Tuesday, January 11, 2022

नये में कुछ तो होगा नया//डाॅ वन्दना गुप्ता

8th January 2022 at 3:09 pm

 घटनाएं भी नये रुप में आएंगी 


लुधियाना
: 11 जनवरी 2022: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन)::

विकास तो हो रहा है लेकिन इस विकास के साथ पुराना सब कुछ मिटता चला जा रहा है। वो लैंडमार्क जो न जाने कब से ज़हन में थे वे अब नहीं रहे। जिस दौर में हमने बचपन देखा उस दौर की सभी निशानियां मिटटी चली जा रही हैं। इस दर्द को मेहसुस किया है शायरा डा. वंदना गुप्ता ने। इसके बाद शज़र ने न कोई शिकवा किया न ही कोई शिकायत। अपनी आशा भी नहीं टूटने दी। मिले जुले भावों और अनुभूतियों की अभिव्यक्ति करती है यह काव्य रचना। --कार्तिका सिंह 

नये साल का

स्वागत

आशावान होना

भविष्य के लिए


शायद इस वर्ष भी होगा

कुछ नया

बदलेगा किसी

पुराने शहर का ढांचा


कोठियां बदलेंगी

होटलों में

घर दरबों  में

सड़कें

फ्लाईओवरों में


बाज़ार माल में

देशी विदेशी सामानों

में मिलेगा सब कुछ

नयी रंगत के लिए


घटनाएं भी

नये रुप में आएंगी

नया साल है

आखिर


बनते बिगड़ते

रिश्तों की होगी

लम्बी फेरहिस्त


फेसबुकियां मित्रों की

सूची में जुड़ेंगे

नये नाम


ताक पर रखें

देश की पुरानी आत्मा को

छीला जाएगा

इस बार भी

नए मुद्दों को लेकर


भ्रमित होगी

मर्यादाएं

अरे हां, 

पुरानी संस्कृतियों को भी

पहनाया जाएगा

नया जामा


नया साल है

आखिर कुछ तो

होगा नया

नया साल है 

आखिर।

#डाॅ वन्दना गुप्ता


Monday, January 10, 2022

दुआ है ये नया साल खुशियों के पैगाम लाए//डॉ.अनु मेहता

9th January 2022 at 5:25 pm

निराशा के दौर में भी आशा जगाती काव्य रचना 


लुधियाना
: 9 जनवरी 2022: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन)::

डा. अनु मेहता गुजरात से हैं। प्राचार्य हैं और हिंदी में लिखती हैं। हिंदी साहित्य को समृध्द बनाने के लिए वक्त निकालती हैं। व्यापार के लिए प्रसिद्ध गुजरात में रहते हुए भी दिल की बात सुन लेना और दिल की बात कर लेना किसी चमत्कार से कम तो नहीं। उनकी इस काव्य रचना में भाव तो हैं लेकिन उन्हें बाँधने वाले संगीत में अभी उन्हें काफी मेहनत की ज़रूरत है। प्रयास होगा उनकी अन्य रचनाएं भी जल्द ही आपके सामने लाईं जाएं। -कार्तिका सिंह। 

डा. अनु मेहता 
बेबस परेशान दिल को अब ज़रा आराम आए।

चाहत है सब के होठों पर फिर से इक मुस्कान आए।

उदास अंधेरों से भरी रात को अलविदा कह दो

उम्मीदों की नई सुबह, सपनों की नई शाम आए।

गुज़रे रास्तों में खड़े हैं रंजोगम के काफिले बहुत,

दिल की आरजू है ऐसे सफर पर विराम आए।

गमों की धूप ने ज़िंदगियों को झुलसाया बहुत है,

ज़मीं पर उसकी रहमतों वाला आसमान आए ।

खोया बहुत कुछ है इस बीते साल हम सबने ,

दुआ है ये नया साल खुशियों के पैगाम लाए।

डॉ.अनु मेहता

प्राचार्य,

आनंद इंस्टीट्यूट आफ पी.जी स्टडीज इन आर्ट्स ,आनंद गुजरात 

मोबाइल नंबर+91 95103 64844

आप सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ//रश्मि अस्थाना

08th January 2022 at 2:47 pm

 ढेर सारी हिम्मत और आशीर्वाद भी मांगे हैं अस्थाना ने  


लुधियाना
: 10 जनवरी 2022: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन)::

