Thursday, December 27, 2012

बालीवुड में गौरव सग्गी

फ़िल्मी दुनिया में फिर लुधियाना की मौजूदगी का अहसास
पंजाबी फिल्मों की बात चले तो जो नाम और चेहरे एकदम जहन में आते है उनमें से एक चेहरा है सरदार भाग सिंह का। चंडीगढ़ के बस स्टैंड से बाहर निकलते ही सडक पार करके उनके घर में जाना किसी वक्त रोज़ की बात हुआ करती थी। वक्त की गर्दिश में फिर यह सिलसिला न चाहते हुए ही लगातार कम होता चला गया। यहाँ रोज़ी रोटी के फ़िक्र में ऐसे सिलसिले अक्सर कम हो जाते हैं। पर उनकी जो बातें अब तक जहन में हैं उनमें से एक है सोमवार। वह सोमवार को उपवास रखते थे। भगवान् शिव में उनकी गहरी आस्था थी। शिव का नटराज रूप उनके ड्राईंग रूम में भी सजा होता। कभी मूड होने पर वह भगवान् शिव और कला की विस्तृत चर्चा भी करते। 
Photo Courtesy:Sara Tariq
इसी तरह गायन और अभिनय के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाने वाली सुलक्षना पंडित भी बहुत अध्यात्मिक थी।सर्दी हो या ओले बरस रहे हों हर रोज़ सुबह पूरे केशों सहित स्नान करना और फिर पूजा पाठ में काफी समय गुज़ारना उनकी दिनचर्या में शामिल था। उनकी आवाज़ में भी जादू सा था और अभिनय में भी। बहुत सी लोकप्रिय फिल्मों में यादगारी भूमिका निभा पाना और फिर फिल्म फेयर एवार्ड भी हासिल कर लेना कोई आसान बात नहीं थी। हालाँकि उनके सामने चुनौती भी सख्त थी और प्रतियोगिता भी। 
दर्शकों के मन में हनुमान जी की छवि बनने के बाद दारा सिंह जी भी धर्म कर्म में बहुत रुचि लेने लगे। शायद यही कारण है कि दर्शक उनमें हनुमान जी को ही देखने लगे। पहले पहले मुझे लगता था की शायद इस तरह के सात्विक किस्म के लोग तामसिक प्रवृतियों से भरी फ़िल्मी दुनिया में सफल नहीं हो सकेंगे। पर इन सबकी सफलता देख कर दुनिया के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया। पंजाबी फ़िल्मी दुनिया के महारथी भाग सिंह ने किस तरह अपनी बेटी बरखा को पत्रकारिता की बारीकियों से अवगत करा कर एक कुआलिफाईड पत्रकार बनाया। अभिनय में नई जान डालने 
पठानकोट में गौरव सग्गी के भक्ति रस में झूमते भक्त 
वाली अपनी धर्मपत्नी कमला भाग सिंह के साथ किस तरह कदम दर कदम मिला कर कठिन से कठिन रास्तों पर चल कर सफलता की ऊंचाइयों को छुआ यह किसी करामत से कम नहीं। मुझे उनके परिवार के साथ इतय एक एक पल बिना किसी कोशिश के अब तक याद है। भाग सिंह जी का गोरा   रंग और मेहंदी रंगी भूरी दाड़ी कुल मिलकर उनकी शख्सियत बहुत ही आकर्षक लगती रिटायर्मेंट के बाद इस तरह की  सहेज पान तभी संभव होता है जब दिल और दिमाग के ख्याल भी बहुत खूबसूरत हों। ज़िन्दगी के सभी रंगों को उन्हों ने मुस्करा कर समझा। हर मुश्किल को उन्होंने हर बार सुस्वागतम कहा। एक आम इंसान की तरह ज़िंदगी जीते जीते वह अचानक ही अपनी सहजता के कारण खास हो जाते। मुझे याद है एक बार एक फ़िल्मी मेले के आयोजन को लेकर कुछ पत्रकार दोस्तों ने काफी कुछ विरोध में लिखा पर जब वे भाग सिंह जी के सम्पर्क में आये तो उनका नजरिया पूरी तरह बदल गया। वे समझ गए कि मामले को देखना अपनी अपनी सोच पर भी निर्भर करता है। जादू केवल जादूगर की छड़ी में नहीं शब्दों में भी होता है। बाद में यह विरोध दोस्ती में बदल गया। वे पत्रकार दोस्त दिल्ली से उन्हें मिलने विशेष तौर पर चंडीगढ़ आते।
लुधियाना का गौरव सग्गी 
