) आप अपने सुझाव यहाँ भी भेज सकते हैं जिन्हें आयोजकों तक पहुंचा दिया जायेगा।-- रेक्टर कथूरिया 
*महिला रत्नों का सम्मान                                         *सभी कार्यक्षेत्रों की महिलाओ का सम्मान

नामांकन आमन्त्रण महिला और मीडिया 2013 FFF.pdf
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Tuesday, December 18, 2012

सब्सिडी वाले गैस कनेक्शन के लिए नये नियम

एक आवासीय इकाई में एक घरेलू एलपीजी कनेक्शन 
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्‍य मंत्री श्रीमती पनबाका लक्ष्मी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार एक आवासीय इकाई में पति,पत्नी,अविवाहित बच्चों और आश्रित माता-पिता सहित एक साथ रह रहा परिवार, जिसकी एक साझी रसोई हो, परिवार के किसी भी वयस्क सदस्य के नाम पर जारी घरेलू एलपीजी कनेक्शन ले सकता है। उपर्युक्त शर्त के उल्लंघन में उसी पते पर अलग-अलग नामों पर और उसी नाम और उसी पते पर एक से अधिक एलपीजी कनेक्शन अनुमत नहीं है। तथापि, ऐसे कनेक्शनों को ग्राहक के अनुरोध पर गैर घरेलू छूट प्राप्त श्रेणियों (एनडीईसी) की दरों पर 14.2 कि0ग्राम कनेक्शन में परिवर्तित करने की अनुमति प्रदान की गई है। 

उन्होंने स्वीकार किया कि घरेलू इस्तेमाल के लिए एलपीजी के खुदरा मूल्य और वाणिज्यिक एलपीजी के बाजार मूल्य में अंतर होने के कारण कुछ बेईमान तत्वों द्वारा राजसहायता प्राप्त घरेलू एलपीजी सिलेंडरों के कदाचार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 

मंत्री महोदया ने कहा कि एलपीजी वितरण में कदाचारों को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज) वितरकों के परिसरों का नियमित रूप से औचक निरीक्षण, रीफिल जांच, ग्राहकों के परिसरों पर औचक जांच, सुपुर्दगी वाहनों की मार्गस्थ जांच, औचक गुणवत्ता नियंत्रण जांच करती है, जिसमें वितरकों के गोदामों पर सिलेंडरों का वज़न आदि करना शामिल है। एलपीजी वितरकों का किसी कदाचार में दोषी पाए जाने पर विपणन अनुशासन दिशा –निर्देशों (एमडीजी) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। 

तेल वितरण कंपनियों द्वारा की गई कार्रवाई के अतिरिक्त राज्य सरकारों को भी अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत प्रकाशित एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत घरेलू एलपीजी की कालाबाजारी के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए अधिकार दिए गए हैं। (PIB)   18-दिसंबर-2012 18:21 IST
वि.कासोटिया/क्वात्रा/मीना —6196

Saturday, December 15, 2012

27वीं भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस का उद्घाटन

गरीबी उन्‍मूलन सतत विकास के लिए अति महत्‍वपूर्ण-राष्‍ट्रपतिराष्‍ट्रपति ने आज नई दिल्‍ली में 27वीं भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस का उद्घाटन किया। इस वर्ष इस सम्‍मेलन का विषय है सतत विकास और समावेशी प्रगति के लिए इंजीनियरिंग-दृष्टिकोण-2025 ।