रश्मि अस्थाना की शख्सियत पहली बार मिलते ही मोह लेती है। बिना किसी औपचारिक जान-पहचान के ही आपके अंतर्मन को पता चल जाता है कि ज़ह शायरा किसी बड़े से स्कूल में अध्यापन अवश्य करती होगी। थोड़ा नमस्ते नमस्ते की औपचारिकता में लगने लगता है कि यह लेखिका पूरी तरह संवेनदशील भी है। साथ ही मनोविज्ञान की पढ़ाई का ही अहसास होगा। मुस्कान के साथ साथ एक्सरे जैसी नज़रों से लगने लगा था की जो जो दिमाग में आ रहा है वह सब मैडम ने हमारे बोलने से पहले ही पढ़ लिया है। जान लिया है। ऐसी संवेदना के बिना सभी की सुख शांति की कामना की भी नहीं जा सकती। कोविड और कोविड के कारण आई मुश्किलों के चलते 2020 और 2021 से बहुत से ज़ख्म भी मिले। लोगों के कामकाज बंद हो गए। रश्मि कहती नव वर्ष को सुस्वागतम कहते हुए कहती हैं जो घाव बीते साल दिए तुमने//उन्हें भरने का मरहम//साथ लाना तुम। यहाँ नीचे दी जा रही है पूरी काव्य रचना। जल्द ही हम उनकी और रचनाएं भी आपके सामने लाएंगे। --रेक्टर कथूरिया 

नव वर्ष

रश्मि अस्थाना एक रेडियो कार्यक्रम में 

नई उमंग और नई खुशियों 

के साथ आना तुम

जो घाव बीते साल दिए तुमने

उन्हें भरने का मरहम

साथ लाना तुम।


पायल की रुनझुन सा

मधुर संगीत लिए

मेरे जीवन की सरगम में

रच बस जाना तुम।


सागर की मदमस्त

हिलोरों की मानिंद

मेरे जीवन की सरिता

में समा जाना तुम।


बसंत के बासंती रंग लिए

कुछ यूँ अलमस्त आना तुम 

मेरे जीवन की चुनर

इंद्रधनुषी कर जाना तुम।


भर लाना उपवन के रंग सारे

नए-नए नित मतवाले

मेरे ख्वाबों को

निखार जाना तुम।


ले आना तुम

वर्षा की फुहारों सी

निर्मल पावन तरंगे

मेरे तपते मन को 

शीतल कर जाना तुम।


समेट लाना

ढेर सारी हिम्मत और लगन

मुश्किल राहों  को 

आसान कर जाना तुम।


अँजलि में भर लाना

माँ-बाबा का आशीर्वाद

झोली हम सबकी

अब भर जाना तुम। 


परदेस में बैठे 

जो अपने बच्चे

उन सब की मंज़िलें 

आसान कर जाना तुम।


मिले हरेक को

उसका मुकम्मल जहान

कुछ ऐसा जादू

फैला जाना तुम। 


दुखिया ना रहे 

कोई अपना

कुछ ऐसे जादू के रंग 

बिखेर जाना तुम।

    ---रश्मि अस्थाना


Sunday, January 9, 2022

सबको मुबारक नया साल हो//जसप्रीत कौर फ़लक

8th January 2022 at 0:38 AM 

हुकूमत  करे  न  यह  नफ़रत  कहीं पर;

कि अम्न ओ अमाँ हो सदा इस ज़मीं पर!


