Tuesday, October 10, 2023

ग़ज़ल//*शुचि 'भवि'

हिंदी में गज़ल के रंग को गहरा करने में जुटी शायरा  


लुधियाना: 10 अक्टूबर 2023: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन):: 

कम से कम 10 पुस्तकों की रचेता जिनमें 5 दोहा संग्रह, 1 कविता संग्रह, 1 ग़ज़ल संग्रह, 1 लघुकथा संग्रह,1 उपन्यास, 1छंद संग्रह इत्यादि शामिल हैं। इन दस पुस्तकों में उनकी रचनात्मक क्षमता का विशेष रंग देखने को मिलता है। भिलाई छत्तीसगढ़ में रहते हुए भी पंजाब और पंजाबी से भी शुचि भवि का पूरा लगाव है। पंजाब के साहित्य प्रेमी जब भी याद करें तो शुचि भवि इतनी दूरी तय करके पंजाब में भी आ जाती हैं। उनकी शायरी में जहां ख्यालों  की उड़ान कमाल की होती है वहीं गज़ल की व्याकरण और तोल का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। 

इस मुहारत का सारा क्रेडिट वह अपने उस्ताद शायर जनाब सागर सियालकोटी साहिब को देती हैं और बताती हैं कि उनकी गज़ल साधना में सागर साहिब हर कदम पर मार्गदर्शन देते रहे हैं। अब भी उनका आशीर्वाद हमेशा साथ रहता है। 

इस बार वह नवरंग लिटरेरी सोसाइटी की तरफ से विशेष तौर पर आयोजित एक कार्यक्रम में लुधियाना आ रही हैं 21 अक्टूबर 2023 को। इसका विवरण अलग पोस्ट में है। मंच पर भी शुचि भवि का अंदाज़ बेहद यादगारी होता है। 

उन्हें पहली बार सुना देखा था कई बरस पहले लुधियाना के बहुत ही पुराने स्कूल वायली मेमोरियल स्कूल में। अंधेरा होने को था लेकिन श्रोता बार बार उनसे एक और*एक और रचना की गुजारिश किए जा रहे थे।फ़िलहाल आप यहां पढिए सुश्री शुचि भवि की एक नई गज़ल। जो उन्होंने हमें हाल ही में प्रकाशनार्थ भेजी है।  हम आपके सामने उनकी और रचनाएं भी जल्द लाएंगे।   --रेक्टर कथूरिया 

शायरा शुचि भवि 

कहाँ बदरी  कि  मनमानी  टिकेगी  चाँद  आते ही

चली   है  चाँदनी  इठला  के  चंदा  के  बुलाते  ही


नज़र उसने झुका ली क्यों  ग़ज़ल ये  गुनगुनाते ही

चमक रुख़सार पर आयी ये किसका नाम आते ही


ज़माने  भर  के  झूठों  ने जलायीं  थी  मशालें  जो

बुझीं सारी, हमारे सच की इक शम्अ के जलाते ही


मुझे अफ़सोस है इस बात का लेकिन  है मजबूरी

कई  चेहरे   उतर   जाएंगे   मेरे   मुस्कुराते   ही


वफ़ाएँ जो नहीं समझा,नहीं समझा जो अश्कों को

उसे   क्यूँ  ढूँढता  है   दिल   ज़रा  सा दूर जाते ही


था बेशक तंग थोड़ा जो, हुआ अब क़ीमती बेहद

वो तहख़ाना मेरे दिल का, मकीं उसको बनाते ही


तेरी तस्वीर का भी आसरा अब है नहीं 'भवि' को

झलक  जाऊँगी  मैं  तुझमें, तेरा  चेहरा बनाते ही

---*शुचि 'भवि' 

   भिलाई, छत्तीसगढ़


नवरंग लिटरेरी सोसाइटी की तरफ से विशेष आयोजन का विवरण अलग पोस्ट में यहाँ क्लिक कीजिए

Saturday, September 16, 2023

"हिन्दी दिवस" के उपलक्ष्य में हिन्दी शिक्षक संघ का विशेष आयोजन 17 सितम्बर को

मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन में होगा कार्यक्रम 

लुधियाना: 15 सितम्बर 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

पंजाब के पंजाबी परिवारों और सिख परिवारों में से
बहुत से कलमकार ऐसे हैं जिन्होंने उन दिनों भी हिंदी से अपना गहरा प्रेम बनाए रखा जब हिंदी के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे था। भाषा और साहित्य को भी कुछ लोग अपनी अपनी सियासत के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। हिंदी का साहित्य भी पंजाब के पर्यावरण की गहरी बातें करता है। चंद्रधर शर्मा गुलेरी साहिब की कालजयी कहानी को पढ़े बरसों हो गए लेकिन वह आज भी ज़हन में है उसे पढ़ते हुए जहां पंजाब का रूमानी पर्यावरण सजीव हो उठता है वहीं युद्ध की भयानक वि विभिप्षा भी आने लगती है--अब भी जवानों के शहीद होने की खबरें उसी माहौल की याद दिलाने लगती हैं जिस का रूमानी सा लेकिन क़ुरबानी भरा रंग इस प्रसिद्ध कहानी-उसने कहा था में उभरता है--एक दिव्य प्रेम और एक युद्ध की कहानी का रंग---आज भी वह दिव्य प्रेम  और भावनाएं हमारे दिलों में है लेकिन युद्ध की कलि छाया निरंतर फैलती चली जा रही है-प्रेम और क़ुरबानी के उस रंग को गहरा करता है हर वह कार्यक्रम जो हिंदी दिवस के नाम पर मनाया जाता है-- "उसने कहा था" पर बहुत बाद में प्रसार भारती ने दूरदर्शन पर एक विशेष फिल्म भी बनाई थी। 

हिन्दी शिक्षक संघ (रजि.) पंजाब द्वारा "हिन्दी दिवस" के उपलक्ष्य में 17 सितम्बर, 2023  दिन रविवार को मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन लुधियाना में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें सरकारी स्कूलों के 8वीं,10वीं,12 वीं कक्षा बोर्ड परीक्षा में 95% अंक प्राप्त करने वाले छात्र एवं उनके अध्यापक सम्मानित किये जायेंगे।

इसमें प्रमुख वक्ता डॉ. बलवेन्द्र सिंह (सहायक आचार्य) स्नातकोत्तर हिन्दी-विभाग डी.ए.वी. कॉलेज जालन्धर और डॉ. राजेन्द्र साहिल, एसोसिएट प्रोफेसर गुरु हरगोबिन्द खालसा कॉलेज, गुरुसर सुधार, लुधियाना होंगे।  इस अवसर पर श्रीमती डिम्पल मदान, जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शि) लुधियाना, स. बलदेव सिंह, जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) लुधियाना, श्रीमती मंजू भारद्वाज, जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शिक्षा, ए.शि) फतेहगढ़ साहिब , आशीष कुमार, जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) शहीद भगत सिंह नगर, स. जसविंदर सिंह विर्क, उप जिला शिक्षा अधिकारी (सै.शि) लुधियाना, मनोज कुमार, उप जिला शिक्षा अधिकारी (ए.शि) लुधियाना, नीलम गुप्ता, प्रांत संरक्षक, भारत विकास परिषद पंजाब, श्री रूपेंद्र शर्मा, हिंदी अधिकारी पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय बठिंडा, डॉ. मुकेश अरोड़ा सीनेटर, पंजाब विश्व विद्यालय पंजाब, श्री मनोज प्रीत, प्रीत साहित्य सदन, लुधियाना।

श्री अशोक थापर राष्ट्रीय अध्यक्ष, शहीद सुखदेव थापर मैमोरियल ट्रस्ट, त्रिलोक चन्द भगत समाज सेवी विशेष महमान के रूप में पधारेंगे। 