इसी तरह दारा सिंह जी ने भी धमकियों और चुनौतियों को बहुत ही सहजता से सवीकार करके ज़िन्दगी जीने के नए अदाज़ सिखाये। चंडीगढ़ में दारा स्टूडियो की स्थापना का काम आसान नहीं था। मुझे पता चला कि उन्हें उतनी जगह नहीं मिली जितनी वह चाहते थे। किसी सनसनीखेज़ खबर की चाह में मैंने दारा जी से इसी मुद्दे पर सवाल कर दिया। दारा जी मुझे देखकर मुस्कराए और बहुत ही सहजता से बोले अगर सरकार यह जगह भी न देती तो हम क्या कर लेते? दारा जी जैसे महान लोगों ने जिंदगी को जो सलीके और सबक सिखाये उनकी अहमियत वक्त के साथ साथ लगातार बढती रहेगी। उनके पास बैठ कर, उनसे बातें करके एक नई ऊर्जा का अहसास होता था।
आज अचानक यह सब कुछ मुझे याद आ रहा है एक नए युवा चेहरे को देख कर। लुधियाना का गौरव सग्गी भी फ़िल्मी दुनिया को समर्पित है लेकिन पूरी तरह सात्विक रहते हुए। तकरीबन तकरीबन हर रोज़ उपवास, हर रोज़ पूजा पाठ, हर रात्रि मेडिटेशन। सोने में चाहे आधी रात हो जाये लेकिनउठना वही रात को दो बजे और ठंडे पानी से नहा कर रम जाना पूजा पाठ में। मेडिटेशन, रियाज़ या फिर शूटिंग, रिकार्डिंग या कोई और परफोर्मेंस बस यही है गौरव की दिनचर्या। मैंने कभी गौरव को आम लडकों की तरह इधर उधर आलतू फालतू बातों में नहीं देखा। लुधियाना से मुम्बई और मुम्बई से विदेश तक यही है उसका लाइफ स्टाइल।
कहते हैं धरती गोल भी है बहुत छोटी भी। बस इसी सिद्धांत पर एक बार हमारी मुलाकात पठानकोट में हुई। सुबह मूंह अँधेरे से लेकर देर शाम तक हम एक साथ रहे। यह सब किसी प्रोजेक्ट को लेकर था और इसके बारे में वहां शायद किसी को खबर भी नहीं थी लेकिन हमें वहां बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के जाना पड़ा एक ही आयोजन में। हम सब ने जलपान किया लेकिन गौरव का उपवास था। खाना तो दूर जल या चाये की एक बूँद भी नहीं। अचानक ही मेरे सामने किसी आयोजक ने मंच पर गौरव का नाम अनाऊंस करवा दिया और उसके बाद कमरे में आ कर कहा कि अब आप मंच पर आ जाइये अगली बारी आपकी है। सुन कर मुझे चिंता हुई। मुझे मालूम था कि गौरव ने सुबह से कुछ नहीं खाया। 
चाये या पानी का एक घूँट भी नहीं। मुझे लगा कि शायद यह लड़का कहीं मंच पर गिर न पड़े। इसके साथ ही न वहां गौरव की टीम थी न ह साज़ और संगीत का पर्याप्त प्रबंध। पर गौरव के चेहरे पर न चिंता, न डर, न ही घबराहट। आशंकित मन के साथ कुछ ही पलों के बाद मैं भी पीछे पीछे बाहर बने मंच पर चला गया।वहां मेरे देखते ही देखते गौरव ने भगवान् का नाम लेकर अपना गायन शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में वहां मौजूद सभी लोग पहले तो मस्त हुए फिर उठ कर गौरव के साथ साथ झूमने लगे।मुझे वह दिन अब भी याद आता है तो मुझे फिर फिर हैरानी होने लगती है। सुबह से लेकर रात तक मैंने गौरव पर से आँख नहीं हटाई तां कि वह छुप कर कहीं कुछ खा तो नहीं रहा पर सचमुच उसने सारा दिन कुछ नहीं खाया-पीया। मुझे लगता है कि इस के बावजूद इतनी अच्छी परफारमेंस किसी दैवी शक्ति से ही संभव हो सकी। गौरतलब है की मेडिटेशन करने वालों की कार्यक्षमता अक्सर बढ़ जाती है। मन की शक्ति एकाग्र हो जाने से उनकी योग्यता विकसित होती है।यही कारण है गौरव एक्टिंग में भी काम कर रहा है और गीत संगीत में भी। इसके साथ ही कैमरे की बारीकियों  को भी वह बहुत ही अच्छी तरह से समझता है। अपनी लोकप्रिय एल्बम "रब दा सहारा" में उसने गायन और अभिनय दोनों में अपना जादू दिखाया है। आखिर में एक बात और इस सबके लिए वह अपने पिता अश्विनी सग्गी और माता के आशीर्वाद को ही एक वरदान मानता है।-रेक्टर कथूरिया 