लुधियाना: 8 जनवरी 2022: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन)::

सन 1974 में एक फिल्म आई थी-"आपकी कसम।" इसमें आनंद बक्शी साहिब का लिखा एक गीत था जो बहुत हिट हुआ। आवाज़ दी थी किशोर कुमार साहिब ने और संगीत तैयार किया था आर दी बर्मन साहिब ने। उसकी एक पंक्ति थी-ज़िंदगी के सफर गुज़र जाते हैं जो मुकाम--वो फिर नहीं आते...वो फिर नहीं आते..! यही हकीकत भी है और प्राकृति का नियम भी। इसी ज़िंदगी में जब दुःख  डेरा जमा कर बैठ जाएं तो निराशा होने लगती है लेकिन शायर लोग बुरे से बुरे वक्त में भी अच्छे दिन आने की बातें सिर्फ सुनते ही नहीं उन पर यकीन भी करते हैं। शायरा जसप्रीत कौर फ़लक ने नव वर्ष के अवसर पर कामना की है- सभी गुनगुनायें   वफ़ा  के  तराने//सभी  को  मिलें  मुसकुराते ज़माने! अध्यापन के क्षेत्र से जुडी इस शायरा को न तो राजनीतिक चुनावों से कोई मतलब है और न ही साहित्य से जुड़े चुनावों से। अपने रचना क्षेत्र में मग्न जसप्रीत कौर फ़लक की शायरी का आनंद आप भी लीजिए-रेक्टर कथूरिया 

हिंदी, पंजाब, अंग्रेजी और उर्दू में लिखने वाली
शायरा जसप्रीत कौर फ़लक 

नये ख़वाब लेकर नया साल आया 

हवाओं  ने  मस्ती  भरा  गीत गाया।


सभी गुनगुनायें   वफ़ा  के  तराने

सभी  को  मिलें  मुसकुराते ज़माने।


नयीं   हों   उमंगें   नयी  रौशनी  हो

हर इक चेहरे पर अब नयी ताज़गी हो।


यह कुदरत सभी पर मुहब्बत लुटाये

दुखों से भरा अब कोई दिन न आये।


यह पंछी पखेरू भी मस्ती में खेलें 

ज़माने  में महकें मुहब्बत की बेलें।


हुकूमत  करे  न  यह  नफ़रत  कहीं पर 

कि अम्न ओ अमाँ हो सदा इस ज़मीं पर।


डोर  विश्वास  की  अब न टूटे कभी 

अपनों का साथ भी अब न छूटे कभी ।


खेतों  में  खेतियाँ   लहलहाती  रहें 

झरने  बहते   रहे   लहरें  गाती  रहें ।


सबको जीवन मिले मुस्कुराता हुआ

गुज़रे  हर  पल नये  गीत गाता हुआ ।


दिल मुहब्बत से सबका ही खुशहाल हो 

और   सबको  मुबारक  नया  साल हो ।


फ़िर  आयें  बहारें खिलें फूल दिल के 

'फ़लक' यह दुआ है रहें सारे मिल के । 

                       --जसप्रीत कौर फ़लक 


Saturday, January 8, 2022

सभी के लिए खुशियां मांगती काव्य रचना//नववर्ष//डॉ• अनुराधा शर्मा

7th January 2022 at 10:41 pm

 आशा बन जाओ किसानों में 


सभी के लिए खुशियां मांगती काव्य रचना आज के दौर में एक अजीब लेकिन सुखद अहसास देती है। आजकल रिवाज पड़ गया है न अपने लिए, अपने समुदाय के लिए सब कुछ मांगना लेकिन अन्यों को नज़रअंदाज़ कर जाना। ऐसे स्वार्थ पूर्ण दौर में भी विशेष झौंका आया है पठानकोट से। जैसे पठानकोट में खुलापन, सादगी और प्रकृति की सुंदरता है कुछ वही अहसास है इस रचना में भी। नव वर्ष पर सभी के लिए खुशियां मांगीं हैं डॉ• अनुराधा शर्मा ने नव वर्ष पर लिखी अपनी काव्य रचना में। -कार्तिका सिंह 