 डॉ. नीरोत्तमा शर्मा, एसोसिएट प्रोफ़ेसर  मालवा सैन्ट्रल कॉलेज ऑफ ऐजुकेशन फ़ॉर वूमन लुधियाना कार्यक्रम प्रबंधक होंगे। यह जानकरी मनोज कुमार हिन्दी शिक्षक संघ (रजि. ) पंजाब ने दी। यकीन रखिए इस बार भी यह प्रोग्राम याद गारी होगा। 

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Sunday, September 10, 2023

किताब "द रेप फाइल" से बढ़ेगी इस अपराध पर नियंत्रण की जागृती

Saturday  9th September 2023 at 21:55 

किताब का विमोचन किया विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने 


लुधियाना
: 09 सितम्बर 2023: (मीडिया लिंक32//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

यह किसी ट्रेजेडी से कम तो नहीं कि सत्ता से जुड़े लोग आम तौर पर उसी बात का गंभीर नोटिस लेते हैं जिससे सत्ता को खतरा होता हो। जिस खबर या कविता के शब्दों से सत्ता का विरोध न होता हो आम तौर पर वह नज़र अंदाज़ ही रह जाती है। फिर वह खबर या कविता बेशक समाज का बेडा गर्क करने वाली हो उस पर कोई सियासत एतराज़ नहीं करती। परिणाम यह होता है कि आम  लोगों को पैदा होने वाले नए नए खतरों के खिलाफ न समाज चेत पाता है और न सत्ता या प्रशासन। वाहियात किस्म के विज्ञापन आते है कि फलां परफ्यूम लगाओ तो लड़कियां फंसने लगेंगी।  फलां टायर इस्तेमाल करो तो लड़कियां फंसेंगी। सरकार या समाज के साथ जुड़े किसी भी संगठन या विभाग ने इन लोगों के खिलाफ कभी एक्शन तक नहीं लिया। परिणाम होता है कि अनैतिकता बढ़ती चली जा रही है।  इसी के चलते रेप की घटनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं। कानून ने थोड़ी सख्ती की तो जिस महिला वर्ग को पीड़ित समझा जाता था उसी में से कुछ लोग इसी कानून का फायदा उठाने लगे। 

बस जब कभी कोई ऐसी घटना मीडिया में आती है तो दो चार दिन हो हल्ला होता है इसके बाद फिर लोगों को भूल जाता है कि कब हुआ था किसके साथ रेप! फिर कोई नहीं घटना सामने आती है तो फिर से भूल जाती है। गौरतलब है कि इस तरह की जितनी घटनाएँ घटित होती हैं उनमें से बहुत कम की शिकायत ही लोगों तक पहुँचती है। कई मामलों में इस तरह से समझौता भी हो जाता है कि उसका कुछ पता भी नहीं लगता।  कई मामलों में दबाव बढ़ने से शिकायत वापिस भी हो जाती है। इस के परिणामों को पूरा समाज भुगतता भी है। इस तरह के मामलों में अदालत संज्ञान लेती रही है लेकिन फिर भी सब कुछ कभी न रुक पाया। अब इस तरह की प्रमुख घटनाओं को आधार बना कर इन्हें दस्तावेज़ी की तरह संभालने का प्रयास किया है लुधियाना के एक सक्रिय वकील ने। 

लुधियाना के सीनियर एडवोकेट मुनीष पुरंग ने सच्ची घटनाओं पर अधारित पहली किताब को लिखा है। इस किताब को नाम दिया गया है "द रेप फाइल"। यह किताब उन केसों पर अधारित है, जिनमें पहले महिलाओं ने पुरुषों पर  रेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। जब मामला अदालत में पहुंचा तो अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। अदालत ने आरोपियों को बा इज्जत बरी कर दिया। इस तरह की बहुत सी दास्तानें हैं इस पुस्तक में।  शुक्रवार को विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने इस किताब का विमोचन किया है। 

किताब के लेखक एडवोकेट मुनीष पुरंग बताते है कि उनकी किताब में कुल 12 कहानियां है। यह सभी सच्ची घटनाओं पर अधारित है। इन 12 मामलों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और अदालत में केस भी चले।  इन केसों में बतौर एडवोकेट उन्होंने आरोपियों की  तरफ से केस लड़ा है। सुनवाई दौरान शिकायतकर्ता महिलाओं ने अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। इस मामले के आरोपियों को अदालत ने बा इज्जत बरी कर दिया। इसलिए मेरे मन में ख्याल आया क्यों न समाज में चल रहे इस  ब्लैकमेलिंग का खुलासा आम लोगों के सामने रखा जाए। इसलिए इस किताब को लिखा गया है। 

इस किताब को लिखने में लुधियाना के जाने माने सर्जन डाक्टर  केके अरोड़ा ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया। शुक्रवार को किताब के विमोचन के समय राहुल शर्मा, हरदियाल सिंह, मन्नू पुरंग, आरएस मंड, इंदरपाल सिंह, मैडम गरिमा, नरिंदर सिंह, सुखविंदर सिंह धालीवाल सहित कई अन्य लोग मौजूद थे। 

वकील मुनीश पुरंग ने केवल इस तरह की घटनाओं और मामलों को सहेजा ही नहीं बल्कि फैसला होने के बाद की हालतों में कुरेदा भी है। इनमें से ब्लैकमेलिंग की संभावना का भी पता लगाया है। समाज में ऐसा होना अब आम भी होने लगा है। इसे एक हथियार की तरह भी इस्तेमाल किया  जाने लगा है।  यही सिलसिला जारी रहा तो क्या बनेगा समाज का? क्या वकील मुनीश पुरंग की चिंताओं में सामजिक संगठन अपना योगदान देंगें? 

अब देखना है कि इस तरह के ने ट्रेंड की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। मुकरने वाली लड़कियों/महिलाओं के साथ कानून अतीत में भी सख्ती से पेश आता रहा है लेकिन शायद इस सख्ती को और बढ़ाना पड़ेगा। 

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Thursday, August 17, 2023

विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन

 प्रविष्टि तिथि: 17 AUG 2023 6:48 PM by PIB Delhi

आयोजन हुआ दि अशोक होटल, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में संपन्‍न


नई दिल्ली
: 17 अगस्त 2023: (पीआईबी//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

विभिन्न सरकारी विभागों और संगठनों ने भाषा और साहित्य के विकास में निरंतर सहयोग दिया है। तकरीबन तकरीबन हर विभाग में ऐसे कक्ष या टीम का गठन रहता ही है। इस रूचि से सबंधित लोग अक्सर भाषा और साहित्य से जुड़े आयोजनों में भाग भी लेते हैं। 

विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह की अध्‍यक्षता में दिनांक 17 अगस्त, 2023 को दि अशोक होटल, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में संपन्‍न हुई। बैठक में विद्युत मंत्रालय के विशेष सचिव एवं वित्‍तीय सलाहकार एवं मंत्रालय के अन्‍य अधिकारीगण उपस्थित थे। विद्युत मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति में संसद सदस्य, अपने विषय के विशेषज्ञ गैर-सरकारी सदस्य तथा विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हैं।

बैठक को संबोधित करते हुए केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने कहा कि राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्रीय एकता के लिए एक राष्ट्रभाषा का होना अति आवश्यक है जिसमें हिंदी पहले से ही अपनी भूमिका निभा रही है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता के लिए आपसी संवाद की आवश्यकता पर भी बल दिया। श्री आर.के. सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत काल में हम सभी ने संपन्‍न भारत का संकल्‍प लिया है। राष्‍ट्र निर्माण में उसकी भाषा की संपन्‍नता भी निहित है इसलिए हमें अपनी राजभाषा हिंदी को भी जन-जन की भाषा बनाते हुए संपन्‍न बनाना है।

