28-फरवरी-2013 14:03 IST
हम क्या बनेंगे, यह हम पर निर्भर है–पी. चिदम्बरम
आज लोकसभा में अगले वित्त वर्ष का आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने तमिल संत कवि तिरूवल्लूर और स्वामी विवेकानंद के कथनों को दोहराते हुए कहा कि अगर हम सही फैसले और सही चुनाव करें, तो भारत विश्व की पांच बड़े देशों में स्थान पा सकता है। अपने बजट भाषण का समापन करते हुए श्री चिदम्बरम ने कहा कि भारत विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 तक हम आठवें स्थान पर या सातवें स्थान पर आ सकते हैं। वर्ष 2025 तक भारत पांच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बन सकता है, जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा- ‘आपको जितनी शक्ति और हिम्मत चाहिए, वह आपके अंदर है। इसलिए, आप अपने भविष्य का निर्माण करें’। उन्होंने कहा कि 2013-14 का आम बजट उसी भविष्य की दिशा में ठोस कदम है। (PIB)
मीणा/राजगोपाल/प्रदीप/सुधीर/संजीव/इंद्रपाल/बिष्ट/शदीद/सुनील/शौकत/मनोज -785
Thursday, February 28, 2013
Tuesday, February 26, 2013
रेल बजट 2013-14 में रेल पर्यटन
26-फरवरी-2013 16:28 IST
पर्यटकों के अनुभव अधिक सुखद बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान
रेल मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने आज संसद में वर्ष 2013-14 का रेल बजट पेश करते हुए कहा कि रेल घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों, दोनों के लिए यात्रा का एक लोकप्रिय साधन है। पर्यटकों के अनुभव अधिक सुखद बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं।· जम्मू एवं कश्मीर राज्य सरकार के सहयोग से मल्टी-मॉडल ट्रेवल पैकेज की शुरूआत करना।
· रेलवे टिकट बुकिंग के समय रेल द्वारा यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों को माता वैष्णो देवी श्राइन के लिए ‘यात्रा पर्ची’ जारी करना।
· स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थानों की यात्रा करने के लिए रियायती किरायों पर ‘आजादी एक्सप्रेस’ नामक एक शैक्षणिक पर्यटक गाड़ी की शुरूआत करना।
· बिलासपुर, विशाखापट्नम, पटना, नागपुर, आगरा, जयपुर और बैंगलूरू आदि सात स्टेशनों पर एक्जीक्यूटिव लाउंज शुरू करना। (PIB)
वि.कासोटिया/अलकेश/अंबुज/प्रदीप/प्रियंका/लक्ष्मी/तारा/सुनील/सोनिका/राजू/18
पर्यटकों के अनुभव अधिक सुखद बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान
रेल मंत्री श्री पवन कुमार बंसल ने आज संसद में वर्ष 2013-14 का रेल बजट पेश करते हुए कहा कि रेल घरेलू तथा विदेशी पर्यटकों, दोनों के लिए यात्रा का एक लोकप्रिय साधन है। पर्यटकों के अनुभव अधिक सुखद बनाने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं।· जम्मू एवं कश्मीर राज्य सरकार के सहयोग से मल्टी-मॉडल ट्रेवल पैकेज की शुरूआत करना।
· रेलवे टिकट बुकिंग के समय रेल द्वारा यात्रा कर रहे तीर्थयात्रियों को माता वैष्णो देवी श्राइन के लिए ‘यात्रा पर्ची’ जारी करना।
· स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थानों की यात्रा करने के लिए रियायती किरायों पर ‘आजादी एक्सप्रेस’ नामक एक शैक्षणिक पर्यटक गाड़ी की शुरूआत करना।
· बिलासपुर, विशाखापट्नम, पटना, नागपुर, आगरा, जयपुर और बैंगलूरू आदि सात स्टेशनों पर एक्जीक्यूटिव लाउंज शुरू करना। (PIB)
Sunday, February 24, 2013
वन्य जीव संरक्षण – एक अहम जरूरत
06-फरवरी-2013 15:36 IST
एक दशक के दौरान पहली बार बाघों की संख्या में वृद्धि
संरक्षण:विशेष लेख - अशोक हांडू *
देर से ही सही पर यह एक शुभ समाचार है। भारत में पिछले एक दशक के दौरान पहली बार बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसके लिए संरक्षण के बेहतर प्रयासों को श्रेय जाता है। इस समय बाघों की संख्या 1706 है, जो वर्ष 2008 की संख्या के मुकाबले 295 अधिक है। उस समय बाघों की संख्या 1411 थी।
लेकिन यह इस मामले में संतुष्टि की छोटी सी बात है। मुख्य बात यह है कि पिछले वर्षों से बाघों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, जो चिंता का कारण है।
बड़ी बिल्ली की अन्य प्रजाति- तेंदुए के बारे में भी कहानी कोई अलग नहीं है। वर्ष 2012 के पहले नौ महीनों में भारत में 252 तेंदुए की मौत हुई, जो भारतीय वन्य जीव संरक्षण सोसायटी के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1994 से यह संख्या सबसे अधिक है। सन 1911 में यह संख्या 187 थी। एक दशक पहले यह संख्या औसतन लगभग 200 प्रति वर्ष थी।
जैसा हमने लिखा है, भारत में जनवरी महीने में कम से कम तीन और बाघों की मृत्यु हो गई है। 1994 से 2010 तक हमने 923 बाघ खो दिए हैं। देश में लगभग 100 वर्ष पहले बाघों की संख्या करीब 40 हजार थी, जो अब मुट्ठी भर रह गई है। बाघों की संख्या में कमी की कहानी वास्तव में समूचे विश्व में एक समान ही है। अनुमान है कि विश्व में बाघों की संख्या कोई 3500 से 4000 के आसपास है। इनमें से आधे भारत में हैं।
लगभग आधे से ज्यादा तेंदुए अवैध व्यापार के लिए मार दिए जाते हैं। बावजूद इसके कि बाघ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सुरक्षित हैं, उसका शिकार किया जाता है। उसके शरीर के अंगों, खासकर खाल का गैर-कानूनी तरीके से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार किया जाता है। चीतों के बारे में भी यही स्थिति है। उनका रहने का क्षेत्र मात्र दस प्रतिशत क्षेत्र में रह गया है और सिमटकर लगभग 75 लाख एकड़ हो गया है। आवास के अलावा बाघ अपने शिकार की प्रजातियां भी खोता जा रहा है। इससे इसका मनुष्यों के साथ टकराव हो गया है जिसके परिणामस्वरूप बाघों का ज्यादा शिकार होने लगा है। हालांकि सरकार ने सन 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित करके बाघों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन समस्या अभी भी वैसी ही बनी हुई है। अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि पहाड़ी और वन्य क्षेत्रों में सड़कों के जाल और पन-बिजली परियोजनाओं जैसे विकास कार्यों के कारण बाघों के प्राकृतिक आवास में काफी कमी हो गई है। इससे लिए वनों के निकट लोगों की तेजी से बढ़ती हुई आबादी एक अन्य कारण है।
यदि कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान दिया जाए तो इस स्थिति में बदलाव की अभी भी आशा है, ये बाते हैं – बाघों के अवैध शिकार पर कड़ी नजर, लोगों में इस बात की जागरुकता पैदा करना कि बाघों का संरक्षण स्वयं मानवता के हित में है, क्योंकि पर्यावरण व्यवस्था में संतुलन और वन्य क्षेत्रों के निकट रहने वाले लोगों की रोजमर्रा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बाघों का होना जरूरी है। इस क्षेत्र में समर्पित गैर सरकारी संगठनों का संज्ञान लेकर उनकी भागीदारी बढ़ाने और उन्हें पूर्ण समर्थन देने से भी लाभ होगा।
कुछ निराशाओं के बावजूद, परियोजना बाघ के अच्छे परिणाम निकले हैं। सत्तर के दशक में जब बाघों की जनसंख्या सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी, उस समय 1973 में यह परियोजना शुरू की गई थी। सत्तर के दशक में जहां यह संख्या 1200 पहुंच गई थी वहां नब्बे के दशक में यह 3500 हो गई, हालांकि बाद में इसमें फिर कमी होने लगी थी।
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों को बाघ संरक्षण योजनाएं तैयार करने को कहा है। उसने उन्हें ऐसा करने के लिए छह महीने का समय दिया है। यह योजनाएं कार्यान्वित किए जाने से पहले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्वीकृति के लिए भेजी जानी हैं। गत वर्ष जुलाई में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय पार्कों और वन्य जीव अभ्यारण्य में पर्यटन पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया था। अभ्यारण्यों को बाघों के आवास की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया गया है, पर इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। न्यायालय ने इन क्षेत्रों में पर्यटन पर लगा अंतरिम प्रतिबंध बाद में हटा लिया। लेकिन सभी हितधारकों से इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
दुर्लभ जीवों के संरक्षण को महत्व देने के लिए देश में पांच और वन्य जीवों के पांच और पार्क बनाने को स्वीकृति दी गई है। बाघों से छह और संरक्षणस्थल बनाने का भी प्रस्ताव है। इनकों मिलाकर ऐसी अभ्यारण्यों की संख्या 41 से बढ़कर 52 हो जाएगी। राष्ट्रीय पार्कों और वन्यजीव अभ्यारण्यों की संख्या भी उत्तरोत्तर बढ़ रही है।
योजना आयोग ने भी 12वीं योजना में बाघ संरक्षण के लिए आवंटन में उदारता बरती है। कहने का तात्पर्य है कि बाघ संरक्षण को बड़ा महत्व दिया गया है। आयोग ने 12वीं योजना में बाघ संरक्षण के लिए 5889 करोड़ रुपए का आवंटन किया है जबकि 11वीं योजना में यह राशि मात्र 651 करोड़ रुपए थी। इससे आवंटित राशि में नौ गुना वृद्धि होने का पता चलता है। अन्य सभी दुर्लभ प्रजातियों के लिए आवंटित राशि 3600 करोड़ रुपए है। इनमें हाथी, शेर, हिरन, गैंडा और तेंदुआ शामिल हैं, जिनकी संख्या 45,000 से अधिक है। यह दलील दी जाती है कि बाघ को महत्व देने से अन्य कुछ प्रजातियां जैसे हिरन व गैंडा स्वतः लाभान्वित होंगी। यह किसी हद तक सत्य हो सकता है लेकिन अन्य प्रजातियों के बारे में संभवतः अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
हजारों वर्ष से बाघों के शिकार को हैसियत का प्रतीक मान लिया गया है। उसे यादगार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अंग एशिया की परंपरागत दवाइयों में प्रयोग किए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप 1930 तक बाघों की संख्या में कमी आती रही। बाघों की नौ प्रजातियों में से तीन प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो गई हैं। इसलिए खासकर बाघों की आबादी और सामान्य रूप में वन्य जीवों की अन्य प्रजातियों की घटती संख्या पर रोक लगाने के लिए अधिक कारगर उपाय करने की आवश्यकता है। यह हमारे हित में है और इस बारे में त्रुटि महंगी सिद्ध हो सकती है। चुनौती बड़ी जरूर है लेकिन इसे पूरा करना ही होगा। (पसूका) (PIB)
***
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं
नोटः लेखक द्वारा इस विशेष लेख में व्यक्त विचार उसके अपने हैं।
वि. कासोटिया/क्वात्रा/इंद्रपाल/अर्जुन.. 37
एक दशक के दौरान पहली बार बाघों की संख्या में वृद्धि
संरक्षण:विशेष लेख - अशोक हांडू *
Courtesy Photo:Janadesh |
लेकिन यह इस मामले में संतुष्टि की छोटी सी बात है। मुख्य बात यह है कि पिछले वर्षों से बाघों की संख्या में लगातार कमी हो रही है, जो चिंता का कारण है।
बड़ी बिल्ली की अन्य प्रजाति- तेंदुए के बारे में भी कहानी कोई अलग नहीं है। वर्ष 2012 के पहले नौ महीनों में भारत में 252 तेंदुए की मौत हुई, जो भारतीय वन्य जीव संरक्षण सोसायटी के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 1994 से यह संख्या सबसे अधिक है। सन 1911 में यह संख्या 187 थी। एक दशक पहले यह संख्या औसतन लगभग 200 प्रति वर्ष थी।