डॉ• अनुराधा शर्मा
स्वागत 

नव वर्ष प्रभात बेला |

मंगलमय

नूतन कान्तिमय बेला  |

तुम्हारा आविर्भाव

है आशीर्वाद मानव हित |

तुम विराजो

हृदय सुआसन पर |

हो सराबोर

सम्पूर्ण विश्व पटल |

हे! नूतन बेला

खुशियाँ भर दो हर जन में,

जीवन भर दो प्राणों में,

आशा बन जाओ किसानों में,

हरियाली भर दो खलिहानो में,

स्वर बन जाओ  प्रभाषी का,

प्रतिभा में साहस भर दो,

मानव हृदयस्पर्शी हो तुम |

स्वागत आशामयी बेला |

स्वागत नव  अमृत बेला ||


डॉ• अनुराधा शर्मा,

हिंदी अध्यापिका

सससस  नौशहरा नल बंदा |

ज़िला पठानकोट-145001

पंजाब |

फ़ोन - 9417194708

Monday, January 3, 2022

कविता कथा कारवां ने किया विशेष साहित्यिक आयोजन

3rd January 2022 at 3:33 PM

 2021 को विदा करके 2022 को सुस्वागतम कहा  


लुधियाना
: 3 जनवरी 2021: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन)::

उम्र निकल जाती है लेकिन ज़िंदगी का अहसास अनदेखा और अनछुया ही रह जाता है। उम्र और ज़िंदगी का राब्ता एक सपना रह जाता है। कभी इनका आमना सामना हो भी जाए तो बीएस पलक भर वक्त ही मिलता है। तब अहसास होता है कितनी क्षणभंगुर है ज़िंदगी। मन के अरमान मन में ही रह जाते हैं और हर बार पुराना साल निकल जाता है। रेत की तरह मुट्ठी में से निकल जाती है ज़िंदगी। 

हर बार नव वर्ष का आना और पुराने वर्ष का चले जाना एक विचलित करने वाला समय होता है। विदेशों की बात छोड़िए हम तो अतीत से आज भी प्रेम करते हैं। अतीत के एक एक पल से नए नए सबक सीखते हैं इसलिए उसे विदा भी प्रेम से ही करते हैं। नोटबुक का पेज फाड़ने की तरह उसे खुद से अलग नहीं कर देते। ऐसा सम्भव भी नहीं-ऐसा होना भी नहीं चाहिए। ज़बरदस्ती भुलाए गए लोग और पल ज़्यादा याद आने लगते हैं। विदा किए गए लोग और पल शांति और सांत्वना देने याद आते हैं। 

ऐसे में बहुत मुश्किल होता है नव वर्ष को सुस्वागतम कहना। क्रिसमस के बाद नए वर्ष की सेलिब्रेशन का रिवाज जिन लोगों ने भी चलाया वे बहुत हिम्मतवर लोग ठहरे होंगें। सर्दी के कहर की ठंडक का सामना करते हुए गर्मजोशी ले आना आसान तो नहीं रहा होगा। हमारे देश का कैलेंडर भी अलग है और मौसम का हिसाब किताब भी। त्यौहार भी इसी आधार पर हैं।  दुनिया के बड़े हिस्से की सुर से सुर मिलाते हुए कविता कथा कारवां ने भी इस बार जाते हुए वर्ष को विदायगी भी दी और आते हुए वर्ष को सुस्वागतम भी कहा। कविता कथा कारवां ने साहित्य की बात करते हुए किया विशेष साहित्यिक आयोजन किया। जाते हुए वर्ष में हमसे बिछड़े हुए अपनों को याद भी किया। नव आगुन्तकों में नई नई संभावनाएं भी देखीं। उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए उनकी पीठ भी थपथपथाई। 

इस अनूठे अंदाज़ में कविता कथा कारवांँ (रजि.) ने स्थानीय माया नगर के सेठ कांफ्रेंस हॉल में पिछले साल को विदाई देने और नए साल 2022 की शुभकामनाएं देने के लिए एक दिलकश समारोह का आयोजन किया जिसमें विधायक कुलदीप सिंह वैद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डाक्टर रविंद्र सेठ दशकों से साहित्य और समाज सेवा से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करते आ रह हैं। 