बैठक में माननीय सदस्यों द्वारा बैठकों का नियमित आयोजन, पत्रिकाओं का नियमित प्रकाशन, हिंदी पुस्तकों की खरीद तथा पुस्तकों की पठनीयता बढ़ाना, शीर्षस्थ स्तर पर मूल रूप से हिंदी में कार्य करना आदि बहुमूल्य सुझाव दिए गए। तदुपरांत, बैठक के लिए राजभाषा हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देते हुए प्रशंसनीय कार्य करने के लिए वर्ष 2021-22 तथा वर्ष 2022-23 हेतु विभिन्न सीपीएसयूज़ को एनटीपीसी राजभाषा शील्ड से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर माननीय मंत्री श्री आर.के. सिंह के कर कमलों द्वारा विद्युत मंत्रालय के नियंत्रणाधीन सभी उपक्रमों द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित की जाने वाली पत्रिकाओं का विमोचन किया गया।

माननीय मंत्री जी को औपचारिक धन्यवाद के साथ ही यह बैठक समाप्त हुई। कितना अच्छा हो अगर इस तरह के आयोजन करते समय भाषा और साहित्य से जुड़े उन लोगों को भी विशेष तौर पर निमंत्रित किया  जाए जिनकी न तो इन विभागों में कोई पहुंच होती है और न ही उनकी आर्थिक दशा अच्छी होती है। 

***PIB//PIB DELHI | DJM (रिलीज़ आईडी: 1949955) 


Wednesday, June 7, 2023

आम जनता के जीवन को भी नज़दीक से देखा है लेखिका सुमिता ने

आंच में हैं गहन संवेदना का अहसास करवाती कविताएं 

मोहाली: 7 जून 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

सुमिता कुमारी उन कलमकारों में से हैं जो सत्ता में या सत्ता के नज़दीक रहते हुए भी अपने अंतर्मन में छुपे हुए  लेखक को जागरूक रखते हैं। आसपास के क्षेत्र में सब कुछ बारीकी से देखते भी हैं और फिर उसे बहुत ही सलीके से व्यक्त भी करते हैं। जब अनुभूति की अभिव्यक्ति का ढंग शायरी हो तो ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इस ज़िम्मेदारी का अहसास आपको सुमिता जी की रचना में नज़र भी आएगा। गहनता से महसूस भी होगा। 

डयूटी के साथ साथ कलम की साधना आसान नहीं होती। बहुत से अनुशासन और बहुत से नियम--सब याद रखना पड़ता है। इस सब के बाद सम्भव हो पति है साहित्य की साधना। सुमिता कुमारी का जन्म 12 जून, 1983 को रामपुर नगवाँ, पालीगंज, पटना (बिहार) में हुआ। वह इतिहास एवं हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं। उनकी कविताएँ एवं कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। ‘मौसम बदलने की आहट’ नामक कविता-संग्रह में कुछ कविताएँ शामिल हैं। ‘आँच’ उनका पहला कविता-संग्रह है। शायरी बहुत ही कोमल संवेदना भरी साधना होती है और इसके ज़रिए निष्ठुर समाज की बात करना बेहद मुश्किल भी होता है लेकिन सुमिता जी ने यह सब आसानी से किया। उनका काव्य संग्रह आंच बताता है कि उनकी काव्य साधना को अपनी रचना प्रक्रिया के दौरान कितना तपना पड़ा होगा। कैसे कैसे हालात सामने आए हो सकते हैं।   

कलम और जीवन दोनों के दरम्यान संतुलन भी सहज नहीं होता। वर्तमान में वह बिहार के नालंदा में  प्रखंड विकास पदाधिकारी हैं। इसलिए समाज के बहुत से वर्गों के साथ उनका आमना सामना होता ही है। समाज के इन विभिन्न वर्गों के विभिन्न जीवन ढंग, दोगले चेहरे और गिरगिट की तरह बदलते रंग उन्होंने सब बहुत नज़दीक से देखा होगा।

उनमें कलम की क्षमता अद्भुत है। सुमिता कुमारी प्रतिभावान कवि और गद्यकार हैं। उन्होंने अपने आस-पास के जीवन को भी कविता में ढाला है और इस तरह कुछ मर्मस्पर्शी कविताओं की भी रचना की है। इन कविताओं की विशेषता यह है कि यह पहली बार पढ़ने या सुनने पर ही दिल में उतरती चली जाती हैं।  एक महिला होने के नाते उन्होंने महिला जीवन की विषमताओं और कठिनाइयों को भी नज़दीक से देखा। 

महिला जीवन को जब कोई महिला देखती है तो उसकी नज़र वो सब भी देख पाती है जिसे देखना या समझना सब के बस में होता ही नहीं। अगर इस पीड़ा को देखने समझने वाली महिला लेखिका भी हो तो बात ही कुछ और हो जाती है। उनको पढ़ने वाले प्रबुद्ध पाठक बताते हैं कि यहाँ स्त्रियों के पारिवारिक जीवन और श्रमिक स्त्रियों के संघर्ष तथा जीवट के नए चित्र मिलते हैं। ‘आँच’ शीर्षक कविता जीवन-संग्राम और प्रतिरोध की विशिष्ट कविता है। धान रोपती स्त्रियों और वृद्धाओं के जीवन के विश्वसनीय रेखांकन द्रवीभूत करते हैं। इन कविताओं की तेज आँच हमें तप्त कर देती है। अधिकांशतः ये कविताएँ गद्यबद्ध हैं। कहीं-कहीं लय का भी मिश्रण है। भाषा सरल, सहज और मुहावरेदार है। मगही के अनेक शब्दों का निपुण व्यवहार कवि की सृजन-क्षमता को दर्शाता है और उनकी रचनाओं को अद्वितीय बनाता है। कुछ नए बिम्ब और अलंकरण भी कवि ने सिरजे हैं। मगही भाषा की समृद्धि का समुचित उपयोग हिन्दी कविता में कम ही हो पाया है। इस तरह इस पुस्तक में संकलित रचनाओं ने इस पुस्तक को उन पुस्तकों के वर्ग में भी ला दिया है जो भाषा को अमीर बनाने में अपना योगदान देती हैं। 

उनको नज़दीक से जानने वाले साहित्यकार और कलाकार बताते हैं कि पेशे से प्रशासनिक पदाधिकारी होते हुए भी सुमिता जी ने निरन्तर काव्य-साधना की है और जीवन को बहुत ध्यान से देखा है। बहुत बारीकी से जीवन के उतराव चढ़ाव का जहां अध्यन किया है। लोगों के जीवन और उनके दुःख सुख बहुत ही नज़दीक हो कर देखे हैं। वास्तव में बाहरी दुनिया के साथ-साथ आन्तरिक दुनिया का भी वह अनवरत अवलोकन करती रहती हैं और इसके साथ साथ अत्यन्त व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भी काव्य-रचना के लिए किंचित अवकाश निकाल ही लेती हैं। उनकी कविता पढ़ते हुए पाठक इसीलिए खो से जाते हैं क्यूंकि इन कविताओं में आवेग और त्वरा है जो सुमिता जी को बाक़ी सभी समकालीनों से पृथक एक विशिष्ट स्थान पर स्थापित करती है। इसलिए देश और दुनिया के साहित्य से भी उनका सम्पर्क निरंतर बना रहता है। वह पाठकों के पत्रों का जवाब भी देती हैं और उनके व्हाटसएप्प संदेशों का भी। समय मिलने पर आयोजनों में शामिल होने का भी प्रयास करती हैं। 

जल्द ही हमें उनकी काव्य रचनाओं और अन्य रचनाओं का नया संकलन भी मिले ऐसी आशा भी है और आकांक्षा भी। हम जल्दी ही देख पाएंगे उनकी नई पुस्तक इसकी उम्मीद हम भी को है। उनकी काव्य रचनाओं को पंजाबी और अन्य भाषाओं में अनुदित करने की संभावनाओं पर भी बात जल्दी ही हम सभी के पास खुशखबरी बन कर आएगी।  