जैसा हमने लिखा है, भारत में जनवरी महीने में कम से कम तीन और बाघों की मृत्यु हो गई है। 1994 से 2010 तक हमने 923 बाघ खो दिए हैं। देश में लगभग 100 वर्ष पहले बाघों की संख्या करीब 40 हजार थी, जो अब मुट्ठी भर रह गई है। बाघों की संख्या में कमी की कहानी वास्तव में समूचे विश्व में एक समान ही है। अनुमान है कि विश्व में बाघों की संख्या कोई 3500 से 4000 के आसपास है। इनमें से आधे भारत में हैं।
लगभग आधे से ज्यादा तेंदुए अवैध व्यापार के लिए मार दिए जाते हैं। बावजूद इसके कि बाघ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सुरक्षित हैं, उसका शिकार किया जाता है। उसके शरीर के अंगों, खासकर खाल का गैर-कानूनी तरीके से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार किया जाता है। चीतों के बारे में भी यही स्थिति है। उनका रहने का क्षेत्र मात्र दस प्रतिशत क्षेत्र में रह गया है और सिमटकर लगभग 75 लाख एकड़ हो गया है। आवास के अलावा बाघ अपने शिकार की प्रजातियां भी खोता जा रहा है। इससे इसका मनुष्यों के साथ टकराव हो गया है जिसके परिणामस्वरूप बाघों का ज्यादा शिकार होने लगा है। हालांकि सरकार ने सन 1972 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम पारित करके बाघों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन समस्या अभी भी वैसी ही बनी हुई है। अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि पहाड़ी और वन्य क्षेत्रों में सड़कों के जाल और पन-बिजली परियोजनाओं जैसे विकास कार्यों के कारण बाघों के प्राकृतिक आवास में काफी कमी हो गई है। इससे लिए वनों के निकट लोगों की तेजी से बढ़ती हुई आबादी एक अन्य कारण है।
यदि कुछ बुनियादी बातों पर ध्यान दिया जाए तो इस स्थिति में बदलाव की अभी भी आशा है, ये बाते हैं – बाघों के अवैध शिकार पर कड़ी नजर, लोगों में इस बात की जागरुकता पैदा करना कि बाघों का संरक्षण स्वयं मानवता के हित में है, क्योंकि पर्यावरण व्यवस्था में संतुलन और वन्य क्षेत्रों के निकट रहने वाले लोगों की रोजमर्रा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बाघों का होना जरूरी है। इस क्षेत्र में समर्पित गैर सरकारी संगठनों का संज्ञान लेकर उनकी भागीदारी बढ़ाने और उन्हें पूर्ण समर्थन देने से भी लाभ होगा।
कुछ निराशाओं के बावजूद, परियोजना बाघ के अच्छे परिणाम निकले हैं। सत्तर के दशक में जब बाघों की जनसंख्या सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी, उस समय 1973 में यह परियोजना शुरू की गई थी। सत्तर के दशक में जहां यह संख्या 1200 पहुंच गई थी वहां नब्बे के दशक में यह 3500 हो गई, हालांकि बाद में इसमें फिर कमी होने लगी थी।
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों और संघ शासित प्रदेशों को बाघ संरक्षण योजनाएं तैयार करने को कहा है। उसने उन्हें ऐसा करने के लिए छह महीने का समय दिया है। यह योजनाएं कार्यान्वित किए जाने से पहले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्वीकृति के लिए भेजी जानी हैं। गत वर्ष जुलाई में उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय पार्कों और वन्य जीव अभ्यारण्य में पर्यटन पर अंतरिम प्रतिबंध लगाया था। अभ्यारण्यों को बाघों के आवास की आवश्यकता के अनुसार तैयार किया गया है, पर इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। न्यायालय ने इन क्षेत्रों में पर्यटन पर लगा अंतरिम प्रतिबंध बाद में हटा लिया। लेकिन सभी हितधारकों से इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई करने को कहा गया है।
दुर्लभ जीवों के संरक्षण को महत्व देने के लिए देश में पांच और वन्य जीवों के पांच और पार्क बनाने को स्वीकृति दी गई है। बाघों से छह और संरक्षणस्थल बनाने का भी प्रस्ताव है। इनकों मिलाकर ऐसी अभ्यारण्यों की संख्या 41 से बढ़कर 52 हो जाएगी। राष्ट्रीय पार्कों और वन्यजीव अभ्यारण्यों की संख्या भी उत्तरोत्तर बढ़ रही है।
योजना आयोग ने भी 12वीं योजना में बाघ संरक्षण के लिए आवंटन में उदारता बरती है। कहने का तात्पर्य है कि बाघ संरक्षण को बड़ा महत्व दिया गया है। आयोग ने 12वीं योजना में बाघ संरक्षण के लिए 5889 करोड़ रुपए का आवंटन किया है जबकि 11वीं योजना में यह राशि मात्र 651 करोड़ रुपए थी। इससे आवंटित राशि में नौ गुना वृद्धि होने का पता चलता है। अन्य सभी दुर्लभ प्रजातियों के लिए आवंटित राशि 3600 करोड़ रुपए है। इनमें हाथी, शेर, हिरन, गैंडा और तेंदुआ शामिल हैं, जिनकी संख्या 45,000 से अधिक है। यह दलील दी जाती है कि बाघ को महत्व देने से अन्य कुछ प्रजातियां जैसे हिरन व गैंडा स्वतः लाभान्वित होंगी। यह किसी हद तक सत्य हो सकता है लेकिन अन्य प्रजातियों के बारे में संभवतः अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
हजारों वर्ष से बाघों के शिकार को हैसियत का प्रतीक मान लिया गया है। उसे यादगार के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अंग एशिया की परंपरागत दवाइयों में प्रयोग किए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप 1930 तक बाघों की संख्या में कमी आती रही। बाघों की नौ प्रजातियों में से तीन प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो गई हैं। इसलिए खासकर बाघों की आबादी और सामान्य रूप में वन्य जीवों की अन्य प्रजातियों की घटती संख्या पर रोक लगाने के लिए अधिक कारगर उपाय करने की आवश्यकता है। यह हमारे हित में है और इस बारे में त्रुटि महंगी सिद्ध हो सकती है। चुनौती बड़ी जरूर है लेकिन इसे पूरा करना ही होगा। (पसूका) (PIB)
***
*लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं
नोटः लेखक द्वारा इस विशेष लेख में व्यक्त विचार उसके अपने हैं।
वि. कासोटिया/क्वात्रा/इंद्रपाल/अर्जुन.. 37
Saturday, February 23, 2013
दिल्ली में 16 दिसम्बर को एक युवती के साथ दुराचार
22-फरवरी-2013 19:49 ISTन्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) (सुश्री) ऊषा मेहरा आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) (सुश्री) ऊषा मेहरा आयोग ने आज अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, जिसे केन्द्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री अश्वनी कुमार और केन्द्रीय गृह सचिव श्री आर.के. सिंह ने प्राप्त किया।
इस आयोग का गठन 26 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में 16 दिसम्बर को एक युवती के साथ दुराचार और बर्बर हमले की स्तब्ध कर देने वाली घटना के विभिन्न आयामों की जांच के लिए किया गया था। आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, जिसे उसने समय से पहले ही पूरा कर लिया। (PIB)***वि.कासोटिया/अजित/राजेश-703
इस आयोग का गठन 26 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में 16 दिसम्बर को एक युवती के साथ दुराचार और बर्बर हमले की स्तब्ध कर देने वाली घटना के विभिन्न आयामों की जांच के लिए किया गया था। आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, जिसे उसने समय से पहले ही पूरा कर लिया। (PIB)***वि.कासोटिया/अजित/राजेश-703
'खुसरो का संसार' नामक प्रदर्शनी
22-फरवरी-2013 18:34 IST
राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में जनता के रहेगी लिए 24 मार्च तक
केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्रीमती चंद्रेश कुमारी कटोच ने आज 'खुसरो का संसार' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के संग्रह से प्राप्त 22 कला वस्तुएं (7 पांडुलिपियां- किरण अस सैदान, इजाज ए खुसरवि, हश्त बिहिस्त, शिरीन खुसरो), 2 लघुचित्र पेन्टिंग (निजामुद्दीन औलिया और राग बसंत), 6 वाद्य यंत्र 7 सजावटी कला कृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
संस्कृति, विज्ञान और कला के क्षेत्र में अमीर खुसरो का योगदान अमीर खुसरो देलवी के 13वीं-14वीं शताब्दी काल की कला और संस्कृति की सूझबूझ और आज देश में उसकी निरंतरता को दर्शाता है। इस प्रदर्शनी में भारतीय विरासत, इतिहास और संस्कृति में अमीर खुसरो के बहुआयामी योगदान का भी अच्छा प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने 2 महान सभ्यताओं का मिलन देखा था और उन्होंने इसका अपनी साहित्यिक कृतियों में इतनी खूबसूरती से उपयोग किया है कि इरान और मध्य एशिया के धुरन्धरों को भी उन्होंने पीछे छोड़ दिया है। इस प्रदर्शनी के दौरान 8 मार्च 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय के सभागार में उस्ताद जमील अहमद के मसनवी गायन का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शनी जनता के लिए 24 मार्च 2013 (सोमवार को छोड़कर) तक खुली रहेगी। (PIB)***
वि.कासोटिया/इंद्रपाल/रामकिशन -695
राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में जनता के रहेगी लिए 24 मार्च तक
केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्रीमती चंद्रेश कुमारी कटोच ने आज 'खुसरो का संसार' नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के संग्रह से प्राप्त 22 कला वस्तुएं (7 पांडुलिपियां- किरण अस सैदान, इजाज ए खुसरवि, हश्त बिहिस्त, शिरीन खुसरो), 2 लघुचित्र पेन्टिंग (निजामुद्दीन औलिया और राग बसंत), 6 वाद्य यंत्र 7 सजावटी कला कृतियों को प्रदर्शित किया गया है।
संस्कृति, विज्ञान और कला के क्षेत्र में अमीर खुसरो का योगदान अमीर खुसरो देलवी के 13वीं-14वीं शताब्दी काल की कला और संस्कृति की सूझबूझ और आज देश में उसकी निरंतरता को दर्शाता है। इस प्रदर्शनी में भारतीय विरासत, इतिहास और संस्कृति में अमीर खुसरो के बहुआयामी योगदान का भी अच्छा प्रदर्शन किया गया है। उन्होंने 2 महान सभ्यताओं का मिलन देखा था और उन्होंने इसका अपनी साहित्यिक कृतियों में इतनी खूबसूरती से उपयोग किया है कि इरान और मध्य एशिया के धुरन्धरों को भी उन्होंने पीछे छोड़ दिया है। इस प्रदर्शनी के दौरान 8 मार्च 2013 को राष्ट्रीय संग्रहालय के सभागार में उस्ताद जमील अहमद के मसनवी गायन का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शनी जनता के लिए 24 मार्च 2013 (सोमवार को छोड़कर) तक खुली रहेगी। (PIB)***
वि.कासोटिया/इंद्रपाल/रामकिशन -695
Friday, February 22, 2013
हैदराबाद में हुए बम धमाकों की निंदा
22-फरवरी-2013 12:17 IST
उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में हुए बम धमाकों की निंदा कीभारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने हैदराबाद में हुए दोहरे बम धमाके की निंदा की है। धमाकों में मारे गए निर्दोष लोगों के परिवार के प्रति उन्होंने गहरी संवेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की है। मुश्किल की इस घड़ी में उन्होंने सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। (PIB) मीणा/विजयलक्ष्मी/संजना-676 22-फरवरी-2013 12:13 IST
प्रधानमंत्री ने बम धमाकों की निंदा की,शांति की अपील