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तेज़ी से बुलंदियां छू रहा गौरव सग्गी 

Monday, December 24, 2012

सरकार ने किया जांच आयोग का गठन

24-दिसंबर-2012 17:20 IST
सामूहिक दुष्‍कर्म मामले में कड़ी कार्रवाई का आश्‍वासन 
दिल्‍ली में हुए सामूहिक दुष्‍कर्म मामले पर केन्‍द्रीय गृहमंत्री के वक्‍तव्‍य का विवरण इस प्रकार है: 
''16 दिसम्‍बर, 2012 को दिल्‍ली में हुए सामूहिक दुष्‍कर्म की चौंका देनी वाली घटना पर सरकार काफी चिन्तित है। पुलिस सभी छह अभियुक्‍तों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनको सजा दिलाने के लिए पर्याप्‍त साक्ष्‍य इकट्ठे किए गये हैं और इस मामले में आरोप पत्र जल्‍द ही दाखिल किए जाएंगे। इस मामले की सुनवाई प्रतिदिन हो सके, इसके लिए सरकार न्‍यायालय से फास्‍ट ट्रैक न्‍यायालय के जरिए त्‍वरित सुनवाई का आग्रह कर रही है। इस घृणित अपराध में शामिल उस बस के ट्रांसपोर्टर के खिलाफ भी शीघ्र कार्रवाई की गई है। इस ट्रांसपोर्टर के सभी नौ वाहनों के परमिट रद्द कर दिए गये हैं। 

पीडि़ता को अच्‍छी से अच्‍छी चिकित्‍सा सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। उसकी हालत में सुधार के लिए जो कुछ भी आवश्‍यक होगा वह सरकार करेगी। उसकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। उसने इस अपराध से संबंधित मामले में एक्सिक्‍यूटिव मजिस्‍ट्रेट के समक्ष अपना बयान दे दिया है। 

पीडि़त युवती के लिए समाज द्वारा जो चिंता और समर्थन व्‍य‍क्‍त किया जा रहा है, उससे सरकार अपने को जोड़ती है। सरकार विरोध प्रदर्शन के वैध अधिकार का भी सम्‍मान करती है, लेकिन इसके साथ ही शांति बनाये रखने की भी आवश्‍यकता है और सुरक्षा के माहौल में सुधार लाने के लिए सभी को एकजुट होकर कार्य करने की आवश्‍यकता है। 

अपनी ओर से सरकार राजधानी के साथ-साथ देश के बाकी हिस्‍सों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्‍ली में हाल ही में कई कदम उठाये गये हैं जिनमें निम्‍नलिखित है : 

(i) रात्रि के समय बसों की संख्‍या बढ़ा कर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाना। 

(ii) सभी सार्वजनिक वाहनों में जीपीएस लगाना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपने निर्धारित मार्गों से अलग अन्‍य मार्गों न चलें। 

(iii) यह भी सुनिश्चित करना कि सार्वजनिक परिवहन में तैनात कर्मचारी पहचान पत्र रखें, जो सत्‍यापित हों। 