देखिए उनकी एक रचना का रंग भी:

प्रेम//सुमिता

आसान नहीं था 

उसे जिंदगी में वापस खींच लाना

सब कुछ देकर ही तो उसने यह जिंदगी चुनी थी

वह हंसता-गाता और रोता भी था

लेकिन खुद को समभाव ही दिखाया सबको

मानवीय भावनाएं उसे साबित कर सकती थी सांसारिक

उसने कभी वादा किया था 

कि उसे सौंप देगा अपने जीवन का बसन्त

और पतझड़ में बिखरते हुए भी

उसने किसी सावन में भीगना नहीं चुना

उसे जिंदगी से मोह बस इतना था 

कि जिंदगी किसी की अमानत है

और देह से अपनापन इतना ही 

कि देह ने बसा रखी है किसी और की आत्मा

जिसका त्याग उसकी हत्या के बराबर है

उसे देखकर महसूस होता 

कि विरक्त-सा यह आदमी

लड़ रहा है युद्ध 

स्वयं के विरुद्ध

अपनी काया में जी रहा है अनागत अस्तित्व

जो कभी उसके जीवन का हिस्सा न बन सका


वह आंखें कितनी अनमोल होंगी 

उसकी बातें कितनी मर्मस्पर्शी

जिसमें डूबकर 

कोई सारी उम्र पार नहीं उतरना चाहता

भूल जाना चाहता है दुनियां

लेकिन उसे नहीं भूलना चाहता

उसके जाते

दुनियां में प्रेम करने लायक कुछ नहीं रहा


यह किसका भाग्य है किसका दुर्भाग्य

कितना उचित है कितना अनुचित

बहस का मुद्दा हो सकता है

मगर आधुनिकता के दौर में 

ऐसी आत्माओं ने ही बचा रखी है

प्रेम की आत्मा...

सुमिता (27-01-23)

आपको यह पोस्ट कैसी लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी। 

                                                                                 प्रस्तुति:कार्तिका कल्याणी सिंह (हिंदी स्क्रीन डेस्क)

Thursday, April 13, 2023

प्रेम में हारे हुए पुरुष//शिखा पांडेय

गहरे अहसास की गहरी रिपोर्ट जैसी है यह पोस्ट 


सोशल मीडिया
: 13 अप्रैल 2023: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

सोशल मीडिया का ज़माना है। यह  बात अलग है कि आजकल केवल सियासत से जुडी बातों का ही गंभीरता से नोटिस लिया जाता है जबकि बहुत कुछ और भी होता है जिसे पढ़ते, सुनते जा देखते हुए मन में बहुत कुछ कौंधने लगता है। ऐसी ही एक रचना गत रात भी पढ़ी जिसे पोस्ट किया गया था 22 अप्रैल 2020 को। 

कोई ज़माना था जब केवल पुरुष  पर ही काव्य रचनाएं लिखी जाती रही। उनकी कथाएं और गाथाएं बनती रहीं। जल्द ही ट्रेंड बदला और प्रशंसा भरे इस साहित्य में महिलाओं की निंदा कम हो गई। फिर नारी की प्शारशंसा का रिवाज भी शुरू हुआ। बहुत सा साहित्य लिखा गया और बहुत सी फ़िल्में भी बनीं। शायद इसलिए कि धीरे धीरे  महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया था। समय के साथ साथ यह अनुपात बार बार बदलता ही चला गया। इस बदलते हुए अनुपात में नारी का दर्द तो सामने आता रहा और बहुत से कानून भी बनें लेकिन पुरुष का दर्द नज़रअंदाज़ होता रहा। इसी बीच नर-नारी की बराबरी की आवाज़ ने ज़ोर पकड़ा और इस पर भी लिखा जाने लगा कि मर्द को भी दर्द होता है। वह भी रोता है बेशक छुप कर ही सही। इसी विषय पर सोशल मीडिया में एक काव्य जैसी रचना फेसबुक पर भी नज़र आई। लेखिका का नाम शिखा पांडेय बताया गुया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। फिलहाल आप यह पोस्ट पढिए जिसमें आपको काव्य रस का अहसास भी महसूस होगा। अंतर्मन में चलते द्वंद और पीड़ा का भी अहसास होगा।  आपको यह रचना कैसी लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी। स्नेह के साथ आप का--रेक्टर कथूरिया 

यह है वो रचना 

प्रेम में हारे हुए पुरुष

कहीं दूर गाँव या शहर में

ढूँढते हैं एक शांत कोना

जहाँ होता है मध्यम अलसाया हुआ अँधेरा

उदास पुरवाई को लिये हुए

वो जूझते है अपने ही अंतर्मन में छुपे अपनी नाकामी के सवालों से, क्योंकि वो पुरुष है इसलिए कह नही सकते किसी से भी अपनी व्यथा....

गुम करने लगते है खुद को बेवज़ह मुस्कुराहटों की तहरीरों में....झोंक देते हैं स्वयं को रोज़गार की भट्टी में

और जब इनसे में शांत नही होता उनका चित्त तो आ जाते हैं किसी सोशल मीडिया के द्वार पर और ढूढने लगते हैं किसी द्वार पर झूठा प्रेम....जी हां सिर्फ झूठे प्रेम को ही ढूढते है क्योंकि नही जाना चाहते छोड़कर ये अपने पुराने अक्स को......और बन जाते है दुनिया की नज़र में बेग़ैरत और लानत भरे बेशर्म पुरुष, और फिर इसी झूठी दुनिया मे लिप्त होकर

वे खोजते हैं अपनी पवित्रता को।

और अंत में अब  वो रोज देखते हैं उस हाथ की  हथेलियों में गहरी रेखाओं को

जिन्हें देखकर किसी भविष्य वक्ता ने कहा कि

तुम भाग्यशाली हो...❤️

- शिखा पांडेय


Sunday, April 9, 2023

एक आंदोलन है प्रगतिशील लेखक संघ//सुसंस्कृति परिहार

9th April 2023 at 8:54 AM

    स्थापना दिवस 9 अप्रैल पर विशेष   

प्रगतिशील लेखक संघ का उदय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अहम् मुद्दे को लेकर हुए लेखकों के आंदोलन से हुआ।प्रगतिशील लेखकों के आंदोलन की उत्पत्ति 'अंगारे' के प्रकाशन में देखा जा सकता है, यह नौ लघु कहानियों का संग्रह और अहमद अली, सज्जाद ज़हीर, राशिद जहाँ और महमूद द्वारा एक-अभिनय नाटक- 1932 में उज़-ज़फ़र को समेटे हुए है।यह पुस्तक  नागरिकों और धार्मिक अधिकारियों की नाराजगी के साथ सामने आई जिसको  संयुक्त प्रांत की सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।  

इस पुस्तक के लेखक ने इसके लिए कोई क्षमा याचना नहीं की वे इसे लॉन्च करने के परिणामों से डरे नहीं वे  केवल 'इसे लॉन्च करने के अधिकार और इसके   सामान्य रूप से मानव जाति और भारतीय लोगों के लिए सर्वोच्च महत्व के सभी मामलों में स्वतंत्र आलोचना और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के लिए खड़े हो गए। इसी अधिकार की प्राप्ति के लिए  प्रगतिशील लेखकों की एक लीग का तुरंत गठन किया, और कहा गया कि  लेखक समय-समय पर अंग्रेजी और हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में अपने  संग्रह प्रस्तुत करें। जो इस विचार में रुचि रखते हैं, वे हमसे संपर्क करें। प्रगतिशील लेखक और उनका साहित्य सामने आ गया।इतना ही काफी था।