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हैदराबाद में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा की है। धमाकों में लोगों के मरने के प्रति दुःख जाहिर करते हुए उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने केन्द्रीय एजेंसियों से आंध्र प्रदेश राज्य प्राधिकारियों को राहत ऑपरेशन में हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि -“यह एक कायरतापूर्ण हमला है, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
उन्होंने धमाके में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवारजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपए तथा गंभीर रुप से घायलों के लिए पचास हजार रुपए प्रत्येक की घोषणा की। (PIB)
मीणा/विजयलक्ष्मी/संजना-675
उपराष्ट्रपति ने हैदराबाद में हुए बम धमाकों की निंदा कीभारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी ने हैदराबाद में हुए दोहरे बम धमाके की निंदा की है। धमाकों में मारे गए निर्दोष लोगों के परिवार के प्रति उन्होंने गहरी संवेदना व्यक्त की है और घायलों के जल्द ठीक होने की कामना की है। मुश्किल की इस घड़ी में उन्होंने सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। (PIB) मीणा/विजयलक्ष्मी/संजना-676 22-फरवरी-2013 12:13 IST
प्रधानमंत्री ने बम धमाकों की निंदा की,शांति की अपील
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने हैदराबाद में हुए बम धमाकों की कड़ी निंदा की है। धमाकों में लोगों के मरने के प्रति दुःख जाहिर करते हुए उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने केन्द्रीय एजेंसियों से आंध्र प्रदेश राज्य प्राधिकारियों को राहत ऑपरेशन में हर संभव सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि -“यह एक कायरतापूर्ण हमला है, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
उन्होंने धमाके में मारे गए प्रत्येक व्यक्ति के परिवारजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो लाख रुपए तथा गंभीर रुप से घायलों के लिए पचास हजार रुपए प्रत्येक की घोषणा की। (PIB)
मीणा/विजयलक्ष्मी/संजना-675
मधुमेह के मामले
22-फरवरी-2013 15:24 IST
भारत में 2011 में 61.3 मिलियन व्यक्ति मधुमेह से पीडित थे
अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2011 में 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के 61.3 मिलियन व्यक्ति मधुमेह से पीडित थे। राज्य/संघशासित क्षेत्र के हिसाब से मधुमेह से पीडित व्यक्तियों के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अस्वस्थ आहार, शारीरिक श्रम का अभाव, एल्कोहल का हानिकारक उपयोग, अधिक वजन, मोटापा, तम्बाकू सेवन आदि इस असंचारी रोग के बढ़ने के कारण हैं।
भारत सरकार ने 21 राज्यों के 100 जिलों में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कैंसर, मधुमेह तथा हृदयघात (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया। इस का उद्देश्य जागरूकता फैलाकर, व्यवहार तथा जीवन शैली में बदलाव लाना, उच्च रक्तचाप के लक्षण वाले व्यक्तियों का जल्द निदान करके असंचारी तथा मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करना है। यह कार्यक्रम 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों जैसे जिला अस्पताल, सामुदायिक केन्द्र तथा उप-केन्द्रों में इन रोगों के उचित उपचार के लिए विभिन्न अवसर पर जांच प्रदान करता है।
ये जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी। (PIB)मीणा/शोभा/यशोदा - 687
भारत में 2011 में 61.3 मिलियन व्यक्ति मधुमेह से पीडित थे
अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह फेडरेशन के आंकड़ों के अनुसार भारत में वर्ष 2011 में 20 वर्ष और उससे अधिक आयु के 61.3 मिलियन व्यक्ति मधुमेह से पीडित थे। राज्य/संघशासित क्षेत्र के हिसाब से मधुमेह से पीडित व्यक्तियों के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार अस्वस्थ आहार, शारीरिक श्रम का अभाव, एल्कोहल का हानिकारक उपयोग, अधिक वजन, मोटापा, तम्बाकू सेवन आदि इस असंचारी रोग के बढ़ने के कारण हैं।
भारत सरकार ने 21 राज्यों के 100 जिलों में 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कैंसर, मधुमेह तथा हृदयघात (एनपीसीडीसीएस) की रोकथाम तथा नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया। इस का उद्देश्य जागरूकता फैलाकर, व्यवहार तथा जीवन शैली में बदलाव लाना, उच्च रक्तचाप के लक्षण वाले व्यक्तियों का जल्द निदान करके असंचारी तथा मधुमेह की रोकथाम और इसे नियंत्रित करना है। यह कार्यक्रम 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को विभिन्न स्वास्थ्य केन्द्रों जैसे जिला अस्पताल, सामुदायिक केन्द्र तथा उप-केन्द्रों में इन रोगों के उचित उपचार के लिए विभिन्न अवसर पर जांच प्रदान करता है।
ये जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी। (PIB)मीणा/शोभा/यशोदा - 687
Saturday, February 16, 2013
Friday, February 15, 2013
इलाहाबाद कुंभ मेले में ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम
15-फरवरी-2013 17:58 IST
कुल अवधि 2 घंटे 20 मिनट--150 कलाकारों ने भाग लिया
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपनी मीडिया इकाई संगीत और नाटक प्रभाग के जरिए अपने अभिनव कार्यक्रम के हिस्से के रूप में इलाहाबाद कुंभ मेले में जमुनिया विषय पर आधारित 14 दिन का ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम संचालित किया। यह कार्यक्रम मेले के माहौल को देखते हुए उचित रूप से ढ़ाला गया था। जमुनिया ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम शुरू में नुक्कड़ नाटक के रूप में अपनाया गया । इसका शीर्षक है जमुनिया-आकांक्षा उभरते भारत की ।
नुक्कड़ नाटक ने इलाहाबाद के कुंभ मेले में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को आकर्षित किया और यह कार्यक्रम कई दिनों तक दिन के समय प्रस्तुत किया गया। नुक्कड़ नाटक की अवधि 45 मिनट थी और कुंभ मेले के परिसर में प्रस्तुत इस कार्यक्रम की लाखों श्रद्धालुओं में अनुकूल प्रतिक्रिया हुई। इस पहल ने मुख्य कार्यक्रम जमुनिया-तस्वीर बदलते भारत की ने भीड़ को आकर्षित करने में सफलता प्राप्त की। यह कुंभ मेले के मुख्य स्थल से थोड़ा हटकर इलाहाबाद के कंपनी बाग मैदान में सायंकाल के समय प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम में लगभग 150 कलाकारों ने भाग लिया और इसकी कुल अवधि 2 घंटे 20 मिनट थी।
जमुनिया-तस्वीर बदलते भारत की ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम एक ग्रामीण महिला की कहानी है जो अभाव और गरीबी से उठकर एक स्थानीय नेता के रूप में उभरती है और अंतत: एक ग्राम सरपंच बनती है। वह केंद्र सरकार के सूचना के अधिकार और शिक्षा के अधिकार सहित विभिन्न महत्वपूर्ण् कार्यक्रम का लाभ उठाती है।
सन 2010 में शुरू किये गए जमुनिया ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम देश के अनेक भागों में प्रस्तुत किया जा चुका है। इनमें राजकोट,पोरबंदर,पन्ना, अमरावती, सीकर, हरिद्वार, रायबरेली और अमेठी प्रमुख शहर हैं।
जमुनिया ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम भारत की प्रमुख भाषाओं यथा पंजाबी, गुजराती, उडि़या, बंग्ला, असमिया, कन्नड़ ,तेलुगु, मलयालम आदि में रूपांतरित किया जा चुका है और यह देश के अन्य भागों में भी प्रस्तुत किये जाने के लिए तैयार है। (PIB)
नुक्कड़ नाटक के रूप में कार्यक्रम का प्रस्तुतीकरण
एक ग्रामीण महिला की कहानी
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Monday, February 11, 2013
गृह मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट-जनवरी, 2013
11-फरवरी-2013 18:53 IST
केंद्रीय गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे का आज नई दिल्ली में एक मासिक पत्रकार सम्मेलन में दिया गया वक्तव्य इस प्रकार है:- मणिपुर के घाटी स्थित एक विद्रोही समूह यू पी पी के, जिसे पहले प्रीपाक-शांति गुट के नाम से जाना जाता था, के 4 महिला काडरों सहित 47 काडरों ने मणिपुर के सीमावर्ती कस्बे मोरेह में मणिपुर पुलिस तथा असम रायफल्स के सामने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कुछ मात्रा में आर डी एक्स सहित 37 हथियार जमा करवाए। गृह मंत्रालय ने म्यांमार से उनके प्रत्यर्पण को सुगम बनाया। यह आत्मसर्मपण करने वाला पहला प्रमुख वी बी आई जी है तथा यह सराहनीय बात है।
2. राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजना (एम पी एफ स्कीम) को 12,378 करोड़ रूपये के प्रावधान से वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक पांच वर्षों के लिए जारी रखने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल द्वारा 7 फरवरी, 2013 को अनुमोदित किया गया है। इसमें योजनेत्तर के अंतर्गत 8628 करोड़ रुपये (महानगर पुलिस व्यवस्था के लिए 432 करोड़ रुपये सहित) तथा योजनागत के अन्तर्गत 3750 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल है।
3. यौन उत्पीड़न के दोषसिद्ध व्यक्तियों को मृत्यु दंड सहित कड़ी सजा दिलवाने के लिए सरकार ने दिनांक 3 फरवरी, 2013 को दंड विधि (संशोधन) अध्यादेश 2013 प्रख्यापित किया है।
4 28-29 जनवरी को, मैं ढाका में बंगलादेश के गृह मंत्री, डॉ. मुहिउद्दीन खान आलमगीर से मिला। हमने भारत सरकार और बंगलादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि तथा संशोधित यात्रा व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए जिससे दोनों देशों की विधि प्रवर्तन एजेन्सियों के बीच सहयोग करने, आपराधिक गतिविधियों को रोकने, वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाने तथा लोगों के बीच परस्पर सम्पर्क को बढ़ाना सुनिश्चित होगा।
5. हमने जीरो रेखा से 150 गज के भीतर विकास कार्य आरंभ करने तथा सीमाओं के दोनों ओर से नियमित परस्पर- सम्पर्क बनाने के लिए सहमति दी। स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए सीमावर्ती जिलों के जिला आयुक्तों और जिला मजिस्ट्रेटों के बीच परामर्श शुरू हो गया है। मेरा यह विश्वास है कि विभिन्न स्तरों पर नियमित आदान-प्रदान से परस्पर सहमति बढ़ेगी तथा मुद्दों का हल निकलेगा।
6. 10 जनवरी, 2013 को, कनाडा के माननीय आप्रवासन मंत्री, श्री जसॉन किन्नी ने भी नई दिल्ली में मुझ से मुलाकात की और परस्पर हित के द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार-विमर्श किया।
7. झारखण्ड के राज्यपाल की सिफारिशों पर, केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने 17.01.2013 को आयोजित अपनी बैठक में, राज्य विधान सभा को निलम्बन की स्थिति में रखते हुए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 (1) के अन्तर्गत झारखण्ड राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी उदघोषणा जारी करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया। राष्ट्रपति ने 18 जनवरी, 2013 को उदघोषणा को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