(iv) मनोरंजन केन्‍द्रों और कार्यस्‍थलों से देर रात लौटने वाले परिवारों और महिलाओं द्वारा लिए जाने वाले मार्गों में पुलिस वैन/मोटरसाइकिलों की गश्‍त को सक्रिय करना तथा इसे और बढ़ाना।

इस तरह के अपराधों से निपटने के लिए सरकार एक कठोर कानून बनाएगी और आपराधिक कानून में संशोधन के लिए शीघ्र ही कदम उठाएगी ताकि इस तरह के अत्यन्त दुर्लभ यौन उत्‍पीड़न के मामलों में बड़ी और अधिक कारगर सजा दी जा सके। 

सरकार जांच आयोग अधिनियम 1952 के तहत एक जांच आयोग का गठन करेगी जो इस भंयकर अपराध पर हुई प्रतिक्रियाओं की समीक्षा करेगी साथ ही राजधानी दिल्‍ली में महिलाओं की सुरक्षा व्‍यवस्‍था बेहतर बनाने के लिए उपाय सुझाएगी। (PIB)

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Wednesday, December 19, 2012

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता


इन्हे बस अपने–अपने वोट बैंक की चिंता
Tue, Dec 18, 2012 at 9:03 AM
                      यह तस्वीर समय लाईव से साभार 
राज्यसभा द्वारा सोमवार को भारी बहुमत से 117वाँ संविधान विधयेक के पास होते ही पदोन्नति मे आरक्षण विधेयक के पास होने का रास्ता अब साफ हो गया है. अब यह विधेयक लोकसभा मे पेश किया जायेगा. हलांकि इस विषय के चलते भयंकर सर्दी के बीच इन दिनो राजनैतिक गलियारो का तपमान उबल रहा था. परंतु इस विधेयक के चलते यह भी साफ हो गया कि गठबन्धन की इस राजनीति मे कमजोर केन्द्र पर क्षेत्रिय राजनैतिक दल हावी है. अभी एफडीआई का मामला शांत भी नही हुआ था कि अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये पदोन्नति मे आरक्षण के विषय ने जोर पकड लिया. एफडीआई को लागू करवाने मे सपा और बसपा जैसे दोनो दल सरकार के पक्ष मे खडे होकर बहुत ही अहम भूमिका निभायी थी, परंतु अब यही दोनो दल एक-दूसरे के विरोध मे खडे हो गये है. इन दोनो क्षेत्रीय दलो के ऐसे कृत्यो से यह एक सोचनीय विषय बन गया है कि इनके लिये देश का विकास अब कोई महत्वपूर्ण विषय नही है इन्हे बस अपने – अपने वोट बैंक की चिंता है कि कैसे यह सरकार से दलाली करने की स्थिति मे रहे जिससे उन्हे तत्कालीन सरकार से अनवरत लाभ मिलता रहे.
लेखक राजीव गुप्ता 
2014 मे आम चुनाव को ध्यान मे रखकर सभी दलो के मध्य वोटरो को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. उत्तर प्रदेश के इन दोनो क्षेत्रीय दलो के पास अपना – अपना एक तय वोट बैंक है. एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्यसभा अध्यक्ष हामिद अंसारी पर अपना विरोध प्रकट करते हुए यूपीए सरकार से अनुसूचित जाति एव जनजाति के लिये आरक्षण पर पांचवी बार संविधान संशोधन हेतु विधेयक लाने हेतु सफल दबाव बनाते हुए एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने दलित वोट बैंक को सुदृढीकरण करने का दाँव चला तो दूसरी तरफ सपा ने उसका जोरदार तरीके से विरोध जता करते हुए कांग्रेस और भाजपा के अगडो-पिछडो के वोट बैंक मे सेन्ध लगाने का प्रयास कर रही है.इस विधेयक के विरोध मे उत्तर प्रदेश के लगभग 18 लाख कर्मचारी हडताल पर चले गये तो समर्थन वाले कर्मचारियो ने अपनी – अपनी कार्यावधि बढाकर और अधिक कार्य करने का निश्चय किया. भाजपा के इस संविधान संशोधन के समर्थन की घोषणा करने के साथ ही उत्तर प्रदेश स्थित उसके मुख्यालय पर भी प्रदर्शन होने लगे. सपा सुप्रीमो ने यह कहकर 18 लाख कर्मचारियो की हडताल को सपा-सरकार ने खत्म कराने से मना कर दिया कि यह आग उत्तर प्रदेश से बाहर जायेगी और अब देश के करोडो लोग हडताल करेंगे. दरअसल मुलायम की नजर अब एफडीआई मुद्दे से हुई अपने दल की धूमिल छवि को सुधारते हुए अपने को राष्ट्रीय नेता की छवि बनाने की है क्योंकि वो ऐसे ही किसी मुद्दे की तलाश मे है जिससे उन्हे 2014 के आम चुनाव के बाद किसी तीसरे मोर्चे की अगुआई करने का मौका मिले और वे अधिक से अधिक सीटो पर जीत हासिल कर प्रधानमंत्री बनने का दावा ठोंक सके.