इस अवसर पर अपने भाषण में राष्‍ट्रपति ने कहा कि सतत विकास का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए गरीबी उन्‍मूलन अति महत्‍वपूर्ण है। श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि गरीबी और पर्यावरण प्रदूषण सीधे-सीधे आपस मे जुडे हुए हैं, खास तौर से वहां जहां लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए अपने निकट के प्राकृतिक संसाधनों की ओर देखते हैं। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए गरीबी उन्‍मूलन जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि जलवायु के माकूल उपयुक्‍त टैक्‍नोलॉजी इसीलिए आवश्‍यक है क्‍योंकि समाज के कमजोर वर्गों की सहायता के लिए उसकी जरूरत पडेगी। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि विकासशील देशों को वाजिब लागत पर नई से नई टैक्‍नोलॉजी उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था अवश्‍य की जानी चाहिए। साथ ही, यह भी जरूरी है कि नई टैक्‍नोलॉजी पाने वाले समाज में इस टैक्‍नोलॉजी का क्‍या असर पडेगा- इसकी सूचना उन्‍हें दी जानी चाहिए। लेकिन जहां भी संभव हो, स्‍थानीय रूप से मौजूद तकनीकों का उत्‍कृष्टिकरण किया जाना चाहिए और उन्‍हें अधिक कुशल और उपयोगी बनाकर अपनाया जाना चाहिए। 
(PIB)  14-दिसंबर-2012 15:31 IST
***
मीणा/शुक्‍ल /चन्‍द्रकला-6105

Monday, November 26, 2012

रेल क्षेत्र

26-नवंबर-2012 20:03 IST
भारत और चीन ने किए सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर
भारत और चीन ने रेलवे में तकनीक सहयोग के बारे में आज एक सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर किए। सहमति-पत्र पर हस्‍ताक्षर भारत की ओर से रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष श्री विनय मित्‍तल और चीन की तरफ से वहां रेल मंत्रालय में उपमंत्री श्री लॉन्‍ग झिग्‍युओ ने किया। 

सहमति-पत्र के अनुसार, दोनों देश द्रुत गति रेल, भारी वस्‍तुओं की ढुलाई और रेलवे स्‍टेशनों के विकास सहित रेल तकनीक के विभिन्‍न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाएंगे। दोनों पक्ष नीतियों की जानकारी प्रशिक्षण एवं विनियम कार्यक्रम, परियोजना स्‍थलों का दौरा, आदि क्षेत्र में आदान-प्रदान के आधार पर काम करेंगे। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि भारत-चीन राजनीतिक आर्थिक वार्तालाप के तहत गठित इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर कार्य दल के तहत ही भविष्‍य में रेल क्षेत्र में सहयोग करेंगे। भारत और चीन के बीच ये समझौता हस्‍ताक्षर होने की तारीख से अगले 5 साल के लिए लागू होगा। (PIB)


वि.कासोटिया/अनिल/सुनील-5552               रेल क्षेत्र

Friday, November 23, 2012

राष्ट्रपति ने प्रदान किये

23-नवंबर-2012 16:49 IST
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर साहित्य रत्न सम्मान
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज (23 नवंबर 2012) 21 प्रख्यात लेखकों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ साहित्य रत्न सम्मान प्रदान किये। 

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने आजादी के संघर्ष में श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के योगदान एवं हिन्दी साहित्य के प्रति उनके द्वारा की गयी सेवाओं का उल्लेख किया। 