8. 3 जनवरी 2013 को भारत के राष्ट्रपति ने विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम 2012 को मंजूरी दी। इस अधिनियम में किसी संगम को विधिविरुद्ध घोषित किए जाने की अवधि को बढ़ाकर 2 से 5 वर्ष किया गया है। उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय पेपर करेंसी, सिक्के अथवा अन्य किसी सामग्री का उत्पादन अथवा तस्करी अथवा परिचालन करके भारत की आर्थिक स्थिरता को क्षति पहुंचाना आतंकवादी गतिविधि के रूप में घोषित किया गया है।
9. दिनांक 22 जनवरी, 2013 को, प्रथम अपर मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश का न्यायालय, हैदराबाद को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसके अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति जी. लक्ष्मीपति होंगे।
10. दिनांक 24 जनवरी, 2013 को मंत्रिमंडल ने विशेष उद्योग पहल योजना, ‘उड़ान’ को और अधिक लचीली एवं संगत बनाने के लिए इसके मानदंडों के संशोधन संबंधी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
11. जम्मू एवं दिल्ली में रह रहे पात्र कश्मीरी प्रवासियों के लिए नकद राहत को प्रति व्यक्ति प्रति माह 1250 रु. (प्रत्येक परिवार के लिए अधिकतम 5000 रु.) को दिनांक 1 जुलाई 2012 से भूतलक्षी प्रभाव से बढ़ाकर प्रति व्यक्ति प्रति माह 1650 रु. (प्रत्येक परिवार के लिए अधिकतम 6600 रु.) किया गया।
12. केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को भूमि के अधिग्रहण के लिए 103 करोड़ रु. तथा कार्यालय/आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 57.5 करोड़ रु. की राशि स्वीकृत की गई है।
13. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा और विकास संबंधी मुद्दों के बारे में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में को वामपंथी उग्रवाद संबंधी समीक्षा समूह की दो बैठकें दिनांक 28 जनवरी, 2013आयोजित की गईं।
14. जनवरी, 2013 के दौरान, आई वी एफ आर टी के अंतर्गत एकीकृत ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली को डबलीन (आयरलैंड) तथा रेकजाविक (आईसलैंड) में स्थित भारतीय मिशनों में प्रचालनात्मक बनाया गया है। यह सुविधा अब विदेशों में स्थित 103 भारतीय मिशनों में प्रचालन में है।
15. भारत के राष्ट्रपति ने 108 पदम पुरस्कार अनुमोदित किए हैं, जिनमें 4 पदम विभूषण, 24 पदम भूषण तथा 80 पदम श्री पुरस्कार शामिल हैं।
16. गणतन्त्र दिवस, 2013 के अवसर पर 875 पुलिस पदक घोषित किए गए जिनमें शौर्य के लिए राष्ट्रपति का एक पुलिस पदक, शौर्य के लिए 115 पुलिस पदक, विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति के 88 पुलिस पदक तथा सराहनीय सेवा के लिए 671 पुलिस पदक शामिल हैं।
17. 26 जनवरी, 2013 को 3 सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक, 10 उत्तम जीवन रक्षा पदक तथा 37 जीवन रक्षा पदकों सहित पुरस्कारों की 50 जीवन रक्षा पदक श्रृंखला के लिए सिफारिशें अधिसूचित की गईं।
18. गणतन्त्र दिवस, 2013 को 37 सुधारात्मक सेवा पदक प्रदान किए गए, जिनमें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति के 5 सुधारात्मक सेवा पदक, सराहनीय सेवा के लिए 29 सुधारात्मक सेवा पदक तथा शौर्य के लिए राष्ट्रपति के 3 सुधारात्मक सेवा पदक शामिल हैं।
19. क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सी सी टी एन एस) की एक प्रायोगिक परियोजना 4 जनवरी, 2013 को शुरू की गई। इस प्रायोगिक परियोजना में 25 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लगभग 2000 पायलट स्थानों की कनेक्टिविटी की अलग से व्यवस्था है। केन्द्रीय प्रायोगिक परियोजना की शुरूआत के बाद, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड, केरल, सिक्किम, ओडिशा, हरियाणा, त्रिपुरा, मिजोरम, अण्डमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, दादरा एवं नगर हवेली, दमण एवं दीव तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ने भी इस माह के दौरान यह परियोजना आरंभ कर दी है।
20. भारत-बंगलादेश सीमा पर, 3 सीमा चौकियों का निर्माण जनवरी, 2013 के दौरान पूरा किया गया।
21. सरकार ने भारत-चीन सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की प्राथमिकता वाली 27 सड़कों को स्वीकृति प्रदान की है जो कुल 805 कि.मी. होती हैं। पूरा किया गया संचयी कार्य 562.66 कि.मी. फॉरमेशन तथा 248.93 कि.मी. सर्फेसिंग है।
22. जनवरी, 2013 तक तटीय सुरक्षा के अंतर्गत 131 तटीय पुलिस स्टेशनों में से 118 के लिए भूमि निर्धारण के कार्य को अंतिम रूप से दिया गया है तथा 74 मामलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। तटीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा 36 घाटों के लिए भूमि निर्धारण का कार्य पूरा कर लिया गया है।
23. बी ए डी पी के अन्तर्गत वर्ष 2012-13 के बजट में निर्धारित कुल 990 करोड़ रु. के परिव्यय में से, 844 करोड़ रू. (85.26%) की राशि आज की स्थिति के अनुसार सभी 17 बी ए डी पी वाले राज्यों को जारी की जा चुकी है।
24. यू आई डी ए आई नामांकन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन पी आर) तैयार करने के लिए बायोमेट्रिक्स प्राप्त करने की प्रक्रिया मणिपुर, नागालैंड, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाड़ु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में चल रही है। आज की स्थिति के अनुसार, 10.19 करोड़ से अधिक व्यक्तियों का बायोमेट्रिक्स प्राप्त कर लिया गया है जिनमें से 1.16 करोड़ व्यक्तियों का बायोमेट्रिक्स इस महीने के दौरान लिया गया है। 111 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए डाटा एन्ट्री का कार्य पूरा कर लिया गया है जिनमें से 6 करोड़ व्यक्तियों की डाटा एन्ट्री इस महीने की गई है। तटीय एन पी आर के अंतर्गत, अब तक 61.15 लाख से अधिक कार्ड बना लिए गए हैं।
(PIB)
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वि.कासोटिया/सुनील-530
केंद्रीय गृहमंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे का आज नई दिल्ली में एक मासिक पत्रकार सम्मेलन में दिया गया वक्तव्य इस प्रकार है:- मणिपुर के घाटी स्थित एक विद्रोही समूह यू पी पी के, जिसे पहले प्रीपाक-शांति गुट के नाम से जाना जाता था, के 4 महिला काडरों सहित 47 काडरों ने मणिपुर के सीमावर्ती कस्बे मोरेह में मणिपुर पुलिस तथा असम रायफल्स के सामने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कुछ मात्रा में आर डी एक्स सहित 37 हथियार जमा करवाए। गृह मंत्रालय ने म्यांमार से उनके प्रत्यर्पण को सुगम बनाया। यह आत्मसर्मपण करने वाला पहला प्रमुख वी बी आई जी है तथा यह सराहनीय बात है।
2. राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण की योजना (एम पी एफ स्कीम) को 12,378 करोड़ रूपये के प्रावधान से वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक पांच वर्षों के लिए जारी रखने के प्रस्ताव को मंत्रिमंडल द्वारा 7 फरवरी, 2013 को अनुमोदित किया गया है। इसमें योजनेत्तर के अंतर्गत 8628 करोड़ रुपये (महानगर पुलिस व्यवस्था के लिए 432 करोड़ रुपये सहित) तथा योजनागत के अन्तर्गत 3750 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल है।
3. यौन उत्पीड़न के दोषसिद्ध व्यक्तियों को मृत्यु दंड सहित कड़ी सजा दिलवाने के लिए सरकार ने दिनांक 3 फरवरी, 2013 को दंड विधि (संशोधन) अध्यादेश 2013 प्रख्यापित किया है।
4 28-29 जनवरी को, मैं ढाका में बंगलादेश के गृह मंत्री, डॉ. मुहिउद्दीन खान आलमगीर से मिला। हमने भारत सरकार और बंगलादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि तथा संशोधित यात्रा व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए जिससे दोनों देशों की विधि प्रवर्तन एजेन्सियों के बीच सहयोग करने, आपराधिक गतिविधियों को रोकने, वीज़ा प्रक्रिया को आसान बनाने तथा लोगों के बीच परस्पर सम्पर्क को बढ़ाना सुनिश्चित होगा।
5. हमने जीरो रेखा से 150 गज के भीतर विकास कार्य आरंभ करने तथा सीमाओं के दोनों ओर से नियमित परस्पर- सम्पर्क बनाने के लिए सहमति दी। स्थानीय मुद्दों को हल करने के लिए सीमावर्ती जिलों के जिला आयुक्तों और जिला मजिस्ट्रेटों के बीच परामर्श शुरू हो गया है। मेरा यह विश्वास है कि विभिन्न स्तरों पर नियमित आदान-प्रदान से परस्पर सहमति बढ़ेगी तथा मुद्दों का हल निकलेगा।
6. 10 जनवरी, 2013 को, कनाडा के माननीय आप्रवासन मंत्री, श्री जसॉन किन्नी ने भी नई दिल्ली में मुझ से मुलाकात की और परस्पर हित के द्विपक्षीय सुरक्षा मामलों पर विचार-विमर्श किया।
7. झारखण्ड के राज्यपाल की सिफारिशों पर, केन्द्रीय मंत्रिमण्डल ने 17.01.2013 को आयोजित अपनी बैठक में, राज्य विधान सभा को निलम्बन की स्थिति में रखते हुए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 (1) के अन्तर्गत झारखण्ड राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी उदघोषणा जारी करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया। राष्ट्रपति ने 18 जनवरी, 2013 को उदघोषणा को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
8. 3 जनवरी 2013 को भारत के राष्ट्रपति ने विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन अधिनियम 2012 को मंजूरी दी। इस अधिनियम में किसी संगम को विधिविरुद्ध घोषित किए जाने की अवधि को बढ़ाकर 2 से 5 वर्ष किया गया है। उच्च गुणवत्ता वाली भारतीय पेपर करेंसी, सिक्के अथवा अन्य किसी सामग्री का उत्पादन अथवा तस्करी अथवा परिचालन करके भारत की आर्थिक स्थिरता को क्षति पहुंचाना आतंकवादी गतिविधि के रूप में घोषित किया गया है।
9. दिनांक 22 जनवरी, 2013 को, प्रथम अपर मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश का न्यायालय, हैदराबाद को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसके अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति जी. लक्ष्मीपति होंगे।
10. दिनांक 24 जनवरी, 2013 को मंत्रिमंडल ने विशेष उद्योग पहल योजना, ‘उड़ान’ को और अधिक लचीली एवं संगत बनाने के लिए इसके मानदंडों के संशोधन संबंधी प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
11. जम्मू एवं दिल्ली में रह रहे पात्र कश्मीरी प्रवासियों के लिए नकद राहत को प्रति व्यक्ति प्रति माह 1250 रु. (प्रत्येक परिवार के लिए अधिकतम 5000 रु.) को दिनांक 1 जुलाई 2012 से भूतलक्षी प्रभाव से बढ़ाकर प्रति व्यक्ति प्रति माह 1650 रु. (प्रत्येक परिवार के लिए अधिकतम 6600 रु.) किया गया।
12. केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को भूमि के अधिग्रहण के लिए 103 करोड़ रु. तथा कार्यालय/आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 57.5 करोड़ रु. की राशि स्वीकृत की गई है।
13. वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में सुरक्षा और विकास संबंधी मुद्दों के बारे में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में को वामपंथी उग्रवाद संबंधी समीक्षा समूह की दो बैठकें दिनांक 28 जनवरी, 2013आयोजित की गईं।