इसके बाद तो इंडियन प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन की स्थापना लंदन में 1935 में हुई जिसके अध्यक्ष बने सज़्जाद ज़हीर। वे सन् 1933में लंदन गए थे अध्ययन के लिए  लेकिन उनके दिलों दिमाग में 'अंगारे 'तैर रहे थे। 1936 में ज़हीर हिंदुस्तान आ गए और लखनऊ में रिफा -ए-आम क्लब में सैयद सज्जाद जहीर और अहमद अली के नेतृत्व में  9अप्रैल 1936 को अखिल भारतीय लेखक संघ की स्थापना की गई थी ।  प्रथम अध्यक्ष बने थे मुंशी प्रेमचंद। यहाँ आने से पूर्व वे अलीगढ़ में डॉ॰ अशरफ, इलाहबाद में अहमद अली, मुम्बई में कन्हैया लाल मुंशी, बनारस में प्रेमचंद, कलकत्ता में प्रो॰ हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे। 

उनका विचार था कि ये साम्राज्यवाद और जागीरदारी की सैद्धांतिक बुनियादें हैं। इलाहाबाद पहुंचकर सज्जाद ज़हीर अहमद अली से मिले जो विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे। अहमद अली ने उन्हें प्रो॰एजाज़ हुसैन, रघुपति सहाय फिराक, एहतिशाम हुसैन तथा विकार अजीम से मिलवाया. सबने सज्जाद ज़हीर का समर्थन किया। शिवदान सिंह चौहान और नरेन्द्र शर्मा ने भी सहयोग का आश्वासन दिया। प्रो॰ ताराचंद और अमरनाथ झा से स्नेहपूर्ण प्रोत्साहन मिला। सौभाग्य से जनवरी 1936 में हिन्दुस्तानी एकेडमी का वार्षिक अधिवेशन हुआ। अनेक साहित्यकार यहाँ एकत्र हुए - सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ॰ अब्दुल हक़, गंगा नाथ झा, जोश मलीहाबादी, प्रेमचंद, रशीद जहाँ, अब्दुसत्तार सिद्दीकी इत्यादि। सज्जाद ज़हीर ने प्रेमचंद के साथ प्रगतिशील संगठन के घोषणापत्र पर खुलकर बात-चीत की। सभी ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। अहमद अली के घर को लेखक संगठन का कार्यालय बना दिया गया। पत्र-व्यव्हार की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई। सज्जाद ज़हीर पंजाब के दौरे पर निकल पड़े. इस बीच अलीगढ में
सज्जाद ज़हीर के मित्रों -डॉ॰ अशरफ, अली सरदार जाफरी, डॉ॰ अब्दुल अलीम, जाँनिसार अख्तर आदि ने स्थानीय प्रगतिशील लेखकों का एक जलसा ख्वाजा मंज़ूर अहमद के मकान पर फरवरी १९३६ में कर डाला। अलीगढ में उन दिनों साम्यवाद का बेहद ज़ोर था। वहां की अंजुमन के लगभग सभी सदस्य साम्यवादी थे और पार्टी के सक्रिय सदस्य भी। यहीं मुंशी प्रेमचंद ने अपने प्रथम उद्बोधन में कहा था कि यूं तो साहित्य  की बहुत-सी परिभाषाएं की गई हैं, पर मेरे विचार से उसकी सर्वोत्तम परिभाषा ‘जीवन की आलोचना’ है। चाहे वह निबंध के रूप में हों, चाहे कहानियों के या काव्य के, उसे हमारे जीवन की आलोचना और व्याख्या करनी चाहिए।साहित्यकार का लक्ष्य स्पष्ट करते हुए उन्होंने साफ तौर पर कहा थ-" केवल महफिल सजाना और मनोरंजन का सामान जुटाना नहीं है, - उसका दरजा इतना न गिराइए। वह देश-भक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सचाई भी नहीं, बल्कि उनके आगे मशाल दिखाती हुई चलने वाली सचाई है।"

मौजूदा दौर में भी प्रगतिशील लेखक संघ सक्रिय है। इसका सत्रहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन जयपुर में हुआ था जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर तमिल के बहुप्रतिष्ठित लेखक श्री पुन्नीलन और राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक प्रो. सुखदेव सिंह सिरसा चुने गए थे। अब अगला सम्मेलन 20, 21 और 22 अगस्त को हरिशंकर परसाई की जन्मशताब्दी के अवसर पर जबलपुर में आयोजित होगा।  यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता का समर्थन करता है और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता है। जबलपुर में होने जा रहा सम्मेलन सुविख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की समर्पित है वे एक परिवर्तन कामी रचनाकार थे उनके व्यंग्य आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। परसाई जी के व्यंग्य की शिष्टता का संबंध उच्चवर्गीय मनोरंजन से ना होकर समाज में सर्वहारा की उस लड़ाई से अधिक है जो आगे जाकर मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यही प्रगतिशील लेखक संघ का प्रमुख उद्देश्य भी है।

Thursday, March 23, 2023

पत्रकारिता बचाओ दिवस के मौके पर एकजुट हुआ मीडिया

Thursday 23rd March 2023 at 07:55 PM

पत्रकारिता को दरपेश चुनौतियों और खतरों की हुई चर्चा 

चण्डीगढ: 23 मार्च 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क):: 

आज मीडिया कर्मी देश के तकरीबन सभी कोनों में एकत्र हुए और अपनी एकजुटता का इज़हार भी किया।चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में  स्थित प्लाज़ा मार्किट में आज मीडिया की चहल पहल रही। मौका था शहीदी दिवस का और आव्हान था पत्रकारिता बचाओ दिवस मनाने का।  बहुत से पत्रकारों ने आज इस आश्य के संकल्प भी लिए। चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन (रजि.) द्वारा इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के आह्वान पर देश के महान शहीदों के बलिदान दिवस पर आज पत्रकारिता बचाओ (सेव जर्नलिज्म) दिवस मनाया। इस मौके पर और चंडीगढ़ के सेक्टर 17 स्थितप्लाज़ा मार्कीट ग्राउंड में ही में पत्रकारों की मांगों को लेकर धरना दिया गया और प्रदर्शन भी  किया गया। इस अवसर पर पंजाब व चंडीगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन के सदस्य व पदाधिकारी भी उपस्थित रहे। सीएचजेयू ने पत्रकारिता पर निरंतर बढ़ रहे संकट पर चिंता जताते हुए सरकार से पत्रकारों की मांगों को तुरंत पूरा करने की मांग भी की। आज गोदी मीडिया का भी खुल कर विरोध हुआ। आज के आयोजन में सोशल मीडिया से जुड़े पत्रकार लोग भी शामिल हुए। जनहित से जुड़े विभिन्न चैनल अपनी मौजूदगी का अहसास करने पहुंचे हुए थे। इन लोगों ने कवरेज भी बहुत गंभीरता और बारीकी से की। 

पत्रकारिता सचमुच गंभीर संकट और खतरों में है इसलिए आज की इस बैठक में चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राम सिंह बराड़, प्रदेश महासचिव सुरेंद्र गोयल, ललित धीमान, सतीश शर्मा,
अख्तर फारूखी, रंजना शुक्ला, प्रवीण कुमार, कमलजीत सिंह, अजीत सिंह व इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव बलविंदर जम्मू, पीसीजेयू के प्रदेशाध्यक्ष बलबीर सिंह जंडू, ङ्क्षबदू सिंह, जय सिंह छिब्बर, तरलोचन सिंह सहित अनेक वरिष्ठ पत्रकार उपस्थित रहे। यूनियन के नेताओं ने शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव को श्रद्धांजलि देते हुुए कहा कि शहीदे आजम भगत सिंह खूद एक पत्रकार थे और उनका जीवन हमेशा पत्रकारों को प्रेरणा देता रहेगा। इस बैठक के अवसर पर शहीदे आज़म भगत सिंह को एक पत्रकार के तौर पर भी याद किया गया। 