***
वि.कासोटिया\यादराम\चित्रदेव-5493

Monday, October 8, 2012

केबल सेट टॉप बॉक्स द्वारा बिजली की खपत

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण
पिछले दिनों कुछ समाचारपत्रों में छपा है कि केबल टीवी के डिजिटीकरण से सेट टॉप बॉक्स (एसटीबी) के जरिए बिजली की खपत काफी बढ़ जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुए बताया है कि यह खबर गलत है कि एसटीबी की बिजली की खपत 20 वाट है। मल्टी सिस्टम और स्थानीय केबल ऑपरेटरों द्वारा एसटीबी के कई तरह के मेक और मॉडल सप्लाई किए जाते हैं। अलग-अलग किस्मों के केबल एसटीबी की बिजली की खपत के आंकड़े नीचे तालिका में दिए गए हैं, जिनसे पता चलता है केबल एसटीबी इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता करीब आठ वाट बिजली खर्च करते हैं, जो सीएफएल की खपत से भी कम है।
तालिका 1- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
एसटीबी मेक एवं मॉडल
बिजली खपत  (वाट)
चालू स्थिति
प्रतीक्षा स्थिति
डेन एंटरटेनमेंट नेटवर्क्स
स्काईवर्थ 7000
8
7
स्काईवर्थ 7600
8
7
स्काईवर्थ 7631
8
7
डिजिकेबल
इंडियोन एलडीसीए 1000
5.4
4.5
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
स्काईवर्थ C371N EN
10
8
आईएमसीएल
एसडी एसटीबी
12
10
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
हैथवे डेटाकॉम
स्काईवर्थ 9000
8
7
हुमा एनडी-1200C
15
5
डब्ल्यूडब्ल्यूआईएल
हेंडोन 1002C
6.5
5.8
हेंडोन 1041C
6.5
5.8
एरियोन 5012S
7.5
6.9
चांगहोंग C8899C0
7.5
6.9
मॉयबॉक्स
7.5
6.9
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों के विवरण से प्राप्त
विभिन्न घरेलू बिजली उपकरणों द्वारा बिजली की खपत की दरें नीचे तालिका 2 में दर्शायी गई हैं।
तालिका 2- विभिन्न मेकों के केबल एसटीबी की बिजली खपत की दरें
उपभोक्ता उपकरण
मॉडल
बिजली खपत (वॉट)
फ्रिज
210 लीटर
270
कूलर (डेजर्ट)
बजाज DC 2012
200
टेलीविजन
सोनी  KV-SZ292M88 CRT - 29”
138
टेलीविजन
एलजी  14D7RBA CRT
80
टेलीविजन
सोनी  KLV 20S400A LCD
60
टेलीविजन
सोनी  KDL 26EX550 LCD
50
पंखा
क्रॉम्पटन ग्रीव्ज – 56”
80
पंखा
ओरियंट 32 – टेबल पंखा
70
पीसी (कंप्यूटर)
एचपी V185E
60
पीसी (कंप्यूटर)
मॉनीटर – 17”
80
लाइट
बल्ब इनकेंडिसेंट
100
डीवीडी प्लेयर
सोनी BDP S350
26
लाइट
फ्लोरेसेंट ट्यूब
50
लाइट
सीएफएल
10
एसटीबी
केबल टीवी के लिए औसत
8
स्रोतः विनिर्माताओं के उत्पादों और एनपीसीएल की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण
जैसा कि उपरोक्त तालिका से पता चलता है कि  टेलीविजन,पंखें और ट्यूबलाइटें 60-60 वाट की बिजली की खपत करती हैं,जबकि एसटीबी की खपत 8 वाट है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति एक घंटे तक टेलीविजन देखता है और एक कमरे मे एक पंखा और एक ट्यूबलाइट भी चलाता है तो इन उपकरणों द्वारा एक घंटे में बिजली की खपत एसटीबी की खपत से ज्यादा होगी, चाहे उसे 24 घंटे तक क्यों न चलाया जाए। दूसरे शब्दों में एसटीबी की खपत 1 दिन में 1/5 यूनिट है जबकि एक पंखे, एक टेलीविजन और एक ट्यूबलाइट की खपत 1.5 यूनिट है। इसी प्रकार घरेलू फ्रिज की खपत रोजाना औसतन 4-5 यूनिट है, जो एसटीबी की एक दिन की खपत के 20 गुना से भी ज्यादा है। इस प्रकार केबल एसटीबी की खपत महीने में 5-6 यूनिट बैठती है और अन्य बिजली उपकरणों के मुकाबले बहुत मामूली है।
डिजिटिकरण से उपभोक्ताओं को तस्वीर और आवाज की बेहतर क्वालिटी मिलेगी और चैनल चुनने की आजादी होगी। फिल्म और गेम आदि भी अपनी पसंद के मांगे जा सकेंगे और यह सब बिजली की मामूली खपत पर ही उपलब्ध होंगे।
आमतौर पर घरों में एसटीबी स्विच ऑफ नहीं किए जाते है। जब टीवी नहीं देखा जा रहा होता, तब भी एसटीबी को प्रतीक्षा स्थिति में रखा जाता है, ताकि ऑफ होने के बाद एसटीबी को फिर से शुरू करने में और समय न लगे। प्रतीक्षा स्थिति में एसटीबी के ऑन रहने के बिजली की खपत और भी कम होती है।(PIB)  (08-अक्टूबर-2012 15:17 IST)

मीणा/राजगोपाल/अर्जुन- 4825