Saturday, September 16, 2023

"हिन्दी दिवस" के उपलक्ष्य में हिन्दी शिक्षक संघ का विशेष आयोजन 17 सितम्बर को

मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन में होगा कार्यक्रम 

लुधियाना: 15 सितम्बर 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

पंजाब के पंजाबी परिवारों और सिख परिवारों में से
बहुत से कलमकार ऐसे हैं जिन्होंने उन दिनों भी हिंदी से अपना गहरा प्रेम बनाए रखा जब हिंदी के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे था। भाषा और साहित्य को भी कुछ लोग अपनी अपनी सियासत के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। हिंदी का साहित्य भी पंजाब के पर्यावरण की गहरी बातें करता है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी साहिब की कालजयी कहानी को पढ़े बरसों हो गए लेकिन वह आज भी ज़हन में है उसे पढ़ते हुए जहां पंजाब का रूमानी पर्यावरण सजीव हो उठता है वहीं युद्ध की भयानक वि विभिप्षा भी आने लगती है--अब भी जवानों के शहीद होने की खबरें उसी माहौल की याद दिलाने लगती हैं जिस का रूमानी सा लेकिन क़ुरबानी भरा रंग इस प्रसिद्ध कहानी-उसने कहा था में उभरता है--एक दिव्य प्रेम और एक युद्ध की कहानी का रंग---आज भी वह दिव्य प्रेम  और भावनाएं हमारे दिलों में है लेकिन युद्ध की कलि छाया निरंतर फैलती चली जा रही है-प्रेम और क़ुरबानी के उस रंग को गहरा करता है हर वह कार्यक्रम जो हिंदी दिवस के नाम पर मनाया जाता है-- "उसने कहा था" पर बहुत बाद में प्रसार भारती ने दूरदर्शन पर एक विशेष फिल्म भी बनाई थी। 

हिन्दी शिक्षक संघ (रजि.) पंजाब द्वारा "हिन्दी दिवस" के उपलक्ष्य में 17 सितम्बर, 2023  दिन रविवार को मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन लुधियाना में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सरकारी स्कूलों के 8वीं,10वीं,12 वीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में 95% अंक प्राप्त करने वाले छात्र एवं उनके अध्यापक सम्मानित किये जायेंगे।

इसमें प्रमुख वक्ता डॉ. बलवेन्द्र सिंह (सहायक आचार्य) स्नातकोत्तर हिन्दी-विभाग डी.ए.वी. कॉलेज जालन्धर और डॉ. राजेन्द्र साहिल, एसोसिएट प्रोफेसर गुरु हरगोबिन्द खालसा कॉलेज, गुरुसर सुधार, लुधियाना होंगे।  इस अवसर पर श्रीमती डिम्पल मदान, जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शि) लुधियाना, स. बलदेव सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) लुधियाना, श्रीमती मंजू भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शिक्षा, ए.शि) फतेहगढ़ साहिब , आशीष कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) शहीद भगत सिंह नगर, स. जसविंदर सिंह विर्क, उप जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शि) लुधियाना, मनोज कुमार, उप जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) लुधियाना, नीलम गुप्ता, प्रांत संरक्षक, भारत विकास परिषद पंजाब, श्री रूपेंद्र शर्मा, हिंदी अधिकारी पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा, डॉ. मुकेश अरोड़ा सीनेटर, पंजाब विश्व विद्यालय पंजाब, श्री मनोज प्रीत, प्रीत साहित्य सदन, लुधियाना।

श्री अशोक थापर राष्ट्रीय अध्यक्ष, शहीद सुखदेव थापर मैमोरियल ट्रस्ट, त्रिलोक चन्द भगत समाज सेवी विशेष महमान के रूप में पधारेंगे। 

 डॉ. नीरोत्तमा शर्मा, एसोसिएट प्रोफ़ेसर  मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन लुधियाना कार्यक्रम प्रबंधक होंगे। यह जानकरी मनोज कुमार हिन्दी शिक्षक संघ (रजि. ) पंजाब ने दी। यकीन रखिए इस बार भी यह प्रोग्राम याद गारी होगा। 

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Sunday, September 10, 2023

किताब "द रेप फाइल" से बढ़ेगी इस अपराध पर नियंत्रण की जागृती

Saturday  9th September 2023 at 21:55 

किताब का विमोचन किया विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने 


लुधियाना
: 09 सितम्बर 2023: (मीडिया लिंक32//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