इन खतरों, संकटों और चुनौतियों पर इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन काफी समय से चर्चा भी करती आ रही है। पत्रकारिता बचाओ दिवस मनाने के मकसद से बुलाई गई इस बैठक को संबोधित करते हुए आईजेयू के राष्ट्रीय महासचिव बलविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि पत्रकारों की जायज मांगों की पिछले काफी समय से निरंतर अनदेखी हो रही है। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि पत्रकारों को कोरोना काल से पहले रेल यात्रा दौरान रियायती दरों पर यात्रा सुविधा मिलती रही है, जिसे कोरोना काल के दौरान अस्थाई तौर पर बंद किया गया था, लेकिन अब हालात सामान्य होने के बावजूद भी उसे अभी बहाल नहीं किया गया। इसे तुरंत बहाल किया जाए। पत्रकारों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र व राज्य स्तर पर पत्रकार संरक्षण कानून बनाए जाएं, ताकि पत्रकार अपना कर्तव्य बिना किसी दबाव व भय के पूरा कर सकें। प्रेस परिषद के स्थान पर मीडिया परिषद का गठन किया जाए और उसमें राष्ट्रीय स्तर की तमाम यूनियनों व संगठनों को प्रतिनिधित्व दिया जाए। राष्ट्रीय स्तर की सभी यूनियनों व संगठनों को केंद्रीय मीडिया एक्रीडेशन कमेटी व राज्य एक्रीडेशन कमेटियों में प्रतिनिधित्व बहाल किया जाए। गौरतलब है कि इस तरह की एक्रीडेशन मीडिया को अपनी डयूटी निभाने के लिए भी आवश्यक है। 

आज के इस आयोजन के मौके पर पत्रकारिता को दरपेश चुनौतियों की भी विस्तृत चर्चा हुई और मीडिया नेताओं ने कहा कि पत्रकारों पर देश भर में विभिन्न स्थानों पर झूठे मामले दर्ज करना बंद किया जाए। पत्रकारों को मुख्यधारा के कोरोना योद्वा मानते हुए कोरोना काल में मारे गए सभी पत्रकारों के परिवारों को उचित आर्थिक सहायता दी जाए। सरकार और समाज को भी इस तरफअपना नैतिक कर्तव्य निभाना चाहिए।  

कुछ और मांगें भी उठाईं गई। इसके साथ ही पीआईबी एक्रीडियेशन रूलज में से गैर जरूरी व पक्षपाती नियम व शर्तें हटाई जाएं। उन्होंने कहा कि देशभर में एक ऐसा माहौल कायम किया जाए, जिससे पत्रकार स्वतंत्रता के साथ निष्पक्ष होकर अपना कर्तव्य निभा सके। 

मीडिया कर्मियों से जुडी हुईं इन मांगों और चुनौतियों की चर्चा करते हुए बलविंदर सिंह जम्मू ने कहा कि आज प्रैस की स्वतंत्रता कसौटी पर लगी हुई है और भारतीय मीडिया दुनिया भर में 150वें स्थान पर पंहुच गया है। सीएचजेयू अध्यक्ष राम सिंह बराड़ ने कहा कि चंडीगढ़ एंड हरियाणा जर्नलिस्ट यूनियन ने काफी समय पहले यूनियन ने प्रदेश सरकार को पत्रकारों की मांगों बारे ज्ञापन सौंपे थे, लेकिन अभी तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। पत्रकारों की जायज मांगों को तुरंत स्वीकार करके सरकार उन्हें राहत प्रदान करे।

Thursday, March 16, 2023

महिला काव्य मंच लुधियाना इकाई की मार्च माह की काव्य गोष्ठी

Thursday 16th March 2023 at 06:07 PM

सीमा भाटिया की अध्यक्षता में हुआ विशेष आयोजन 


लुधियाना: 16 मार्च 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन):: 

करीब ढाई तीन बरस पूर्व लुधियाना में हिंदी स्क्रीन की टीम को महिला काव्य मंच की एक बैठक में जाने का सुअवसर मिला। बहुत ही सादगी भरे आयोजन में अनुशासन और समय सीमा का विशेष ध्यान रखा जा रहा था। इस मौके पर करीब हर उम्र की लेखिकाएं थीं। हिंदी का रंग भी था, पंजाबी का भी और उर्दू का भी। इस शायरी में दर्द महिलाओं से भी जुड़ा हुआ था और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से भी। देश विदेश में फैली हिंसा ने भी महिला काव्य मन को आहत किया था और लगातार बढ़ती हुई महंगाई ने भी। ज़िंदगी के इन सभी रंगों की झलका महसूस हुई महिला काव्य मंच के मुशायरे में। इस बार भी शायरी का रंग यादगारी रहा। 

महिला काव्य मंच लुधियाना इकाई की मार्च माह की काव्य गोष्ठी श्री नरेश नाज़ के सानिध्य में लुधियाना इकाई की अध्यक्ष सीमा भाटिया की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। इस काव्य गोष्ठी में मंच संचालन का उत्तरदायित्व शैली रूबानी ने मां सरस्वती को नमन कर बडी कुशलता से निभाया। मुख्य अतिथि के रूप में पंजाब इकाई की मुख्य अतिथि इरा दीप जी और विशिष्ट अतिथि महासचिव बेनू सतीश कांत शामिल हुईं।कार्यक्रम में सभी कवयित्रियों ने उत्साह से भाग लिया और सभी ने बेहद उम्दा प्रस्तुति की। भाग लेने वाली कवयित्रियों में मोनिका कटारिया, ज्योति बजाज,शांति जैन,पूनम सपरा,संगीता भंडारी,मनीषा शर्मा,श्रद्धा शुक्ला और अर्चना खापरान रहीं।अंत में अध्यक्ष सीमा भाटिया नें सभी का धन्यावाद किया और एक अत्यंत सफल गोष्ठी के लिये संगीता भंडारी ने सभी को बधाई दी।

Monday, February 13, 2023

ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’

Sunday 12th February 2023 at 01:16 PM

जिसमें मिलेगी अतीत और आज की झलक 


लुधियाना12 फरवरी 2023: (हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

भोपाल एक ऐसा शहर है जहां शिक्षा और साहित्य से जुड़े बहुत से लोग रहते हैं। बुलंद आवाज़ लेकिन बहुत ही सलीके से सच कहने वाले इन लोगों से मिल कर, इनका कलाम पढ़ कर लगता है जैसे भोपाल के जलवायु में ही कोई ऐसा जादू है जो कलम में इंकलाब ले आता है। वहां भोपाल जा कर इन लोगों के जनजीवन को नज़दीक से देखने का मन भी अक्सर होता है और कुछ समय इनके पास रहने का भी। बहुत ही गहरी बातें बहुत ही सादगी से कह जाते हैं ये लोग। कलम और कलाम की दुनिया में इनका कद बहुत ऊंचा ही बना रहता है इसके बावजूद मिलने वालों को इनकी विनम्रता और स्नेह हमेशां के लिए  अपना भी बना लेते हैं ये लोग। विजय तिवारी विजय  लम्बे समय से बहुत ही सादगी से बहुत ही गहरी बातों की शायरी  करते आ रहे हैं। उनकी शायरी सियासत की साज़िशों की बात भी करती है और जी टी रोड पर जीने को तरसती ज़िंदगी की बात भी। देखिए उनकी एक ग़ज़ल की झलक। आज के महाभारत में घिरे अभिमन्यु की चर्चा भी आपको इसी शायरी में मिलेगी और इसके साथ ही हिंदी की मधुरता और उर्दू की मिठास को एक दुसरे के नज़दीक लाने का ज़ोरदार प्रयास भी। मुशायरा कहीं भी हो उनकी हाज़री उसमें चार चाँद लगा देती है। उनकी कोशिश भी होती है कि निमंत्रण मिलने पर शामिल भी ज़रूर हुआ जाए। इसके बावजूद कभी कभी कोई मजबूरी आन ही पड़ती है तो उनके चाहने वाले उदास हो जाते हैं। आपको उनकी शायरी कैस लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही।  --रेक्टर कथूरिया 

कितनी मुश्किल से कटा दिन होश के मारों के बीच। 

शाम ए ग़म का शुक्रिया ले आई मयख़ारों के बीच ...