मुलायम को अब पता चल चुका है कि दलित वोट बैंक की नौका पर सवार होकर प्रधानमंत्री के पद की उम्मीदवारी नही ठोंकी जा सकती अत: अब उन्होने अपनी वोट बैंक की रणनीति के अंकगणित मे एक कदम आगे बढते हुए अपने “माई” (मुसलमान-यादव) के साथ-साथ अपने साथ अगडॉ-पिछडो को भी साथ लाने की कोशिशे तेज कर दी है. उनकी सरकार द्वारा नाम बदलने के साथ-साथ कांशीराम जयंती और अम्बेडकर निर्वाण दिवस की छुट्टी निरस्त कर दी जिससे दलित-गैर दलित की खाई को और बढा दिया जा सके परिणामत: वो अपना सियासी लाभ ले सकने मे सफल हो जाये. दरअसल यह वैसे ही है जैसे कि चुनाव के समय बिहार मे नीतिश कुमार ने दलित और महादलित के बीच एक भेद खडा किया था ठीक उसी प्रकार मुलायम भी अब समाज मे दलित-गैर दलित के विभाजन खडा कर अपना राजनैतिक अंकगणित ठीक करना चाहते है.

कांग्रेस ने भी राज्यसभा मे यह विधेयक लाकर अपना राजनैतिक हित तो साधने के कोई कसर नही छोडा क्योंकि उसे पता है कि इस विधेयक के माध्यम से वह उत्तर प्रदेश मे मायावती के दलित वोट बैंक मे सेन्ध लगाने के साथ-साथ पूरे देश के दलित वर्गो को रिझाने मे वह कामयाब हो जायेंगी और उसे उनका वोट मिल सकता है. वही देश के सवर्ण-वर्ग को यह भी दिखाना चाहती है कि वह ऐसा कदम मायावती के दबाव मे आकर उठा रही है, साथ ही एफडीआई के मुद्दे पर बसपा से प्राप्त समर्थन की कीमत चुका कर वह बसपा का मुहँ भी बन्द करना चाहती है. भाजपा के लिये थोडी असमंजस की स्थिति जरूर है परंतु वह भी सावधानी बरतते हुए इस विधेयक मे संशोधन लाकर एक मध्य-मार्ग के विकल्प से अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश मे है. दरअसल सपा-बसपा के बीच की इस लडाई की मुख्य वजह यह है कि जहाँ एक तरफ मायावती अपने को दलितो का मसीहा मानती है दूसरी तरफ मुलायम अपने को पिछ्डो का हितैषी मानते है. मायवती के इस कदम से मुख्य धारा मे शामिल होने का कुछ लोगो को जरूर लाभ मिलेगा परंतु उनके इस कदम से कई गुना लोगो के आगे बढने का अवसर कम होगा जिससे समाजिक समरसता तार-तार होने की पूरी संभावना है परिणामत: समाज मे पारस्परिक विद्वेष की भावना ही बढेगी.