इसी तरह एम एल ए कुलदीप सिंह वैद भी गैरराजनीतिक पृष्ठ भूमि से सियासत में आए हैं तांकि सियासत के ज़रिए समाज का कुछ संवारा जा सके। उन्होंने कहा कि समाज में नेतृत्व करना साहित्यकारों और लेखकों की जिम्मेदारी है। उन्हें अपनी इस ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए बढ़चढ़ कर आगे आना चाहिए। श्री वैद 1992 बैच के पीसीएस अधिकारी हैं जिन्हें 2007 में ए आई एस के तौर पर पदोन्नत किया गया। अपनी राजकीय सेवा के दौरान वह मोगा के दीप्ती कमिश्नर भी रहे और ग्लाडा के अतिरिक्त मुख्य प्रशासक भी। इस तरह के अनुभवी लोग जब सत्ता में एते हैं तो आम जनता को इसका काफी फायदा होता है। दुनिया के बहुत से देशों-अमेरिका, कनेडा, इंग्लैण्ड, सिंगापुर, थाईलैंड,साऊदी अरबिया और हांगकांग इत्यादि में भी अच्छी तरह वहां के कल्चर को देख चुके हैं। पंजाब को वैसा ही बनाने के लिए अग्रसर भी हैं। निश्चय ही कलम वालों को भी इस जज़्बात का फायदा होगा ही होगा चाहे कुछ देर सवेर बेशक हो जाए। 

कविता कथा कारवांँ की संस्थापिका और अध्यक्षा डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक ने काव्यात्मक अंदाज में नव वर्ष की बधाई दी और संगठन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। गौरतलब है की अति व्यस्त होने के बावजूद डाक्टर जसप्रीत कौर फलक किसी किसी न मुद्दे पर कोई न कोई आयोजन करते रहती हैं। कोविड-19 ने जो अंतराल पैदा क्र दिया था उसे तोडना आसान नहीं था लेकिन फलक अपनी टीम के साथ तभी से निरंतर लगी है कि इस दूरी को मिटाना भी है और कोरोना को हराना भी है।  कहीं हम कोरोना की दहशत के कारण आपस में मिलना जुलना ही न भूल जाएं। इस अवसर पर विभिन्न कवियों ने भी अपनी रचनाओं की प्रस्तुति दी। ज्योतिष, पत्रकारिता और कला के ले बहुत पुराने समय से सक्रिय सुखमिंदर सिंह ने मुख्य अतिथि के बारे में जानकारी दी।

शायरों में से त्रैलोचन लोची, डॉ. रविंदर चंदी, हरदीप बिरदी, अशोक धीर,सुखमिंदर सिंह एशियन क्लब, प्रगट सिंह रंधावा,अशोक धीर, जिमी अहमदगढ़ और आंचल जिंदल जैसे प्रमुख कवियों ने इस काव्य दरबार और चर्चा में भाग लिया।  कार्यक्रम की शुरुआत शैली वाधवा के स्वागती भाषण से हुई।  मंच प्रबंधन की भूमिका धर्मेंद्र शाहिद खन्ना ने निभाई थी।  

इस सुअवसर पर दर्शकों में विशेष रूप से जसबीर कौर, बलकार सिंह, बखप्रीत सिंह, तमन्ना, सुखप्रीत कौर, हर्षदीप कौर, जसविंदर कौर, दलजीत कौर आदि शामिल थे।  कविता पाठ कारवांँ यूनिट के क्रिएटिव राइटर्स के नवकमल सिंह, नवप्रीत सिंह हैरी, हरमीत पोएट ने कविता पाठ में भाग लिया।  हरमीत पोएट ने संस्था की अध्यक्ष डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक को काव्यात्मक चित्र भेंट किया।  कविता कथा कारवांँ सचिव जसबीर कौर और डॉ. रविंदर सेठ ने इस भव्य आयोजन की सराहना की।  मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह और उपाधियांँ देकर सम्मानित किया गया। अंत में संस्था के उपाध्यक्ष डॉ जगतार धीमान ने धन्यवादी शब्द कहे। संस्था द्वारा भाग लेने वाले कवियों एवं अतिथियों को सम्मानित किया गया।

कुल मिलकर यह आयोजन भी यादगारी रहा। जो रास्ते छूट गए उन पर फिर से चलने का मन मज़बूत किया गया। जो सपने सधुरे रहे उन्हें साकार करने के लिए फिर से कसम खाई गई। किसी की ज़िंदगी में कोई दुःख न रहे इसका संकल्प भी किया गया। कलम के बहाने एक परिवार और एक काफिले को मज़बूत किया गया।