14. जनवरी, 2013 के दौरान, आई वी एफ आर टी के अंतर्गत एकीकृत ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली को डबलीन (आयरलैंड) तथा रेकजाविक (आईसलैंड) में स्थित भारतीय मिशनों में प्रचालनात्मक बनाया गया है। यह सुविधा अब विदेशों में स्थित 103 भारतीय मिशनों में प्रचालन में है।
15. भारत के राष्ट्रपति ने 108 पदम पुरस्कार अनुमोदित किए हैं, जिनमें 4 पदम विभूषण, 24 पदम भूषण तथा 80 पदम श्री पुरस्कार शामिल हैं।
16. गणतन्त्र दिवस, 2013 के अवसर पर 875 पुलिस पदक घोषित किए गए जिनमें शौर्य के लिए राष्ट्रपति का एक पुलिस पदक, शौर्य के लिए 115 पुलिस पदक, विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति के 88 पुलिस पदक तथा सराहनीय सेवा के लिए 671 पुलिस पदक शामिल हैं।
17. 26 जनवरी, 2013 को 3 सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक, 10 उत्तम जीवन रक्षा पदक तथा 37 जीवन रक्षा पदकों सहित पुरस्कारों की 50 जीवन रक्षा पदक श्रृंखला के लिए सिफारिशें अधिसूचित की गईं।
18. गणतन्त्र दिवस, 2013 को 37 सुधारात्मक सेवा पदक प्रदान किए गए, जिनमें विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति के 5 सुधारात्मक सेवा पदक, सराहनीय सेवा के लिए 29 सुधारात्मक सेवा पदक तथा शौर्य के लिए राष्ट्रपति के 3 सुधारात्मक सेवा पदक शामिल हैं।
19. क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सी सी टी एन एस) की एक प्रायोगिक परियोजना 4 जनवरी, 2013 को शुरू की गई। इस प्रायोगिक परियोजना में 25 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लगभग 2000 पायलट स्थानों की कनेक्टिविटी की अलग से व्यवस्था है। केन्द्रीय प्रायोगिक परियोजना की शुरूआत के बाद, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड, केरल, सिक्किम, ओडिशा, हरियाणा, त्रिपुरा, मिजोरम, अण्डमान एवं निकोबार द्वीपसमूह, दादरा एवं नगर हवेली, दमण एवं दीव तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली ने भी इस माह के दौरान यह परियोजना आरंभ कर दी है।
20. भारत-बंगलादेश सीमा पर, 3 सीमा चौकियों का निर्माण जनवरी, 2013 के दौरान पूरा किया गया।
21. सरकार ने भारत-चीन सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की प्राथमिकता वाली 27 सड़कों को स्वीकृति प्रदान की है जो कुल 805 कि.मी. होती हैं। पूरा किया गया संचयी कार्य 562.66 कि.मी. फॉरमेशन तथा 248.93 कि.मी. सर्फेसिंग है।
22. जनवरी, 2013 तक तटीय सुरक्षा के अंतर्गत 131 तटीय पुलिस स्टेशनों में से 118 के लिए भूमि निर्धारण के कार्य को अंतिम रूप से दिया गया है तथा 74 मामलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। तटीय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा 36 घाटों के लिए भूमि निर्धारण का कार्य पूरा कर लिया गया है।
23. बी ए डी पी के अन्तर्गत वर्ष 2012-13 के बजट में निर्धारित कुल 990 करोड़ रु. के परिव्यय में से, 844 करोड़ रू. (85.26%) की राशि आज की स्थिति के अनुसार सभी 17 बी ए डी पी वाले राज्यों को जारी की जा चुकी है।
24. यू आई डी ए आई नामांकन सॉफ्टवेयर का उपयोग करके, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एन पी आर) तैयार करने के लिए बायोमेट्रिक्स प्राप्त करने की प्रक्रिया मणिपुर, नागालैंड, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाड़ु, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल राज्यों में चल रही है। आज की स्थिति के अनुसार, 10.19 करोड़ से अधिक व्यक्तियों का बायोमेट्रिक्स प्राप्त कर लिया गया है जिनमें से 1.16 करोड़ व्यक्तियों का बायोमेट्रिक्स इस महीने के दौरान लिया गया है। 111 करोड़ से अधिक व्यक्तियों के लिए डाटा एन्ट्री का कार्य पूरा कर लिया गया है जिनमें से 6 करोड़ व्यक्तियों की डाटा एन्ट्री इस महीने की गई है। तटीय एन पी आर के अंतर्गत, अब तक 61.15 लाख से अधिक कार्ड बना लिए गए हैं।
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वि.कासोटिया/सुनील-530
Sunday, February 10, 2013
चमत्कारी औषधि:व्यक्ति सदा युवा और स्वस्थ रह सकेगा
9.02.2013, 09:33
बनें चिर युवा//डेढ़ साल बाद बिकने लगेगी G5 औषधि
नोवोसिबीर्स्क में विकसित औषधि के सारे प्री-क्लीनिकल टेस्ट पूरे
नोवोसिबीर्स्क के वैज्ञानिकों ने “संजीवनी” खोज ली है| उन्होंने एक अद्वितीय औषधि बनाई है जो मज्जा से स्टेम सेल यानी तना–कोशिकाएं बनवाती है| ये कोशिकाएं किसी भी रुग्ण अंग के पुनरुज्जीवन की क्षमता रखती हैं| सो, इस चमत्कारी औषधि की बदौलत व्यक्ति सदा युवा और स्वस्थ रह सकेगा|
स्टेम सेल से चिकित्सा का तो आजकल फैशन पूरे ज़ोरों पर है| इनसे दिल का दौरा (इन्फेर्क्शन), मस्तिष्क-आघात (ब्रेन हैमरेज) तथा कई तरह की गंभीर चोटों का इलाज करने में मदद मिल सकती है| सौंदर्य-उपचार यानी कोस्मेटोलोजी में तो इनकी सहायता से त्वचा को फिर से युवा बनाने के दावे किए जाते हैं| समस्या बस इतनी है कि इन कोशिकाओं के उपयोग की जो विधि इन दिनों प्रचलित है वह निरापद नहीं है, इस औषधि का विकास करनेवाली कंपनी के जनरल डायरेक्टर आंद्रेई अर्तामोनोव बताते हैं|
देखिए, आजकल काम कुछ इस तरह होता है: अस्थि-मज्जा से ताना-कोशिकाएं निकाली जाती हैं| फिर उन्हें विशेष द्रव्य में रखकर उनकी संख्या बढ़ाई जाती है और इसके बाद उन्हें “रोगी” की रक्त-प्रणाली में पुनः प्रवेशित किया जाता है| ध्यान देने की बात यह है कि इन कोशिकाओं का मल्टीप्लिकेशन मानव-शरीर के बाहर होता है| मानव शारीर में इन्हें डाले जाने के बाद इनका विभेदीकरण कैसे होगा यह कोई नहीं कह सकता – ये रुग्ण अंग में पहुँच कर उस अंग की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण कर देंगी तो व्यक्ति स्वस्थ हो जाएगा, लेकिन अगर ये स्वस्थ अंग में पहुँच जाएं तो वहाँ क्या होगा? ह्रदय में पसली उग आई तो? दरअसल ऐसी कोशिकाएं मानव-शरीर के लिए “पराई” ही होती हैं|
अब नोवोसिबिर्स्क के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल ढूँढ लिया है| उन्होंने G5 कोड-नाम वाली औषधि बनाई है| यह मनुष्य की अस्थि-मज्जा को नई तना-कोशिकाएं बनाने की “प्रेरणा” देती है| ये नवनिर्मित कोशिकाएं स्वयं ही विक्षत अंग को ढूँढ लेती हैं, और उसका “पुनर्निर्माण” कर देती हैं| विशेषज्ञ के शब्दों में G5 औषधि इन “मरम्मती-कोशिकाओं” को “घर” प्रदान कराती है, वे शरीर से बाहर नहीं जातीं| यह पुनरुज्जीवन औषधि है| अब तक संसार में इसका कोई समरूप नहीं है, आंद्रेई अर्तामोनोव कहते हैं:
आज के दिन में ऐसी कोई औषधि नहीं है| हमारी G5 अस्थि मज्जा को अपनी ही तना-कोशिकाएं बनाने की “प्रेरणा” देती है और ये कोशिकाएं मानव शरीर के भीतर ही रहती हैं| ज्यों-ज्यों मनुष्य की आयु बढ़ाती है, त्यों-त्यों उसके शरीर में तन-कोशिकाओं की संख्या कम होती जाती है, अतः हमारे अंगों के पुनरुज्जीवन की प्रक्रिया रुक जाती है, हम बूढ़े होने लगते हैं| अब चिकित्सा-विज्ञान में इस बात के प्रयास हो रहे हैं कि शरीर स्वयं अपने को बहाल करता जाए|
आज तक सारी चिकित्सा लक्षणों को दूर करने वाली ही है| दर्द हो रहा है – दर्दहारी गोली दवाई ले लो| मानव शरीर में अंतर्निहित क्षमता का उपयोग करना कहीं अधिक मुश्किल काम है, लेकिन सही रास्ता यही है| इसी की बदौलत हम सब “युवा और सुखी हो पाएंगे, यह याद कर पाएंगे कि बचपन में हम कैसे थे|”
नोवोसिबीर्स्क में विकसित औषधि के प्री-क्लीनिकल टेस्ट सारे पूरे हो गए हैं| शीघ्र ही क्लीनिकल टेस्टिंग भी शुरू होगी| यह आशा की जा सकती है कि डेढ़ साल बाद G5 औषधि बिकने लगेगी|(रेडियो रूस से साभार)
बनें चिर युवा//डेढ़ साल बाद बिकने लगेगी G5 औषधि Care, Health, Medicine, Traditional, Life, New Concept, Research,
चमत्कारी औषधि:व्यक्ति सदा युवा और स्वस्थ रह सकेगा
बनें चिर युवा//डेढ़ साल बाद बिकने लगेगी G5 औषधि
नोवोसिबीर्स्क में विकसित औषधि के सारे प्री-क्लीनिकल टेस्ट पूरे
© फ़ोटो: ru.wikipedia.org |
स्टेम सेल से चिकित्सा का तो आजकल फैशन पूरे ज़ोरों पर है| इनसे दिल का दौरा (इन्फेर्क्शन), मस्तिष्क-आघात (ब्रेन हैमरेज) तथा कई तरह की गंभीर चोटों का इलाज करने में मदद मिल सकती है| सौंदर्य-उपचार यानी कोस्मेटोलोजी में तो इनकी सहायता से त्वचा को फिर से युवा बनाने के दावे किए जाते हैं| समस्या बस इतनी है कि इन कोशिकाओं के उपयोग की जो विधि इन दिनों प्रचलित है वह निरापद नहीं है, इस औषधि का विकास करनेवाली कंपनी के जनरल डायरेक्टर आंद्रेई अर्तामोनोव बताते हैं|
देखिए, आजकल काम कुछ इस तरह होता है: अस्थि-मज्जा से ताना-कोशिकाएं निकाली जाती हैं| फिर उन्हें विशेष द्रव्य में रखकर उनकी संख्या बढ़ाई जाती है और इसके बाद उन्हें “रोगी” की रक्त-प्रणाली में पुनः प्रवेशित किया जाता है| ध्यान देने की बात यह है कि इन कोशिकाओं का मल्टीप्लिकेशन मानव-शरीर के बाहर होता है| मानव शारीर में इन्हें डाले जाने के बाद इनका विभेदीकरण कैसे होगा यह कोई नहीं कह सकता – ये रुग्ण अंग में पहुँच कर उस अंग की कोशिकाओं का पुनर्निर्माण कर देंगी तो व्यक्ति स्वस्थ हो जाएगा, लेकिन अगर ये स्वस्थ अंग में पहुँच जाएं तो वहाँ क्या होगा? ह्रदय में पसली उग आई तो? दरअसल ऐसी कोशिकाएं मानव-शरीर के लिए “पराई” ही होती हैं|
अब नोवोसिबिर्स्क के वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल ढूँढ लिया है| उन्होंने G5 कोड-नाम वाली औषधि बनाई है| यह मनुष्य की अस्थि-मज्जा को नई तना-कोशिकाएं बनाने की “प्रेरणा” देती है| ये नवनिर्मित कोशिकाएं स्वयं ही विक्षत अंग को ढूँढ लेती हैं, और उसका “पुनर्निर्माण” कर देती हैं| विशेषज्ञ के शब्दों में G5 औषधि इन “मरम्मती-कोशिकाओं” को “घर” प्रदान कराती है, वे शरीर से बाहर नहीं जातीं| यह पुनरुज्जीवन औषधि है| अब तक संसार में इसका कोई समरूप नहीं है, आंद्रेई अर्तामोनोव कहते हैं:
आज के दिन में ऐसी कोई औषधि नहीं है| हमारी G5 अस्थि मज्जा को अपनी ही तना-कोशिकाएं बनाने की “प्रेरणा” देती है और ये कोशिकाएं मानव शरीर के भीतर ही रहती हैं| ज्यों-ज्यों मनुष्य की आयु बढ़ाती है, त्यों-त्यों उसके शरीर में तन-कोशिकाओं की संख्या कम होती जाती है, अतः हमारे अंगों के पुनरुज्जीवन की प्रक्रिया रुक जाती है, हम बूढ़े होने लगते हैं| अब चिकित्सा-विज्ञान में इस बात के प्रयास हो रहे हैं कि शरीर स्वयं अपने को बहाल करता जाए|
आज तक सारी चिकित्सा लक्षणों को दूर करने वाली ही है| दर्द हो रहा है – दर्दहारी गोली दवाई ले लो| मानव शरीर में अंतर्निहित क्षमता का उपयोग करना कहीं अधिक मुश्किल काम है, लेकिन सही रास्ता यही है| इसी की बदौलत हम सब “युवा और सुखी हो पाएंगे, यह याद कर पाएंगे कि बचपन में हम कैसे थे|”
नोवोसिबीर्स्क में विकसित औषधि के प्री-क्लीनिकल टेस्ट सारे पूरे हो गए हैं| शीघ्र ही क्लीनिकल टेस्टिंग भी शुरू होगी| यह आशा की जा सकती है कि डेढ़ साल बाद G5 औषधि बिकने लगेगी|(रेडियो रूस से साभार)