क्या कभी देखा है वो ग़ुब्बारा ग़ुब्बारों के बीच। 

पेट की ख़ातिर भटकता दौड़ता कारों के बीच...


रिंद ओ साक़ी जाम ओ पैमाना तलबगारों के बीच। 

आ गये सब ग़म के मारे अपने ग़मख़्वारों के बीच... 


चीख़ता ही रह गया मैं अम्न हूँ मैं अम्न हूँ। 

दब गई आवाज़ मेरी मज़हबी नारों के बीच...


बार ए ग़म से लड़खड़ाकर क्या गिरा मस्जिद में आज । 

यूँ घिरा जैसे शराबी कोई दींदारों के बीच...


मौसम ए तन्हाई में बहते हैं आँसू इस क़दर। 

दस्त में बहता हो जैसे झरना कुहसारों के बीच...


बज़्म ए जानाँ में मुझे देखा गया कुछ इस तरह। 

जैसे कोई ग़म का नग़मा कहकहाज़ारों के बीच...


या ख़ुदा अहल ए अदब में यूँ रहे मेरा वुजूद। 

एक जुगनू आसमाँ पर चाँद और तारों के बीच...


एक अभिमन्यु घिरा फिर धर्म संसद में ‘विजय’

रिश्तेदारों चाटुकारों और सियहकारों के बीच

                           ----विजय तिवारी ‘विजय’

चलते चलते विजय साहिब का ही एक और शेयर:

किसी के इश्क में दुनिया लुटा कर

सुखनवर हो गए हैं कुल मिलाकर! 

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Wednesday, February 1, 2023

इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती ने किया विशेष आयोजन

01st February 2023 at 2:45 PM WhatsApp  

डाक्टर पूनम माटिया भी विशेष तौर पर शामिल हुईं 


गाज़ियाबाद: 1 फरवरी 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

डाक्टर पूनम माटिया जी जैसी साहित्यिक शख्सियत जहां भी हों वहां साहित्य के फूल निरंतर खिलते रहते हैं। केवल किसी एक इलाके में ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी साहित्य की सुगंध निरंतर महसूस होने लगती है। हिंदी स्क्रीन के लिए प्राप्त हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस कार्यक्रम की हम चर्चा कर रहे हैं यह आयोजन गत  दिनों 28 जनवरी 2023 दिन शनिवार को चन्द्रनगर क्लब में हुआ। प्रबंधकों के सफल प्रबंध के कारण यह एक यादगारी आयोजन बन पाया। 

इसी कार्यक्रम में लेखक बीरसैन जैन सरल की पुस्तक "सरल काव्य मंजूषा" का लोकार्पण भी हुआ। पुस्तक विमोचन के सुअवसर पर कवि सम्मेलन भी किया गया। इस मुशायरे में जिसमें वरिष्ठ गीतकार रामचरण साथी के संचालन में हास्य कवि सुनहरी लाल तुरन्त, गीतकार कवि इन्द्रजीत सुकुमार, पूनम माटिया, राजेन्द्र प्रसाद राजन ने श्रैत्र के श्रौताओ का अपनी कविताओं से खूब मनोरंजन किया। बीरसैन सरल ने भी अपनी "आज बचपन की याद बहुत आती है" कविता सुनाकर श्रोताओं को बचपन की यादों में खो जाने को मजबूर कर दिया संस्था के महामंत्री अखिलेश कुलश्रेष्ठ ने समापन पर विशेष अतिथि श्री श्री भगवान अग्रवाल निगम पार्षद, सभा के अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा, प्रवीण आर्या, मंच संचालन गीतकार रामचरण साथी, अन्य सभी कवियों का आभार प्रकट किया।

इस सुअवसर पर विशेष तौर पर शामिल हुईं जानीमानी शायरा डाक्टर पूनम माटिया की मौजूदगी अपने आप में बहुत यादगारी रहीं। डा पूनम माटिया वही शायरा हैं जिन्होंने दशकों पहले काव्य साधना शुरू की थी। उनकी पुस्तकों  की चर्चा साहित्यिक क्षेत्रों में अक्सर होती रहती है। हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी और पंजाबी में भी उनके बारे में लिखा जाता। 

आजकल अपने अनुभव का खज़ाना वह फिर से साहित्य प्रेमियों में बाँट रही हैं। 

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Tuesday, January 31, 2023

बेटियों के जन्म के बधाई गीत लेखन सहित 4 प्रतियोगिताओं की घोषणा

 Monday 30th January 2023 at 04:54 PM

प्रविष्टयां: अंतिम तिथि 20 फरवरी//सरोकार समूह का आयोजन


भोपाल
: 30 जनवरी 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन):: 

 एक बच्ची के साथ कुमुद सिंह 
न किसी सरकार से कोई गिला और न ही किसी समाज से कोई शिकायत; बस केवल खुद की कोशिशों के दम पर समाज को बदलने के ज़ोरदार प्रयास। कुमुद सिंह एक पारस की तरह हैं जो भी मिले वह सोना बन जाता है। असली सोने से भी खरे सोने जैसा सच्चा इंसान। इसी तरह बना है कुमुद सिंह जी का विशाल काफिला जो कहता है-जीत ही लेंगें बाज़ी हम तुम खेल अधूरा छूटे न!

पहली मुलाकात में ही चुंबक जैसी शख्सियत की तरह अपना बना लेने वाली कुमुद सिंह के शब्दों में भी बहुत दम होता है और अंदाज़ क्यूंकि उनकी आवाज़ नफा  नुकसान वाले कारोबारी दिल और दिमाग से नहीं आती बल्कि समाज को बदलने वाले उस जनून वाले दिल दिमाग से आती है जिसने सिर्फ एक बात पल्ले बाँधी हुई है कि बाकियों को छोडो हम क्या कर सकते हैं। इसी कोशिश ने उनकी आवाज़ में वह असर पैदा किया है कि उनसे मिल कर उनके विरोधी भी उनकी तरह सोचने लगते हैं। अब उन्होंने एक और नई ज़ोरदार कोशिश की घोषणा की है जिससे समाज को कुछ अक्ल आ सकेगी और इसमें सुधर भी होगा। बच्चियों को बोझ समझने वाले इस नासमझ समाज को बच्चियों की खूबियों का पता चल सकेगा। 

लैंगिक समानता आधारित समाज की रचना के उद्देश्य से अपने अभियान की श्रंखला में सामाजिक संगठन सरोकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर चार प्रतियोगिताओं की घोषणा की गई है. बेटियों के जन्म के बधाई गीत लेखन की राष्ट्रस्तरीय प्रतियोगिता के साथ ही निबंध लेखन, रील बनाओ, फोटोग्राफी की राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए भी प्रविष्टयां आमंत्रित की गई हैं. प्रतियोगिताओं  में शामिल होने के लिए  प्रविष्टयां भेजने की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2023 है. प्रतियोगिताओं के विजेताओं को आकर्षक पुरस्कारों और प्रमाणपत्र के अलावा सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे। 


सरोकार समूह की सचिव कुमुद सिंह ने बताया कि
सभी प्रतियोगिताएं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की जा रही हैं, जिनके नियम और शर्तें तय कर दी गई हैं. बेटियों के जन्म के बधाई गीतों को छोड़कर निबंध लेखन का विषय ‘लैंगिक समानता आधारित दुनिया की रचना मेरी भूमिका”  है और शब्द सीमा अधिकतम 800 शब्द रखी गई है. रील बनाओ प्रतियोगिता का विषय ‘एक जेंडर समावेशी दुनिया’ (a gender inclusive world) है और अवधि 1 मिनट रखी गई है. राष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता का विषय ‘ एक जेंडर न्यूट्रल दुनिया कैसी दिखेगी’ ऱखी गई है. प्रतिभागी अपनी प्रविष्टयां एक या उससे अधिक भी भेज सकते हैं. सभी रचनाएं, रील और फोटो प्रामाणिक और मौलिक होना चाहिए. प्रविष्टयां sarokarcompetition@gmail.com या व्हाट्सएप नंबर-9926311225, 7566874989, 8319269297 पर भेजी जा सकती हैं. पीडीएफ अथवा जेपीजी और फोटो जेपीजी फार्मेट में स्वीकार की जाएंगी.

