Tuesday, May 10, 2022

अपने बच्चों से माँ कभी हो न जुदा से.......

 9th May 2022 at 09:57 PM

 कवियों ने मातृ दिवस पर समा बांधा


जयपुर
: 9 मई 2022: (साधना गुप्ता//हिंदी स्क्रीन)::

इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल की पंजाब इकाई की अध्यक्षा साधना गुप्ता ने 8 मई को मातृ दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन कवि सम्मेलन करवाया।जिसमें  इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. चन्द्रमणि ब्रह्मदत्त ने भी शिरकत की।इकाई के सलाहकार विजय वाज़िद तथा उपाध्यक्ष प्रकृति झा भी शामिल हुए।अफ़रोज़ अज़ीज़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।डॉ. रश्मि झा मुख्य अतिथि तथाअनुराग सुरुर विशिष्ट अतिथि रहे।देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये कवियों ने मातृ दिवस पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। साधन गुप्ता की कविता अपने बच्चों से माँ कभी हो न जुदा ने सबकी आँखे नम कर दी ।पूनम कुमावत की रचना जो देखा माँ की आँखों ने मार्मिक थी।आरती झा की कविता'माँ दिल में बसी पूज्य है सम्माननीय ने समा बांध दिया। प्रवीना त्रिवेदी की पंक्तियां मेरे सपनों में रोज आती हो तुम ने भाव विभोर कर दिया।रामकुमार प्रजापति की कविता मातृ सृष्टि आधार है सकुल गुणों की खान ने तालियां बटोरीं।प्रकृति झा की पंक्तियां मेरी माँ ने मुझको जन्म दिया ने सभी  को भावुक कर दिया।डॉ. रश्मि झा की कविता माँ को भी नज़रें लगती है ने माहौल को खुशनुमा कर दिया। गीतेश्वर जी के गीतों ने धूम मचा दी।अनुराग सुरुर की ग़ज़ल डर रहा था मैं जिनको खोने से तथा विजय वाज़िद जी की ग़ज़ल वो टूटे फूटे और कच्चे घर नही बदले ने वाहवाही बटोरी।डॉ. चन्द्रमणि ब्रह्मदत्त ने कार्यक्रम की सराहना की। कार्यक्रम के अंत में साधना गुप्ता ने सभी का आभार प्रकट कर कार्यक्रम का समापन किया।

Tuesday, May 3, 2022

ज़िंदगी का असली संदेश देती हुई रजनी शर्मा की एक नई रचना

 अक्षय तृतीया , ईद एवं परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं 

रजनी शर्मा अध्यापन के क्षेत्र में है और प्राकृतिक सौंदर्य के नज़दीक रहने का सौभाग्य भी। उनकी रचना भी बहुत ही सलीके और  कोई न कोई सीख देती है। इसका अहसास आपकी उनकी यहां दी जा रही रचना पढ़ कर भी होगा। बहुत ही बेबाकी से बहुत ही पते की बात। --रेक्टर कथूरिया 

Pexels Photo by Alena Darmel

दिल में इतना ज़हर न घोलो।

 ईद मुबारक सबको बोलो ।


नर्क सरीखी कर दी दुनिया,

नफ़रत से क्यों भर दी दुनिया,

 विष अमृत में अब ना घोलो।

ईद मुबारक सबको बोलो ।।


पूजा और अजान करें हम,

गीता और कुरान पड़ें हम,

प्यार ख़ज़ाने अब तो खोलो।

ईद मुबारक सबको बोलो।।


अपनों से ना डर लगता हो,

 अपना घर अपना लगता हो,

 फिर नानक सा तेरह तोलो,

ईद मुबारक सबको बोलो।।


सच हो अब ज़ुबान पे सब के,

पत्थर उछले न मकान पे सब के,

आपस की नफ़रत को छोड़ो।

ईद मुबारक सबको बोलो।।

!!रजनी शर्मा!!