बनें चिर युवा//डेढ़ साल बाद बिकने लगेगी G5 औषधि Care, Health, Medicine, Traditional, Life, New Concept, Research,
चमत्कारी औषधि:व्यक्ति सदा युवा और स्वस्थ रह सकेगा
धरती पर आ रहा है शीत-युग
9.02.2013, 18:45
निकट भविष्य में ही पृथ्वी पर शीत-युग
दो रूसी वैज्ञानिकों ने वैश्विक उष्मीकरण के विचार का खंडन किया है और कहा है कि इसके विपरीत निकट भविष्य में ही पृथ्वी पर शीत-युग आरंभ होने जा रहा है| गैस उद्योग अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक व्लादीमिर बश्किन और राऊफ गलिऊलिन ने अपने लेख में कहा है कि पश्चिमी देशों में ही वैश्विक उष्मीकरण का शोर मचाया जा रहा है, जिसका असली कारण लोगों के मन में यह बात बिठाना है कि परम्परागत ईंधन स्रोतों – तेल, कोयले और गैस – की मांग कम होनी चाहिए, मांग कम तो दाम भी कम| इन विद्वानों के मत में इसके उलट अब सूर्य की सक्रियता में भरी गिरावट आ रही है, जिसकी वजह से वैश्विक शीत-युग आरंभ हो रहा है| उनका कहना है कि 2014 में ही औसत तापमान गिराने लगेगा और इस सदी के मध्य तक वह न्यूनतम तक पहुँच जाएगा|(रेडियो रूस से साभार)
निकट भविष्य में ही पृथ्वी पर शीत-युग
© Flickr.com/woodleywonderworks/cc-by |
Thursday, February 7, 2013
संसद:बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी से
07-फरवरी-2013 12:37 IST
पंद्रहवीं लोकसभा के तेरहवें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत और अवधि
संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है।
पंद्रहवीं लोक सभा के 13वें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और सरकारी कामकाज की अनिवार्यताओं के अध्याधीन 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है।
राष्ट्रपति 21 फरवरी 2013, गुरुवार को संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रुप से नई दिल्ली स्थित संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में सुबह 11 बजे संबोधित करेंगे।
मंत्रालयों/विभागों के अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति द्वारा विचार और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 22 मार्च 2013 को दोनों सदनों को अवकाश के लिए स्थगित किया जाएगा और 22 अप्रैल 2013 को सदन का सत्र पुनः आरंभ होगा। (PIB)
वि.कासोटिया/सुधीर पी. /विजयलक्ष्मी – 469
संसद के बजट सत्र
संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत
संसद:बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी से
पंद्रहवीं लोकसभा के तेरहवें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत और अवधि
Courtesy Photo |
पंद्रहवीं लोक सभा के 13वें सत्र और राज्य सभा के 228वें सत्र की शुरुआत 21 फरवरी 2013, गुरुवार से होगी और सरकारी कामकाज की अनिवार्यताओं के अध्याधीन 10 मई 2013, शुक्रवार को इस सत्र के समापन की संभावना है।
राष्ट्रपति 21 फरवरी 2013, गुरुवार को संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रुप से नई दिल्ली स्थित संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में सुबह 11 बजे संबोधित करेंगे।
मंत्रालयों/विभागों के अनुदान की मांगों पर स्थायी समिति द्वारा विचार और रिपोर्ट तैयार करने के लिए 22 मार्च 2013 को दोनों सदनों को अवकाश के लिए स्थगित किया जाएगा और 22 अप्रैल 2013 को सदन का सत्र पुनः आरंभ होगा। (PIB)
वि.कासोटिया/सुधीर पी. /विजयलक्ष्मी – 469
संसद के बजट सत्र
संसद के बजट सत्र -2013 की शुरुआत
संसद:बजट सत्र -2013 की शुरुआत 21 फरवरी से
Wednesday, February 6, 2013
दो चरणों में बिछेगा नक्सल क्षेत्रों में सडकों का जाल
05-फरवरी-2013 20:24 IST
केंद्र सरकार ने दी चौमुखी सडक सम्पर्क को मंजूरी
सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधीन चौमुखी संपर्क कायम करने को अपनी मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम नरेश ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि राज्यों की सरकारें दो चरणों में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर सकती हैं। राज्य सरकारें ढांचे का निर्माण, ग्रेवल बेस आदि का निर्माण पहले चरण के अधीन कर सकती हैं, जबकि दूसरे चरण में बिटुमिनस अथवा कंक्रीट की सतह तैयार करना शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्यों को पहले चरण का कार्य पूरा करने की अनुमति दी जाएगी और कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए मार्च 2015 से पहले दूसरे चरण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजने के लिए कहा जाएगा।
नक्सल प्रभावित 82 जिले के 52,000 आवास स्थलों में से 30,000 आवास स्थलों को इसमें शामिल किया गया है, किंतु अब तक केवल 19,000 आवास स्थलों को ही सड़कों से जोड़ा गया है।(PIB)
***
वि.कासोटिया/सुधीर/मनोज-450
नक्सलबाड़ी स्क्रीन में भी देखिये
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधीन
कामरेड स्क्रीन में देखिये:नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सडकों का जाल
उर्दू रोजगार समाचार का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी शुरू
05-फरवरी-2013 20:12 IST
मंत्री मनीष तिवारी ने किया रोजगार समाचार के नए लोगो का अनावरण
लोगो की तुरंत पहचान
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने कहा है कि‘सभी को समान अवसर’ के उद्देश्य के साथ रोजगार समाचार के नए लोगो का अनावरण नौकरी की तलाश में लगे युवाओं की महत्वकांक्षाओं को पूरी करने में मदद के प्रतिसंकल्प का भाव दर्शाता है। उन्होंने कहा किइस नई पहल से प्रकाशन को न केवल नई ब्रांड पहचान मिलेगी बल्किआकांक्षी युवाओं के लिए आकर्षक भी होगा। प्रकाशन विभाग की इस कोशिश की सराहना करते हुए श्री मनीष तिवारी ने बताया कि लेंस के जरिए नौकरी की तलाश करते इस लोगो की तुरंत पहचान हो जाएगी। श्री तिवारी ने यह बातें आज दिल्ली के प्रगतिमैदान में प्रकाशन विभाग द्वारा आयोजित लोगो के शुभारंभ के मौके पर कही।
इस मौके पर सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि उर्दू भाषा में रोजगार समाचार का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण शुरू करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे इसकी पहुंच अधिक लोगों तक हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रकाशन विभाग की यह पहल भी सराहनीय है जिसमें तकनीक की मदद से रोजगार समाचार लोगों तक पहुंचाया जाना संभव हुआ। श्री तिवारी ने कहा किइस प्रकाशन में विकास, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों इत्यादिजैसे जनहित से जुड़े कुछ मुद्दों आलेख होना चाहिए। उन्होंने प्रकाशन विभाग को कहा किभविष्य के इसके संस्करण में दो से चार पन्नों पर ऐसे आलेख होने चाहिए।
श्री तिवारी से इंडिया 2013 और भारत 2013 का एक संदर्भ वार्षिक पुस्तिका भी जारी की जिसमें 1997 से अब तक भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की गतिविधियों, विकास और उपलब्धियों पर सूचनाओं का सटीक और विस्तृत संग्रह है।
रोजगार समाचार का यह लोगो नई दिल्ली में कॉलेज ऑफ आर्टस की घरेलू प्रतियोगिता से चुना गया। लोगो में लेंस के सहारे नौकरी तलाशते युवा को दिखाया गया है।
देशभर में प्रतिसप्ताह चार लाख प्रतियों के प्रसार के साथ रोजगार समाचार केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न संगठनों में रोजगार के अवसरों के बारे में आकांक्षी युवाओं को जानकारी मुहैया करता है। यह एक साथ तीन भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होता है। उूर्द भाषा जानने वालों के लिए तकनीकी सुविधा का लाभ देते हुए उर्दू रोजगार समाचार का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी शुरू कर दिया गया है। अगस्त 2012 से अंग्रेजी और हिन्दी में भी रोजगार समाचार के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण शुरू हैं। (PIB)
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वि.कसौटिया/अनिल/राजीव/449
मंत्री मनीष तिवारी ने किया रोजगार समाचार के नए लोगो का अनावरण
लोगो की तुरंत पहचान
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने कहा है कि‘सभी को समान अवसर’ के उद्देश्य के साथ रोजगार समाचार के नए लोगो का अनावरण नौकरी की तलाश में लगे युवाओं की महत्वकांक्षाओं को पूरी करने में मदद के प्रतिसंकल्प का भाव दर्शाता है। उन्होंने कहा किइस नई पहल से प्रकाशन को न केवल नई ब्रांड पहचान मिलेगी बल्किआकांक्षी युवाओं के लिए आकर्षक भी होगा। प्रकाशन विभाग की इस कोशिश की सराहना करते हुए श्री मनीष तिवारी ने बताया कि लेंस के जरिए नौकरी की तलाश करते इस लोगो की तुरंत पहचान हो जाएगी। श्री तिवारी ने यह बातें आज दिल्ली के प्रगतिमैदान में प्रकाशन विभाग द्वारा आयोजित लोगो के शुभारंभ के मौके पर कही।
इस मौके पर सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि उर्दू भाषा में रोजगार समाचार का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण शुरू करना भी एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे इसकी पहुंच अधिक लोगों तक हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रकाशन विभाग की यह पहल भी सराहनीय है जिसमें तकनीक की मदद से रोजगार समाचार लोगों तक पहुंचाया जाना संभव हुआ। श्री तिवारी ने कहा किइस प्रकाशन में विकास, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों इत्यादिजैसे जनहित से जुड़े कुछ मुद्दों आलेख होना चाहिए। उन्होंने प्रकाशन विभाग को कहा किभविष्य के इसके संस्करण में दो से चार पन्नों पर ऐसे आलेख होने चाहिए।
श्री तिवारी से इंडिया 2013 और भारत 2013 का एक संदर्भ वार्षिक पुस्तिका भी जारी की जिसमें 1997 से अब तक भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की गतिविधियों, विकास और उपलब्धियों पर सूचनाओं का सटीक और विस्तृत संग्रह है।
रोजगार समाचार का यह लोगो नई दिल्ली में कॉलेज ऑफ आर्टस की घरेलू प्रतियोगिता से चुना गया। लोगो में लेंस के सहारे नौकरी तलाशते युवा को दिखाया गया है।
देशभर में प्रतिसप्ताह चार लाख प्रतियों के प्रसार के साथ रोजगार समाचार केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न संगठनों में रोजगार के अवसरों के बारे में आकांक्षी युवाओं को जानकारी मुहैया करता है। यह एक साथ तीन भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू में प्रकाशित होता है। उूर्द भाषा जानने वालों के लिए तकनीकी सुविधा का लाभ देते हुए उर्दू रोजगार समाचार का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण भी शुरू कर दिया गया है। अगस्त 2012 से अंग्रेजी और हिन्दी में भी रोजगार समाचार के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण शुरू हैं। (PIB)
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वि.कसौटिया/अनिल/राजीव/449
Monday, February 4, 2013
महाकाल को मानव कैसे जीतेगा?