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Wednesday, January 25, 2023

अंतस् की 42 वीं गोष्ठी//दो काव्य-पुस्तकों का विमोचन

Wednesday 25th January 2023 at 01:02 PM

'अभी तो सागर शेष है..' और मन की गली (पार्ट 2) लोकार्पित हुए 


नई दिल्ली
: 21 जनवरी 2023: (
हिंदी स्क्रीन ब्यूरो):: 

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव काल में तथा गणतंत्र दिवस और वसंत उत्सव के माहौल में आयोजित अंतस् की 42 वीं गोष्ठी काव्य के विभिन्न रसों और विधाओं में उत्कृष्ट, मनहर अभिव्यक्तियों से आच्छादित रही।

इस गोष्ठी की अध्यक्षता की डॉ आदेश त्यागी ने। आर डब्ल्यू ए, विवेक विहार, दिल्ली के प्रधान श्री आनंद गोयल  के सान्निध्य में उन्ही के निवास स्थान पर आयोजित इस गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्री देवेंद्र गिरी (प्रधान ए ब्लॉक) अति विशिष्ट अतिथि श्री शिव कुमार गुप्ता (प्रधान, बाला जी मंदिर) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से ऊर्जा प्रदान की।

बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ तारा गुप्ता ने शिरकत की।

अनुशासित एवं रोचक संचालन  पूनम माटिया का रहा।

श्रीमती अंशु जैन और श्रीमती सुनीता अग्रवाल के श्रेष्ठ संयोजन में आयोजित इस नवरस गोष्ठी में वागीश्वरी के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत वाणी-वंदना अपने सुमधुर स्वर में प्रस्तुत की डॉ ममता वार्ष्णेय ने।

स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह ने।

श्रेष्ठ काव्य प्रस्तुत किया डॉ आदेश त्यागी, डॉ तारा गुप्ता, डॉ ममता वार्ष्णेय, डॉ पूनम माटिया, श्री सत्येंद्र जैन सरस, श्री रजनीश त्यागी राज, डॉ नीलम वर्मा, श्री देवेंद्र प्रसाद सिंह, श्री विनयशील चतुर्वेदी, श्री सुरेशपाल वर्मा जसाला और श्रीमती अनुपमा पांडेय भारतीय ने।

काव्य पाठ की सरस धारा के अतिरिक्त इस गोष्ठी की विशेषता रहा दो काव्य-पुस्तकों का मंचासीन द्वारा विमोचन।

पूनम माटिया कृत 'अभी तो सागर शेष है..' द्वितीय परिष्कृत संस्करण

 तथा 

श्रीमती सुनीता अग्रवाल द्वारा लिखित -मन की गली(पार्ट 2) लोकार्पित हुए।

विशेष उद्बोधनों के क्रम में    मंचासीन अतिथियों द्वारा सभा को संबोधित किया गया तथा श्रीमती पूजा गोयल ने रोचक कविता का  पाठ किया।

सुधि और सहृदय श्रोताओं के रूप में उपस्थित अनेक गणमान्य व्यक्तियों में  श्री नरेश माटिया, श्री निर्मल जैन, श्रीमती पूजा गोयल, श्रीमती राजरानी गुप्ता, श्रीमती ऋतु भाटिया, श्री मनोज शर्मा, श्रीमती सुमन राजदान और श्रीमती बिमला शर्मा शामिल रहे।

अंत में औपचारिक रूप से सभी को श्रीमती अंशु जैन ने सभी की उपस्थिति और काव्यात्मक समिधा हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।

जन-गण-मन के सामूहिक गान के बाद स्वादिष्ट जलपान का सभी ने आनंद लिया। श्री आनंद गोयल जी के नवजात पौत्र की ख़ुशी में ग़ज़ब रसगुल्लों के साथ समाप्त हुई यह अविस्मरणीय गोष्ठी।

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Monday, January 16, 2023

लगातार लोकप्रिय हो रहा है नीलिमा शर्मा का कहानी संग्रह कोई ख़ुशबू उदास करती

Monday: 16th January 2023 at 11:46 AM 

भोपाल में राधा अवधेश स्मृति कथासम्मान से सम्मानित भी किया गया


भोपाल
: 16 जनवरी 2023: (हिंदी स्क्रीन ब्यूरो)::

हिन्दी साहित्य से स्नेह रखने वाले सभी लोगों को यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि जानीमानी लेखिका नीलिमा शर्मा का कहानी संकलन लगातार लोकप्रिय होता जा रहा है। कल भोपाल में विश्व मैत्री संघ में  कहानी संग्रह कोई ख़ुशबू उदास करती है पुस्तक के लिए नीलिमा शर्मा को राधा अवधेश स्मृति कथासम्मान से सम्मानित किया गया। आयोजन में बहुत से गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। 

यह कार्यक्रम भोपाल में श्यामला हिल्स पर राजीव सभागार मे आयोजित किया गया था। इस समारोह में  कई लोगो को उनके साहित्य समाज मे योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वहां पर उनकी कहानी  "टुकड़ा टुकड़ा ज़िंदगी" का कहानी पाठ भी किया गया।

इस कहानी का शशि बंसल जी ने  प्रभावशाली तरीके  से  पाठ किया।  यह कहानी कोरोनाकाल  में लॉकडाउन के समय घर मे कैद  एक सहायिका की मनोस्तिथि  एवं जिजीविषा की कहानी  है। इस कहानी  को मौजूद श्रोताओं द्वारा बहुत सराहा गया। इस कहानी में कोरोनाकाल के उस नाज़ुक दौर में इसका सामना करने वाले लोगों की मानसिक स्थिति और अन्य कठिनाइयों का भी गहन विश्लेषण जैसा प्रस्तुतिकरण है।

इस समारोह में उनके अलावा हरि भटनागर जी एवं  हरीश पाठक जी ने भी अपनी कहानियों का पाठ किया। विश्व मैत्री संस्था की अध्यक्ष सन्तोष श्रीवास्तव जी  ने बहुत कुशलता एवं मनोयोग से इस कार्यक्रम को सम्पन्न कराया। इसके लिए वह बधाई की पात्र है। 

इस मौके पर भोपाल शहर के विभिन्न साहित्यकारों के अलावा अन्य शहरों से आये साहित्यकार भी मौजूद थे। 

नीलिमा शर्मा का यह पहला कहानी संग्रह है। इसमें स्त्री मनोविज्ञान पर आधारित 11 कहानियों को संग्रहित किया गया है। 

स्त्रीमन के विभिन्न कोनों की पड़ताल करती यह कहानियाँ सचमुच बेहतरीन हैं। नीलिमा शर्मा ने  इसके पहले आठ कहानी संग्रहों का संपादन एवं सहलेखन किया है। उनकी  कहानियों का उर्दू, पंजाबी, इंग्लिश, बंगला और जापानी भाषा मे भी अनुवाद हो चुका है।  उनके कहानी संग्रह कोई ख़ुशबू उदास करती  है का पंजाबी वर्जन भी जल्द ही प्रकाशित होगा।

पुरस्कार में शाल श्रीफल पुष्प सम्मानपट्ट के साथ5100  की नकद राशि दी गयी है ।