यह किसी ट्रेजेडी से कम तो नहीं कि सत्ता से जुड़े लोग आम तौर पर उसी बात का गंभीर नोटिस लेते हैं जिससे सत्ता को खतरा होता हो। जिस खबर या कविता के शब्दों से सत्ता का विरोध न होता हो आम तौर पर वह नज़र अंदाज़ ही रह जाती है। फिर वह खबर या कविता बेशक समाज का बेडा गर्क करने वाली हो उस पर कोई सियासत एतराज़ नहीं करती। परिणाम यह होता है कि आम  लोगों को पैदा होने वाले नए नए खतरों के खिलाफ न समाज चेत पाता है और न सत्ता या प्रशासन। वाहियात किस्म के विज्ञापन आते है कि फलां परफ्यूम लगाओ तो लड़कियां फंसने लगेंगी।  फलां टायर इस्तेमाल करो तो लड़कियां फंसेंगी। सरकार या समाज के साथ जुड़े किसी भी संगठन या विभाग ने इन लोगों के खिलाफ कभी एक्शन तक नहीं लिया। परिणाम होता है कि अनैतिकता बढ़ती चली जा रही है।  इसी के चलते रेप की घटनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं। कानून ने थोड़ी सख्ती की तो जिस महिला वर्ग को पीड़ित समझा जाता था उसी में से कुछ लोग इसी कानून का फायदा उठाने लगे। 

बस जब कभी कोई ऐसी घटना मीडिया में आती है तो दो चार दिन हो हल्ला होता है इसके बाद फिर लोगों को भूल जाता है कि कब हुआ था किसके साथ रेप! फिर कोई नहीं घटना सामने आती है तो फिर से भूल जाती है। गौरतलब है कि इस तरह की जितनी घटनाएँ घटित होती हैं उनमें से बहुत कम की शिकायत ही लोगों तक पहुँचती है। कई मामलों में इस तरह से समझौता भी हो जाता है कि उसका कुछ पता भी नहीं लगता।  कई मामलों में दबाव बढ़ने से शिकायत वापिस भी हो जाती है। इस के परिणामों को पूरा समाज भुगतता भी है। इस तरह के मामलों में अदालत संज्ञान लेती रही है लेकिन फिर भी सब कुछ कभी न रुक पाया। अब इस तरह की प्रमुख घटनाओं को आधार बना कर इन्हें दस्तावेज़ी की तरह संभालने का प्रयास किया है लुधियाना के एक सक्रिय वकील ने। 

लुधियाना के सीनियर एडवोकेट मुनीष पुरंग ने सच्ची घटनाओं पर अधारित पहली किताब को लिखा है। इस किताब को नाम दिया गया है "द रेप फाइल"। यह किताब उन केसों पर अधारित है, जिनमें पहले महिलाओं ने पुरुषों पर  रेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। जब मामला अदालत में पहुंचा तो अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। अदालत ने आरोपियों को बा इज्जत बरी कर दिया। इस तरह की बहुत सी दास्तानें हैं इस पुस्तक में।  शुक्रवार को विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने इस किताब का विमोचन किया है। 

किताब के लेखक एडवोकेट मुनीष पुरंग बताते है कि उनकी किताब में कुल 12 कहानियां है। यह सभी सच्ची घटनाओं पर अधारित है। इन 12 मामलों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और अदालत में केस भी चले।  इन केसों में बतौर एडवोकेट उन्होंने आरोपियों की  तरफ से केस लड़ा है। सुनवाई दौरान शिकायतकर्ता महिलाओं ने अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। इस मामले के आरोपियों को अदालत ने बा इज्जत बरी कर दिया। इसलिए मेरे मन में ख्याल आया क्यों न समाज में चल रहे इस  ब्लैकमेलिंग का खुलासा आम लोगों के सामने रखा जाए। इसलिए इस किताब को लिखा गया है। 

इस किताब को लिखने में लुधियाना के जाने माने सर्जन डाक्टर  केके अरोड़ा ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया। शुक्रवार को किताब के विमोचन के समय राहुल शर्मा, हरदियाल सिंह, मन्नू पुरंग, आरएस मंड, इंदरपाल सिंह, मैडम गरिमा, नरिंदर सिंह, सुखविंदर सिंह धालीवाल सहित कई अन्य लोग मौजूद थे। 

वकील मुनीश पुरंग ने केवल इस तरह की घटनाओं और मामलों को सहेजा ही नहीं बल्कि फैसला होने के बाद की हालतों में कुरेदा भी है। इनमें से ब्लैकमेलिंग की संभावना का भी पता लगाया है। समाज में ऐसा होना अब आम भी होने लगा है। इसे एक हथियार की तरह भी इस्तेमाल किया  जाने लगा है।  यही सिलसिला जारी रहा तो क्या बनेगा समाज का? क्या वकील मुनीश पुरंग की चिंताओं में सामजिक संगठन अपना योगदान देंगें? 

अब देखना है कि इस तरह के ने ट्रेंड की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। मुकरने वाली लड़कियों/महिलाओं के साथ कानून अतीत में भी सख्ती से पेश आता रहा है लेकिन शायद इस सख्ती को और बढ़ाना पड़ेगा। 

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