10.11.2012, 17:47
सूरज बूढ़ा और पुराना हो जाएगा और वह सड़ने लगेगा
बाद में मानव को मंगल ग्रह से भी दर-बदर होना पड़ेगा
क़रीब 2 अरब 80 करोड़ साल बाद सूरज बूढ़ा और पुराना हो जाएगा और वह सड़ने लगेगा यानी वह फूलना शुरू हो जाएगा और एक विशाल लाल आग के गोले में बदल जाएगा। सूरज में होने वाले इन बदलावों का पृथ्वी पर भी बहुत बुरा असर पड़ेगा । ज़मीन पर गर्मी इस बुरी तरह से बढ़ जाएगी कि जीवन पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा। एक भी जीव-जन्तु इस धरती पर बाक़ी नहीं रहेगा। वैसे तो एक अरब 80 करोड़ साल बाद ही पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जन्तु और मनुष्य ख़त्म हो जाएँगे, लेकिन पानी में रहने वाले तरह-तरह के जीवाणु और कीटाणु तथा ज़मीन के भीतर गहराई में रहने वाले जीव फिर भी बचे रह जाएँगे।
© www.nasa.gov (Courtesy:Voice of Russia) |
यह भविष्यवाणी उन ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने की है, जो पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लुप्त होने की प्रक्रिया का क्रमबद्ध ढंग से अध्ययन कर रहे हैं। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने न सिर्फ़ सूर्य की गरमी बढ़ने से पृथ्वी पर होने वाले बदलावों का अध्ययन किया है, बल्कि उन्होंने यह भी देखा है कि यदि अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में कोई बदलाव होता है तो उसका पृथ्वी के जीवों पर क्या असर पड़ेगा।
नक्षत्रशास्त्री यह जानते हैं कि सूरज की तरह के सितारे आख़िर में विशालकाय लाल गोलों में बदल जाते हैं और उनमें होने वाला बदलाव हमेशा इसी ढंग से होता है। जब हमारा सूरज आग के लाल विशालकाय गोले में बदलेगा तो उसका आकार बीसियों गुना बढ़ जाएगा और उसकी धूप की झलक भी पीली नहीं बल्कि लाल दिखाई देगी। सूरज जब फूलकर बुध और शुक्र ग्रहों को निगलकर पृथ्वी के महासागरों का पानी सुखा देगा, उससे बहुत पहले ही पृथ्वी पर परिस्थितियाँ जीवन के लायक नहीं रह जाएँगी। मास्को विश्वविद्यालय की एक जीव-वैज्ञानिक येलेना वराब्योवा भी इस बात से सहमत हैं कि जीवाणु और कीटाणु ही हमारी पृथ्वी के अन्तिम वासी होंगे क्योंकि वे ही सबसे पहले पृथ्वी पर अवतरित भी हुए थे। सबसे पहले धरती पर उन्हीं का जन्म हुआ था। येलेना वराब्योवा ने कहा :
आज भी इस तरह के जीवाणुओं और कीटाणुओं की कमी नहीं है, जो गर्म पानी के जलाशयों और ख़ूब नमकीन पानी में रहते हैं। वैसे भी जीवाणु ऐसे जीव होते हैं, जो मानव के मुक़ाबले कठिन से कठिन जीवन-परिस्थितियों को भी झेलकर अपने अस्तित्त्व को सुरक्षित रखते हैं। हम आज यह कल्पना कर सकते हैं कि जब पृथ्वी पर जीवाणुओं के रूप में जीवन की शुरूआत हुई थी तो कैसी परिस्थितियाँ रही होंगी। तब न तो पेड़-पौधे ही थे और न ही दूसरी तरह की वनस्पतियाँ या जीव-जन्तु। इन जीवाणुओं से ही पृथ्वी पर जीवन की रचना हुई। इन जीवाणुओं के क्रमिक विकास से ही बाद में वनस्पतियों, जीव-जन्तुओं और मानव-जीवन का विकास हुआ।
तो जीवाणु ही पृथ्वी पर लम्बे समय तक जिएँगे। लेकिन मानवजाति क्या करे? वह कहाँ जाए? जीव-वैज्ञानिक येलेना वराब्योवा ने कहा -- मंगल-ग्रह पर जाकर रहा जा सकता है... :
मंगल-ग्रह पर उसके ध्रुवीय क्षेत्र में ठोस बर्फ़ के रूप में पानी जमा है। गरमी बढ़ने पर यह पानी तरल रूप ग्रहण कर लेगा और नदियों के रूप में बहने लगेगा, तब मंगल पर भी जीवन फूट पड़ेगा। शायद मंगल ही वह जगह है, जहाँ जाकर, पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होने पर मानवजाति अपना जीवन बचा सकती है।
लेकिन बाद में मानव को मंगल ग्रह से भी दर-बदर होना पड़ेगा यानी कहीं और जाना होगा। तब तक शायद मानवजाति को अन्तरिक्ष में उपस्थित दूसरे नक्षत्र-मंडलों की भी विस्तृत जानकारी हो जाएगी। कहीं न कहीं तो ऐसी परिस्थितियाँ होंगी ही, जहाँ जाकर आदमी रह सकेगा। बहुत से रूसी वैज्ञानिक भी अपने ब्रिटिश सहयोगियों की बातों से सहमत हैं। हाँ, वे उनके द्वारा बताई गई अवधि को कुछ संदेह की निगाह से देखते हैं। इसका कारण यह है कि पृथ्वी जिन प्रक्रियाओं से गुज़रेगी, उन पर न सिर्फ़ सूरज पर बढ़ने वाली गर्मी का असर पड़ेगा या पृथ्वी की कक्षा में होने वाले बदलावों का असर पड़ेगा, बल्कि सवाल यह भी है कि पृथ्वी की जलवायु और जीवमण्डल में उन प्रक्रियाओं की वज़ह से क्या बदलाव आएँगे। अभी से इसकी भविष्यवाणी करना बेहद कठिन है। हमारा विज्ञान आज, अभी तक इतना ज़्यादा विकसित नहीं हुआ है कि वह जीव-मंडल में आने वाले बदलावों में लगने वाले समय की भविष्यवाणी कर सके। वैसे भी बात सदियों-सहस्त्राब्दियों की नहीं, करोड़ों-अरबों वर्षों की हो रही है। (रेडियो रूस से साभार)
Sunday, February 3, 2013
भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया
01-फरवरी-2013 15:23 IST
दो फ्रिगेट 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत रक्षा पर विशेष लेख
आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान *हामिद हुसैन
भारतीय तटरक्षक 01 फरवरी, 2013 को अपनी 36वीं वर्षगांठ मना रहा है। अपनी स्थापना के बाद से यह सेवा एक बहुआयामी और एक उत्साहपूर्ण बल के रूप में यह उभरी है जो बहु-भूमिका वाले पोतों और विमानों की तैनाती कर हर समय भारत के समुद्री क्षेत्रों की चौकसी करता है।
भारतीय नौ-सेना के दो फ्रिगेट और सीमा शुल्क विभाग के 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत कर आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान हैं। गत वर्ष के दौरान एक प्रदूषण नियंत्रण पोत, 6 गश्ती पोत, 4 वायु कुशन पोत, 2 इंटरसेप्टर नौकाएं शामिल की गई हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय मुख्यालय (एनई) की स्थापना तथा 8 सीजी स्टेशन का सक्रियण, सक्रियण/3 सीजी स्टेशनों की शुरूआत की योजना 2013 के प्रारंभ में की गई है।
भारतीय तटरक्षक आज तीव्र विस्तार की राह पर है। इसमें आधुनिक स्तर के पोत, नौकाएं और विमान का निर्माण विभिन्न शिपयार्ड/ सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में किया जा रहा है और भविष्य में तटरक्षक अकादमी की स्थापना की जाएगी। तटरक्षक के संगठनात्मक ढाँचे में 5 क्षेत्रीय मुख्यालय, 12 जिला मुख्यालय, 42 स्टेशन तथा सभी भारतीय तटों पर 15 एयर यूनिट कार्य कर रहे हैं।
श्रम शक्ति की दृष्टि से इस सेवा ने सामान्य ड्यूटी में महिला अधिकारियों के लिए अल्प सेवा नियुक्ति की शुरूआत, मेधावी अधीनस्थ अधिकारियों को विभागीय पदोन्नति और विशेष नियुक्ति अभियान चलाकर अपने श्रम शक्ति में विस्तार किया है।
बृहत विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और तट रक्षा पर सतत निगरानी के लिए औसतन 20 पोत और 8-10 विमान तैनात किए गए है। भारतीय तटरक्षक ने तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की भी स्थापना की है जिसमें तटीय निगरानी रडार नेटवर्क और 46 सुदूर स्थलों पर इलेक्ट्रो ऑप्टीक सेंसर शामिल है। इन सेंसरों में 36 मुख्य क्षेत्र में, 6 लक्ष्यद्वीप समूह और 4 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में लगाएं गए हैं।
भारतीय तटरक्षक द्वारा तट के आस-पास के गाँवों में नियमित समुदाय संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मछली पकड़ने वाले समुदायों को मौजूदा सुरक्षा स्थितियों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उन्हें सतर्क रखना है। इसके अतिरिक्त गत वर्षों के दौरान भारतीय तट रक्षक ने 20 तटीय सुरक्षा अभ्यास और 21 तटीय सुरक्षा अभियान चलाया है।
भारतीय तटरक्षक द्वारा हर समय भारतीय खोज और बचाव क्षेत्रों में समुद्री जांच और बचाव किया जाता है। इस कठिन परिस्थिति में साहस दिखाते हुए पिछले वर्ष तटरक्षरक ने 204 लोगों की जान बचाई है। इस अवधि के दौरान भारतीय तटरक्षक द्वारा कुल 30 चिकित्सा बचाव किए गए।
भारतीय तटरक्षक ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान स्थापित की है। सहयोग समझौता/ ज्ञापन के तहत संस्थागत यात्राएं नियमित की जाती हैं। 12वीं भारत-जापान तटरक्षक उच्च स्तरीय बैठक जापान के टोक्यो में जनवरी, 2013 में की गई। अक्तूबर, 2012 में नई दिल्ली में 8वां एशियाई तटरक्षक प्रमुखों का सम्मेलन आयोजित किया गया। यह सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि इसे पहली बार भारत में आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त, भारत-पाकिस्तान संयुक्त कार्य समूह बैठक का आयोजन पहली बार नई दिल्ली में जुलाई, 2012 में किया गया।
भारतीय तटरक्षक लगातार अपना विस्तार कर रहा है और जिससे इसकी क्षमता में और विकास हो रहा है। सक्षम और पेशेवर अधिकारियों द्वारा आधुनिक पोतों और विमानों का संचालन किया जा रहा है जो देश सेवा और समुद्री सुरक्षा में कार्य कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते है। वर्ष 2013 के लिए भारतीय तटरक्षक का शीर्षक है 'समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित लक्ष्य'। यह शीर्षक इस सेवा की प्रतिबद्धता और संकल्प को प्रदर्शित करता है जो इसके आदर्श वाक्य 'वयम् रक्षाम:' में प्रतिबिम्बित है जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते है'। (PIB) (पसूका)
*एपीआरओ (रक्षा) भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया
मीणा/आनंद/लक्ष्मी - 33
पूरी सूची - 01.02.2013
दो फ्रिगेट 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत रक्षा पर विशेष लेख
आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान *हामिद हुसैन
भारतीय तटरक्षक 01 फरवरी, 2013 को अपनी 36वीं वर्षगांठ मना रहा है। अपनी स्थापना के बाद से यह सेवा एक बहुआयामी और एक उत्साहपूर्ण बल के रूप में यह उभरी है जो बहु-भूमिका वाले पोतों और विमानों की तैनाती कर हर समय भारत के समुद्री क्षेत्रों की चौकसी करता है।
भारतीय नौ-सेना के दो फ्रिगेट और सीमा शुल्क विभाग के 5 नावों की मामूली सूची से शुरूआत कर आज इस सेवा बल के पास 77 पोत और 56 विमान हैं। गत वर्ष के दौरान एक प्रदूषण नियंत्रण पोत, 6 गश्ती पोत, 4 वायु कुशन पोत, 2 इंटरसेप्टर नौकाएं शामिल की गई हैं। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय मुख्यालय (एनई) की स्थापना तथा 8 सीजी स्टेशन का सक्रियण, सक्रियण/3 सीजी स्टेशनों की शुरूआत की योजना 2013 के प्रारंभ में की गई है।
भारतीय तटरक्षक आज तीव्र विस्तार की राह पर है। इसमें आधुनिक स्तर के पोत, नौकाएं और विमान का निर्माण विभिन्न शिपयार्ड/ सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में किया जा रहा है और भविष्य में तटरक्षक अकादमी की स्थापना की जाएगी। तटरक्षक के संगठनात्मक ढाँचे में 5 क्षेत्रीय मुख्यालय, 12 जिला मुख्यालय, 42 स्टेशन तथा सभी भारतीय तटों पर 15 एयर यूनिट कार्य कर रहे हैं।
श्रम शक्ति की दृष्टि से इस सेवा ने सामान्य ड्यूटी में महिला अधिकारियों के लिए अल्प सेवा नियुक्ति की शुरूआत, मेधावी अधीनस्थ अधिकारियों को विभागीय पदोन्नति और विशेष नियुक्ति अभियान चलाकर अपने श्रम शक्ति में विस्तार किया है।
बृहत विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और तट रक्षा पर सतत निगरानी के लिए औसतन 20 पोत और 8-10 विमान तैनात किए गए है। भारतीय तटरक्षक ने तटीय निगरानी नेटवर्क (सीएसएन) की भी स्थापना की है जिसमें तटीय निगरानी रडार नेटवर्क और 46 सुदूर स्थलों पर इलेक्ट्रो ऑप्टीक सेंसर शामिल है। इन सेंसरों में 36 मुख्य क्षेत्र में, 6 लक्ष्यद्वीप समूह और 4 अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह में लगाएं गए हैं।
भारतीय तटरक्षक द्वारा तट के आस-पास के गाँवों में नियमित समुदाय संपर्क कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मछली पकड़ने वाले समुदायों को मौजूदा सुरक्षा स्थितियों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने के लिए उन्हें सतर्क रखना है। इसके अतिरिक्त गत वर्षों के दौरान भारतीय तट रक्षक ने 20 तटीय सुरक्षा अभ्यास और 21 तटीय सुरक्षा अभियान चलाया है।
भारतीय तटरक्षक द्वारा हर समय भारतीय खोज और बचाव क्षेत्रों में समुद्री जांच और बचाव किया जाता है। इस कठिन परिस्थिति में साहस दिखाते हुए पिछले वर्ष तटरक्षरक ने 204 लोगों की जान बचाई है। इस अवधि के दौरान भारतीय तटरक्षक द्वारा कुल 30 चिकित्सा बचाव किए गए।