समाज के जातिगत विभेद को खत्म करने के लिये ही अंबेडकर साहब ने संविधान मे जातिगत आरक्षण की व्यवस्था की थी परंतु कालांतर मे उनकी जातिगत आरक्षण की यह व्यवस्था राजनीति की भेंट चढ गयी. 1990 मे मंडल कमीशन की रिपोर्ट लागू करने के निर्णय ने राजनैतिक दलो के राजनैतिक मार्ग को और प्रशस्त किया परिणामत: समूचा उत्तर प्रदेश इन्ही जातीय चुनावी समीकरणो के बीच फंसकर विकास के मार्ग से विमुख हो गया. इन समाजिक - विभेदी नेताओ को अब ध्यान रखना चाहिये कि जातिगत आरक्षण को लेकर आने वाले कुछ दिनो आरक्षण का आधार बदलने की मांग उठने वाली है और जिसका समर्थन देश का हर नागरिक करेगा, क्योंकि जनता अब जातिगत आरक्षण-व्यवस्था से त्रस्त हो चुकी है और वह आर्थिक रूप से कमजोर समाज के व्यक्ति को आरक्षण देने की बात की ही वकालत करेगी.

बहरहाल आरक्षण की इस राजनीति की बिसात पर ऊँट किस करवट बैठेगा यह तो समय के गर्भ में है, परंतु अब समय आ गया है कि आरक्षण के नाम पर ये राजनैतिक दल अपनी–अपनी राजनैतिक रोटियां सेकना बंद करे और समाज - उत्थान को ध्यान में रखकर फैसले करे ताकि समाज के किसी भी वर्ग को ये ना लगे कि उनसे उन हक छीना गया है और किसी को ये भी ना लगे कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी उन्हें मुख्य धारा में जगह नहीं मिली है. तब वास्तव में आरक्षण का लाभ सही व्यक्ति को मिल पायेगा और जिस उद्देश्य को ध्यान मे रखकर संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी वह सार्थक हो पायेगा.      राजीव गुप्ता(9811558925)

आरक्षण पर राजनीति//राजीव गुप्ता

Tuesday, December 18, 2012

सब्सिडी वाले गैस कनेक्शन के लिए नये नियम

एक आवासीय इकाई में एक घरेलू एलपीजी कनेक्शन 
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्‍य मंत्री श्रीमती पनबाका लक्ष्मी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत प्रावधानों के अनुसार एक आवासीय इकाई में पति,पत्नी,अविवाहित बच्चों और आश्रित माता-पिता सहित एक साथ रह रहा परिवार, जिसकी एक साझी रसोई हो, परिवार के किसी भी वयस्क सदस्य के नाम पर जारी घरेलू एलपीजी कनेक्शन ले सकता है। उपर्युक्त शर्त के उल्लंघन में उसी पते पर अलग-अलग नामों पर और उसी नाम और उसी पते पर एक से अधिक एलपीजी कनेक्शन अनुमत नहीं है। तथापि, ऐसे कनेक्शनों को ग्राहक के अनुरोध पर गैर घरेलू छूट प्राप्त श्रेणियों (एनडीईसी) की दरों पर 14.2 कि0ग्राम कनेक्शन में परिवर्तित करने की अनुमति प्रदान की गई है। 

उन्होंने स्वीकार किया कि घरेलू इस्तेमाल के लिए एलपीजी के खुदरा मूल्य और वाणिज्यिक एलपीजी के बाजार मूल्य में अंतर होने के कारण कुछ बेईमान तत्वों द्वारा राजसहायता प्राप्त घरेलू एलपीजी सिलेंडरों के कदाचार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। 

मंत्री महोदया ने कहा कि एलपीजी वितरण में कदाचारों को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियां (ओएमसीज) वितरकों के परिसरों का नियमित रूप से औचक निरीक्षण, रीफिल जांच, ग्राहकों के परिसरों पर औचक जांच, सुपुर्दगी वाहनों की मार्गस्थ जांच, औचक गुणवत्ता नियंत्रण जांच करती है, जिसमें वितरकों के गोदामों पर सिलेंडरों का वज़न आदि करना शामिल है। एलपीजी वितरकों का किसी कदाचार में दोषी पाए जाने पर विपणन अनुशासन दिशा –निर्देशों (एमडीजी) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाती है। 

