Monday, February 13, 2023

ताज़ा ग़ज़ल//विजय तिवारी ‘विजय’

Sunday 12th February 2023 at 01:16 PM

जिसमें मिलेगी अतीत और आज की झलक 


लुधियाना12 फरवरी 2023: (हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

भोपाल एक ऐसा शहर है जहां शिक्षा और साहित्य से जुड़े बहुत से लोग रहते हैं। बुलंद आवाज़ लेकिन बहुत ही सलीके से सच कहने वाले इन लोगों से मिल कर, इनका कलाम पढ़ कर लगता है जैसे भोपाल के जलवायु में ही कोई ऐसा जादू है जो कलम में इंकलाब ले आता है। वहां भोपाल जा कर इन लोगों के जनजीवन को नज़दीक से देखने का मन भी अक्सर होता है और कुछ समय इनके पास रहने का भी। बहुत ही गहरी बातें बहुत ही सादगी से कह जाते हैं ये लोग। कलम और कलाम की दुनिया में इनका कद बहुत ऊंचा ही बना रहता है इसके बावजूद मिलने वालों को इनकी विनम्रता और स्नेह हमेशां के लिए  अपना भी बना लेते हैं ये लोग। विजय तिवारी विजय  लम्बे समय से बहुत ही सादगी से बहुत ही गहरी बातों की शायरी  करते आ रहे हैं। उनकी शायरी सियासत की साज़िशों की बात भी करती है और जी टी रोड पर जीने को तरसती ज़िंदगी की बात भी। देखिए उनकी एक ग़ज़ल की झलक। आज के महाभारत में घिरे अभिमन्यु की चर्चा भी आपको इसी शायरी में मिलेगी और इसके साथ ही हिंदी की मधुरता और उर्दू की मिठास को एक दुसरे के नज़दीक लाने का ज़ोरदार प्रयास भी। मुशायरा कहीं भी हो उनकी हाज़री उसमें चार चाँद लगा देती है। उनकी कोशिश भी होती है कि निमंत्रण मिलने पर शामिल भी ज़रूर हुआ जाए। इसके बावजूद कभी कभी कोई मजबूरी आन ही पड़ती है तो उनके चाहने वाले उदास हो जाते हैं। आपको उनकी शायरी कैस लगी अवश्य बताएं। आपके विचारों की इंतज़ार रहेगी ही।  --रेक्टर कथूरिया 

कितनी मुश्किल से कटा दिन होश के मारों के बीच। 

शाम ए ग़म का शुक्रिया ले आई मयख़ारों के बीच ...


क्या कभी देखा है वो ग़ुब्बारा ग़ुब्बारों के बीच। 

पेट की ख़ातिर भटकता दौड़ता कारों के बीच...


रिंद ओ साक़ी जाम ओ पैमाना तलबगारों के बीच। 

आ गये सब ग़म के मारे अपने ग़मख़्वारों के बीच... 


चीख़ता ही रह गया मैं अम्न हूँ मैं अम्न हूँ। 

दब गई आवाज़ मेरी मज़हबी नारों के बीच...


बार ए ग़म से लड़खड़ाकर क्या गिरा मस्जिद में आज । 

यूँ घिरा जैसे शराबी कोई दींदारों के बीच...


मौसम ए तन्हाई में बहते हैं आँसू इस क़दर। 

दस्त में बहता हो जैसे झरना कुहसारों के बीच...


बज़्म ए जानाँ में मुझे देखा गया कुछ इस तरह। 

जैसे कोई ग़म का नग़मा कहकहाज़ारों के बीच...


या ख़ुदा अहल ए अदब में यूँ रहे मेरा वुजूद। 

एक जुगनू आसमाँ पर चाँद और तारों के बीच...


एक अभिमन्यु घिरा फिर धर्म संसद में ‘विजय’

रिश्तेदारों चाटुकारों और सियहकारों के बीच

                           ----विजय तिवारी ‘विजय’

चलते चलते विजय साहिब का ही एक और शेयर:

किसी के इश्क में दुनिया लुटा कर

सुखनवर हो गए हैं कुल मिलाकर! 

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Wednesday, February 1, 2023

इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती ने किया विशेष आयोजन

01st February 2023 at 2:45 PM WhatsApp  

डाक्टर पूनम माटिया भी विशेष तौर पर शामिल हुईं 


गाज़ियाबाद: 1 फरवरी 2023: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

डाक्टर पूनम माटिया जी जैसी साहित्यिक शख्सियत जहां भी हों वहां साहित्य के फूल निरंतर खिलते रहते हैं। केवल किसी एक इलाके में ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी साहित्य की सुगंध निरंतर महसूस होने लगती है। हिंदी स्क्रीन के लिए प्राप्त हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक जिस कार्यक्रम की हम चर्चा कर रहे हैं यह आयोजन गत  दिनों 28 जनवरी 2023 दिन शनिवार को चन्द्रनगर क्लब में हुआ। प्रबंधकों के सफल प्रबंध के कारण यह एक यादगारी आयोजन बन पाया। 

इसी कार्यक्रम में लेखक बीरसैन जैन सरल की पुस्तक "सरल काव्य मंजूषा" का लोकार्पण भी हुआ। पुस्तक विमोचन के सुअवसर पर कवि सम्मेलन भी किया गया। इस मुशायरे में जिसमें वरिष्ठ गीतकार रामचरण साथी के संचालन में हास्य कवि सुनहरी लाल तुरन्त, गीतकार कवि इन्द्रजीत सुकुमार, पूनम माटिया, राजेन्द्र प्रसाद राजन ने श्रैत्र के श्रौताओ का अपनी कविताओं से खूब मनोरंजन किया। बीरसैन सरल ने भी अपनी "आज बचपन की याद बहुत आती है" कविता सुनाकर श्रोताओं को बचपन की यादों में खो जाने को मजबूर कर दिया संस्था के महामंत्री अखिलेश कुलश्रेष्ठ ने समापन पर विशेष अतिथि श्री श्री भगवान अग्रवाल निगम पार्षद, सभा के अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा, प्रवीण आर्या, मंच संचालन गीतकार रामचरण साथी, अन्य सभी कवियों का आभार प्रकट किया।

इस सुअवसर पर विशेष तौर पर शामिल हुईं जानीमानी शायरा डाक्टर पूनम माटिया की मौजूदगी अपने आप में बहुत यादगारी रहीं। डा पूनम माटिया वही शायरा हैं जिन्होंने दशकों पहले काव्य साधना शुरू की थी। उनकी पुस्तकों  की चर्चा साहित्यिक क्षेत्रों में अक्सर होती रहती है। हिंदी के साथ साथ अंग्रेज़ी और पंजाबी में भी उनके बारे में लिखा जाता। 

आजकल अपने अनुभव का खज़ाना वह फिर से साहित्य प्रेमियों में बाँट रही हैं। 

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