भारतीय तटरक्षक ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान स्थापित की है। सहयोग समझौता/ ज्ञापन के तहत संस्थागत यात्राएं नियमित की जाती हैं। 12वीं भारत-जापान तटरक्षक उच्च स्तरीय बैठक जापान के टोक्यो में जनवरी, 2013 में की गई। अक्तूबर, 2012 में नई दिल्ली में 8वां एशियाई तटरक्षक प्रमुखों का सम्मेलन आयोजित किया गया। यह सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि इसे पहली बार भारत में आयोजित किया गया। इसके अतिरिक्त, भारत-पाकिस्तान संयुक्त कार्य समूह बैठक का आयोजन पहली बार नई दिल्ली में जुलाई, 2012 में किया गया।
भारतीय तटरक्षक लगातार अपना विस्तार कर रहा है और जिससे इसकी क्षमता में और विकास हो रहा है। सक्षम और पेशेवर अधिकारियों द्वारा आधुनिक पोतों और विमानों का संचालन किया जा रहा है जो देश सेवा और समुद्री सुरक्षा में कार्य कर अपने को गौरवान्वित महसूस करते है। वर्ष 2013 के लिए भारतीय तटरक्षक का शीर्षक है 'समुद्री सुरक्षा पर केंद्रित लक्ष्य'। यह शीर्षक इस सेवा की प्रतिबद्धता और संकल्प को प्रदर्शित करता है जो इसके आदर्श वाक्य 'वयम् रक्षाम:' में प्रतिबिम्बित है जिसका अर्थ है 'हम रक्षा करते है'। (PIB) (पसूका)
*एपीआरओ (रक्षा) भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया
मीणा/आनंद/लक्ष्मी - 33
पूरी सूची - 01.02.2013
Friday, February 1, 2013
लोकपाल विधेयक 2011 में सरकारी संशोधन
01-फरवरी-2013 20:10 IST
प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार
लोकपाल के चयन का कॉलिजियम: विधेयक में लोकपाल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री, अध्यक्ष (लोकसभा), नेता विपक्ष (राज्यसभा), भारत के मुख्य न्यायाधीशों या मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नामित जाने-माने न्यायविद की चयन समिति द्वारा किए जाने का प्रावधान है। प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि चयन समिति का पांचवां सदस्य (जाने-माने न्यायविद) चयन समिति के चार सदस्यों की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाए। सरकार के इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। सार्वजनिक एवं दान प्राप्त करनेवाली संस्थाओं पर अधिकार क्षेत्र प्रवर समिति ने जनता द्वारा दान प्राप्त करने वाली संस्थाओं और संस्थानों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की है। सरकार ने सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत ऐसी संस्थानों या प्राधिकारियों को छूट देने का निश्चय किया है जिनका गठन या नियुक्ति किसी केन्द्रीय पर राज्य या प्रांतीय अधिनियम के तहत सार्वजनिक धार्मिक या धर्मादि ट्रस्टों या इंडोमेंट्स या धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों में किया गया हो। सार्वजनिक रूप से दान प्राप्त करनेवाली अन्य गैरसरकारी संस्थाएं लोकपाल के दायरे में रहेंगी।सीधे तौर पर जांच करने का अधिकार: प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि लोकपाल को प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार दिया जाए बशर्ते कि लोकपाल को लगे कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है। सरकार ने इस संशोधन के साथ यह भी सिफारिश स्वीकार कर ली है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं इस निर्णय पर पहुंचने से पहले लोकपाल जनसेवक से स्पष्टीकरण मांगे और तब तय करे कि सीधी जांच प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं''।लोकसेवक की बात सुनने का अवसरः चयन समिति ने सिफारिश की है कि जांच एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान लोकसेवक की टिप्पणी अनिवार्य नहीं हो (धारा 20(2)। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जांच का आदेश देने से पहले लोकपाल द्वारा सुनवाई का अवसर समाप्त किया जा सकता है (धारा 20(3)) लोकसेवक और सरकार सक्षम अधिकारी को प्रारंभिक जांच स्तर और जांच का औपचारिक आदेश देने से बहुत से मामलों में संदेह समाप्त हो जाएगा और नियमित जांच के लिए मामलों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। सरकार ने चयन समिति की इस सिफारिश को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है और वह इसके लिए संशोधन पेश करेगी।
Ø लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए आदेश देने की शक्तिः
Ø समिति ने यह सुझाव दिया है कि लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी देने की शक्ति सरकार से हटाकर लोकपाल को दी जा सकती है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि इस प्रकार का निर्णय लेते समय लोकपाल के लिए सक्षम अधिकारी और लोकसेवक की टिप्पणियां प्राप्त करना जरूरी हो सकता है। सरकार ने समिति के इस सुझाव को स्वीकार करने का निर्णय लिया है।
Ø सीबीआई को सशक्त बनानाःसमिति ने सीबीआई को सशक्त बनाने के लिए विधेयक में कई संशोधन करने के लिए सुझाव दिये हैः-
Ø1. सीबीआई निदेशक के नियंत्रणाधीन एक अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में एक अभियोजन निदेशालय की स्थापना करना।
2. केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सुझाव पर अभियोजन निदेशक की नियुक्ति करना।
3. लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की देख-रेख के लिए लोकपाल की सहमति के साथ सरकारी अधिवक्ताओं को छोड़कर सीबीआई द्वारा अधिवक्ताओं का एक पैनल बनाना।
4. लोकपाल द्वारा बताये गये मामले की जांच के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त धन होने का प्रावधान।
5. लोकपाल की स्वीकृति के साथ लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों का स्थानांतरण करना।
सरकार ने अंतिम एक सुझाव को छोड़कर इन सभी सुझावों को मानने का निर्णय लिया है, जोकि लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए लोकपाल की मंजूरी से संबंधित हैं। इस प्रस्ताव को इसलिए नहीं माना जा सकता कि इससे सीबीआई के क्रियाकलाप पर प्रभाव पड़ेगा।
विधेयक की अन्य प्रमुख विशेषताएं
Ø सीबीआई पर पर्यवेक्षण की शक्तियां- यह विधेयक लोकपाल को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (सीबीआई) पर जांच के लिए लोकपाल द्वारा सौंपे गये मामले के संदर्भ में अधीक्षण की शक्तियां प्रदान करता है।
Ø सीबीआई निदेशक की नियुक्तिः प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीबीआई निदेशक के चयन के बारे में संस्तुति करेगी।
Ø अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति को जब्त करनाः अभियोजन लंबित रहने की स्थिति मे भी भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त करने के प्रावधान विधेयक में शामिल हैं।
Ø भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ानाः इस विधेयक में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया हैः-
Øए) सात वर्ष से लेकर दस वर्ष तक अधिकतम दंड
Øबी) छः माह से लेकर दो वर्षों तक न्यूनतम दंड (PIB)
वि.कासोटिया/सुधीर/राजेन्द्र/मीना/सुनील/निर्मल-420
प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार
लोकपाल के चयन का कॉलिजियम: विधेयक में लोकपाल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री, अध्यक्ष (लोकसभा), नेता विपक्ष (राज्यसभा), भारत के मुख्य न्यायाधीशों या मुख्य न्यायाधीश द्वारा मनोनीत सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और राष्ट्रपति द्वारा नामित जाने-माने न्यायविद की चयन समिति द्वारा किए जाने का प्रावधान है। प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि चयन समिति का पांचवां सदस्य (जाने-माने न्यायविद) चयन समिति के चार सदस्यों की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाए। सरकार के इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। सार्वजनिक एवं दान प्राप्त करनेवाली संस्थाओं पर अधिकार क्षेत्र प्रवर समिति ने जनता द्वारा दान प्राप्त करने वाली संस्थाओं और संस्थानों को लोकपाल के दायरे से बाहर रखने की सिफारिश की है। सरकार ने सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत ऐसी संस्थानों या प्राधिकारियों को छूट देने का निश्चय किया है जिनका गठन या नियुक्ति किसी केन्द्रीय पर राज्य या प्रांतीय अधिनियम के तहत सार्वजनिक धार्मिक या धर्मादि ट्रस्टों या इंडोमेंट्स या धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों में किया गया हो। सार्वजनिक रूप से दान प्राप्त करनेवाली अन्य गैरसरकारी संस्थाएं लोकपाल के दायरे में रहेंगी।सीधे तौर पर जांच करने का अधिकार: प्रवर समिति ने सिफारिश की है कि लोकपाल को प्राथमिक जांच का आदेश दिए बिना सीधे जांच करने का अधिकार दिया जाए बशर्ते कि लोकपाल को लगे कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है। सरकार ने इस संशोधन के साथ यह भी सिफारिश स्वीकार कर ली है कि प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं इस निर्णय पर पहुंचने से पहले लोकपाल जनसेवक से स्पष्टीकरण मांगे और तब तय करे कि सीधी जांच प्रथम दृष्टया मामला बनता है या नहीं''।लोकसेवक की बात सुनने का अवसरः चयन समिति ने सिफारिश की है कि जांच एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान लोकसेवक की टिप्पणी अनिवार्य नहीं हो (धारा 20(2)। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि जांच का आदेश देने से पहले लोकपाल द्वारा सुनवाई का अवसर समाप्त किया जा सकता है (धारा 20(3)) लोकसेवक और सरकार सक्षम अधिकारी को प्रारंभिक जांच स्तर और जांच का औपचारिक आदेश देने से बहुत से मामलों में संदेह समाप्त हो जाएगा और नियमित जांच के लिए मामलों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। सरकार ने चयन समिति की इस सिफारिश को स्वीकार नहीं करने का फैसला किया है और वह इसके लिए संशोधन पेश करेगी।
Ø लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए आदेश देने की शक्तिः
Ø समिति ने यह सुझाव दिया है कि लोकसेवकों पर मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी देने की शक्ति सरकार से हटाकर लोकपाल को दी जा सकती है। समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि इस प्रकार का निर्णय लेते समय लोकपाल के लिए सक्षम अधिकारी और लोकसेवक की टिप्पणियां प्राप्त करना जरूरी हो सकता है। सरकार ने समिति के इस सुझाव को स्वीकार करने का निर्णय लिया है।
Ø सीबीआई को सशक्त बनानाःसमिति ने सीबीआई को सशक्त बनाने के लिए विधेयक में कई संशोधन करने के लिए सुझाव दिये हैः-
Ø1. सीबीआई निदेशक के नियंत्रणाधीन एक अभियोजन निदेशक की अध्यक्षता में एक अभियोजन निदेशालय की स्थापना करना।
2. केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सुझाव पर अभियोजन निदेशक की नियुक्ति करना।
3. लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की देख-रेख के लिए लोकपाल की सहमति के साथ सरकारी अधिवक्ताओं को छोड़कर सीबीआई द्वारा अधिवक्ताओं का एक पैनल बनाना।
4. लोकपाल द्वारा बताये गये मामले की जांच के लिए सीबीआई के पास पर्याप्त धन होने का प्रावधान।
5. लोकपाल की स्वीकृति के साथ लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों का स्थानांतरण करना।
सरकार ने अंतिम एक सुझाव को छोड़कर इन सभी सुझावों को मानने का निर्णय लिया है, जोकि लोकपाल द्वारा भेजे गये मामले की जांच करने वाले सीबीआई अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए लोकपाल की मंजूरी से संबंधित हैं। इस प्रस्ताव को इसलिए नहीं माना जा सकता कि इससे सीबीआई के क्रियाकलाप पर प्रभाव पड़ेगा।
विधेयक की अन्य प्रमुख विशेषताएं
Ø सीबीआई पर पर्यवेक्षण की शक्तियां- यह विधेयक लोकपाल को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (सीबीआई) पर जांच के लिए लोकपाल द्वारा सौंपे गये मामले के संदर्भ में अधीक्षण की शक्तियां प्रदान करता है।
Ø सीबीआई निदेशक की नियुक्तिः प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति सीबीआई निदेशक के चयन के बारे में संस्तुति करेगी।
Ø अवैध तरीके से अर्जित संपत्ति को जब्त करनाः अभियोजन लंबित रहने की स्थिति मे भी भ्रष्टाचार द्वारा अर्जित संपत्ति को जब्त करने के प्रावधान विधेयक में शामिल हैं।
Ø भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ानाः इस विधेयक में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के अधीन दंड़ को बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया हैः-
Øए) सात वर्ष से लेकर दस वर्ष तक अधिकतम दंड
Øबी) छः माह से लेकर दो वर्षों तक न्यूनतम दंड (PIB)
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