तेल वितरण कंपनियों द्वारा की गई कार्रवाई के अतिरिक्त राज्य सरकारों को भी अनिवार्य वस्तु अधिनियम, 1955 के अंतर्गत प्रकाशित एलपीजी (आपूर्ति और वितरण का विनियमन) आदेश, 2000 के अंतर्गत घरेलू एलपीजी की कालाबाजारी के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए अधिकार दिए गए हैं। (PIB)   18-दिसंबर-2012 18:21 IST
वि.कासोटिया/क्वात्रा/मीना —6196

Saturday, December 15, 2012

27वीं भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस का उद्घाटन

गरीबी उन्‍मूलन सतत विकास के लिए अति महत्‍वपूर्ण-राष्‍ट्रपतिराष्‍ट्रपति ने आज नई दिल्‍ली में 27वीं भारतीय इंजीनियरिंग कांग्रेस का उद्घाटन किया। इस वर्ष इस सम्‍मेलन का विषय है सतत विकास और समावेशी प्रगति के लिए इंजीनियरिंग-दृष्टिकोण-2025 ।

इस अवसर पर अपने भाषण में राष्‍ट्रपति ने कहा कि सतत विकास का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने के लिए गरीबी उन्‍मूलन अति महत्‍वपूर्ण है। श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि गरीबी और पर्यावरण प्रदूषण सीधे-सीधे आपस मे जुडे हुए हैं, खास तौर से वहां जहां लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए अपने निकट के प्राकृतिक संसाधनों की ओर देखते हैं। इसीलिए पर्यावरण संरक्षण के लिए गरीबी उन्‍मूलन जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि जलवायु के माकूल उपयुक्‍त टैक्‍नोलॉजी इसीलिए आवश्‍यक है क्‍योंकि समाज के कमजोर वर्गों की सहायता के लिए उसकी जरूरत पडेगी। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि विकासशील देशों को वाजिब लागत पर नई से नई टैक्‍नोलॉजी उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था अवश्‍य की जानी चाहिए। साथ ही, यह भी जरूरी है कि नई टैक्‍नोलॉजी पाने वाले समाज में इस टैक्‍नोलॉजी का क्‍या असर पडेगा- इसकी सूचना उन्‍हें दी जानी चाहिए। लेकिन जहां भी संभव हो, स्‍थानीय रूप से मौजूद तकनीकों का उत्‍कृष्टिकरण किया जाना चाहिए और उन्‍हें अधिक कुशल और उपयोगी बनाकर अपनाया जाना चाहिए। 
(PIB)  14-दिसंबर-2012 15:31 IST
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मीणा/शुक्‍ल /चन्‍द्रकला-6105

डाकघरों का आधुनिकीकरण और विविधीकरण

14-दिसंबर-2012 19:06 IST
समूचे देश में विभागीय डाकघरों का आधुनिकीकरण
                                                                                                                                                   Courtesy Photo
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री डॉ. श्रीमती किल्‍ली क्रुपारानी ने बताया कि सरकार ने देश के सभी डाकघरों का नवीनतम सुविधाओं आदि के साथ आधुनिकीकरण करने का निर्णय लिया है। उन्‍होंने राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि डाक विभाग ने प्रोजेक्‍ट ऐरो के माध्‍यम से अपने डाकघरों के लुक एण्‍ड फील को सुधारने का निर्णय लिया है। चरणबद्ध तरीके से समूचे देश में विभागीय डाकघरों का आधुनिकीकरण करते हुए इस परियोजना की शुरूआत की गई है जिसका उद्देश्‍य उन डाकघर प्रचालनों में स्‍पष्‍ट, उल्‍लेखनीय, असाधारण सुधार लाना है जो आम आदमी से संबंधित है। इसका उद्देश्‍य डाकघर प्रचालनों के साथ-साथ उस परिवेश का व्‍यापक सुधार करना है जिसमें डाक का लेन-देन किया जाता है। पिछले तीन वर्षों के दौरान प्रोजेक्‍ट ऐरो शामिल के तहत डाकघरों की संख्‍या निम्‍नानुसार है :2009-10–500 डाकघरों कवर किए गए 
2010-1–530 डाकघर कवर किए गए 

2011-12 – 206 डाकघर कवर किए गए कवर किए गए डाकघरों की सूची अनुबंध पर है उन्‍होंने बताया कि अतिरिक्‍त राजस्‍व का सृजन करने हेतु विभाग डाकघरों में कार्यकलापों का विविधीकरण कर रहा है जो एक सतत प्रक्रिया है। आईटी प्रोजेक्‍ट के तहत स्‍थापित आई टी प्‍लेटफार्म नए उत्‍पादों एवं सेवाओं को समर्थन देगा। अन्‍य संगठनों को उत्‍पाद एवं सेवा देने के लिए इसके विशाल नेटवर्क के प्रयोग हेतु इसके सभी कार्यकलापों में विविधीकरण किया गया है, जैसे - 

1. रेलवे आरक्षित टिकटों की बुकिंग। 
2. आधार कार्डों के लिए यूआईडी नामांकन/वितरण। 
3. चिन्हित डाकघरों में पासपोर्ट फार्मों की बिक्री। 
4. चिन्हित डाकघरों में उपयेागिता बिलों में स्‍वीकार करना। 
5. डाकघर बचत बैंक के माध्‍यम से मनरेगा लाभार्थियों को मजदूरी वितरण। 
6. ग्रामीण मूल्‍य सूचकांक डाटा का एकत्रीकरण – इस तरह से एकत्रित डाटा को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय को इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से पारेषित किया जाता है। 
7. डाकघर बचत खातों तथा मनीआर्डर के माध्‍यम से राज्‍य सरकारों द्वारा भुगतान की जाने वाली वृद्धावस्‍था पेंशन का भुगतान।
8. सोने के सिक्‍कों की बिक्री।
9. डाकघरों इत्‍यादि के माध्‍यम से नई पेंशन स्‍कीम का प्रावधान। 

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वि.कासोटिया/कविता/तारा-6131

Wednesday, December 12, 2012

बुद्ध का भिक्षापात्र

 1 मीटर ऊंचा, 1 मीटर व्‍यास
विदेश मंत्री श्री सलमान खुर्शीद ने आज लोक सभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि एक बड़े आकार का शिला निर्मित पात्र, जो लगभग 1 मीटर ऊंचा, 1 मीटर व्‍यास, जिसके शीर्ष भाग की मोटाई लगभग 18 सें.मी. है और जिसका वजन 200-300 कि.ग्रा. है तथा जिसके ऊपरी फेरे के समानांतर अरबी तथा फारसी भाषाओं में सुलेख लिपि में कुरान की आयतें लिखी हें, इस समय काबुल स्थित अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रीय संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर रखा हुआ है। मूलत: यह कंधार में स्‍थापित किया गया था, जहां से इसे अफगानिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ. नजीबुल्‍लाह के शासनकाल में काबुल ले जाया गया था। दावा किया जाता है कि यह भिक्षापात्र भगवान बुद्ध का है।

सरकार ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास से इस पात्र की फोटो प्राप्‍त की है। निदेशक, (पुरालेख शास्‍त्र–अरबी, फारसी) भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण (एएसआई) नागपुर ने इस फोटो की जांच की है। इस फोटोग्राफ की प्रारंभिक जांच में निदेशक, (पुरालेख शास्‍त्र– अरबी, फारसी) ने उल्‍लेख किया है कि इस पात्र की बाहरी सतह पर गुदाई यह दर्शाती है कि यह पात्र कंधार नगर की किसी मस्जिद (संभावित रूप से जामा मस्जिद) से संबंधित है। उन्‍होंने सुझाव दिया है कि इसके मूल के बारे में और जानकारी प्राप्‍त करने के लिए इस पात्र की भौतिक दृष्टि से तथा भू-वैज्ञानिक दृष्टि से जांच की जानी चाहिए।
सरकार भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के परामर्श से इस पात्र का उद्गम स्‍थापित करने के लिए अपेक्षित और उपायों, यदि कोई हों, की जांच कर रही है।  (PIB)   12-दिसंबर-2012 14:37 IST
मीणा/बिष्‍ट/चन्‍द्रकला -5987