Friday, January 24, 2025

पुस्तक मेले में भेंट हो सकेगी वाणी प्रकाशन से भी

Vani Prakashan 23rd January 2025 at 5:46 PM World Book Fair Input and Edited by Kartika Kalyani Singh

करीब 85 नयी पुस्तकों के साथ 12,000+ उत्कृष्ट कृतियाँ मिल सकेंगी


मोहाली: 24 जनवरी 2025: (कार्तिका कल्याणी सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

शब्दों में शक्ति होती है। शब्दों से चमत्कार जैसे अनुभव संभव हैं। जब तन मिट जाता है तो उस समय सब कुछ रख होने के बाद भी शब्द ही हमें ज़ाद दिलाते हैं की फलां फलां कलमकार कैसा था और उसने दुनिया बदलने के लिए कितना सोचा और आम लोगों के सामने नई तब्दीलियों का ब्लू प्रिंट रख दिया। ज़ेह रोड मैप की तरह सदियों तक समाज को रह दिखता है। ऐसी शक्तियों वाले शब्दों को सहेजने के लिए लेखक, प्रकाशक और पुस्तक मेले बहुत ही अमूल्य योगदान दे रहे हैं। ऐसा ही एक पुस्तक मेला दिल्ली में भी लग रहा है पहली फरवरी को। 

पिछले कुछ दशकों में पुस्तकों की लोकप्रियता को बरकरार रखने में पुस्तक मेलों का विशेष योगदान रहा है। विभिन्न पुस्तक मेलों ने पुस्तक कल्चर को प्रशंसनीय बढ़ावा दिया है। पुस्तकों को घर घर पहुँचाने में एक क्रान्ति घरेलू लाइब्रेरी योजना भी लेकर आई थी। आजकल के दौर में जब पुस्तकों के अस्तित्व को खतरा सा महसूस  उस समय पुस्तक मेले इस अस्तित्व को मज़बूत करने में जुटे हुए हैं। वाणी प्रकाशन  इस संबंध में बहुत अच्छी खबरें लाए हैं। 

खुशखबरी यह है कि हर वर्ष की तरह इस बार भी वाणी प्रकाशन ग्रुप विश्व पुस्तक मेला 2025 में नयी किताबों के साथ आपका स्वागत करने के लिए तत्पर है। हम, वाणी प्रकाशन (हॉल नम्बर 2-3, स्टॉल नम्बर N-03), यात्रा बुक्स और भारतीय ज्ञानपीठ की पुस्तकों के स्टॉल (हॉल नम्बर 2-3, स्टॉल नम्बर P-05) पर आपसे 1-9 फ़रवरी 2025 तक, सुबह 11 बजे से शाम 8 बजे तक मिलेंगे। आपका साहित्य घर आपकी प्रतीक्षा करेगा। और आप जानते ही हैं कि साहित्य से सबंधित प्रतीक्षा किस्मत वालों के हिस्से में न ही आते है। 

आधुनिक तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाते हुए आज के डिजिटल युग में किताबों के हर रूप — मुद्रित, ई-पुस्तक या ऑडियो बुक—हम हर माध्यम से अपने पाठकों के समीप पहुँचने के लिए उत्सुक हैं।


आगामी पुस्तक मेले में लगभग 85 नयी पुस्तकों के साथ 12,000+ कालजयी साहित्य, जिसमें कविता, कहानी, उपन्यास, शायरी, कथा साहित्य, बाल साहित्य व अनुवाद की उत्कृष्ट कृतियाँ आपकी प्रतीक्षा में रहेंगी।


वाणी प्रकाशन, भारतीय ज्ञानपीठ और यात्रा बुक्स की गौरवमयी परम्परा के अंतर्गत प्रकाशन, साहित्य व लेखकों को समर्पित है। 


इस मेले में साहित्य की नज़दीकियों का आनंद लेने के इच्छुक कलमकारों और  साहित्य स्नेहियों से निवेदन है कि अपनी सम्भावित आगमन तिथि के बारे में वाणी प्रकाशन को अग्रिम तौर पर अवश्य सूचित करें, ताकि इस संबंध में नेशनल बुक ट्रस्ट को सूचना दी जा सके और आपका हार्दिक स्वागत भी प्रेम के साथ किया जा सके। 


यदि आप इस संबंध में अग्रिम सूचना दे सकें साहित्यिक पत्रकारिता से जुड़े लोगों को भी आपसे संपर्क में आसानी रहेगी। 

Thursday, November 28, 2024

मुल्क सारा बज़ार जैसा है//ह्रदयेश मयंक की एक नई ग़ज़ल के कुछ शेर

 Hindi Poem Posted by Haridyesh Mayank on 26th November 2024 at 5:55 PM FB

दिल मेरा इश्तहार जैसा है.... !


आज ह्रदयेश मयंक की एक नई ग़ज़ल के कुछ शेर जो दिल से लेकर बाज़ार तक की बात करते हैं। निवास मुंबई में है। चिंतन दिशा की संपादक और प्रकाशक हैं। पत्रिका संचालन के चलते स्वनिर्भर भी हैं। वास्तव में नीतिगत और विचारधारक पत्रिकाएं समय भी मांगती हैं, मुश्किलों से जुटाया हुआ धन भी और इसके साथ ही, दिल, दिमाग की पूरी ऊर्जा भी। आसान नहीं होती साहित्य साधना, पत्रकारिता और लेखन। देखिए ह्रदयेश मयंक जी  शायरी का एक अंदाज़। --रेक्टर कथूरिया//संपादक: हिंदी स्क्रीन 


लम्हा- लम्हा उधार जैसा है 

मुल्क सारा बज़ार जैसा है 

सारी दुनिया ख़रीद ली मैंने 

फिर भी दिल बेक़रार जैसा है 

ज़िन्दगी रूठकर निभाती रही 

उसका गुस्सा भी प्यार जैसा है 

हर तरफ़ ,शोर है ,तमाशा है 

सारा मंज़र ग़ुबार  जैसा है 

हर्फ़-ब-हर्फ़ आईने की तरह 

दिल मेरा इश्तहार जैसा है।

    ----सोशल मीडिया से साभार ह्रदयेश मयंक

आपको यह रचना कैसी लगी अवश्य बताएं। नीचे कुमेंट बॉक्स में आपके विचारों की  इंतज़ार रहेगी ही। अपना नाम, स्टेशन का नाम और मोबाईल नंबर साथ लिखेंगे ऑटो हमें ज़्यादा अच्छा लगेगा। 

Tuesday, November 26, 2024

इस आख़री सफर को नाकाम तो मत कह

हिंदी में सियासत की बात करने वाली पत्रिकाओं में भी साहित्य के ज़रिए बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में बहुत कुछ कहा जा रहा है। इस बार देखिए हिंदी सामना में अनुराधा सिंह का अंदाज़:


इस तीरगी को आखिरी पयाम तो मत कह

इस इब्तिदा को अपना अंजाम तो मत कह

इंसानियत है अब भी बाकी जहान में

हैवानियत भरी है आवाम तो मत कह

तेरा ख़ुदा वही है जो मेरा ईश है

इतनी सी बात पर तू कत्लेआम तो मत कह

ये मृगमरिचिका है है भूलभुलैया

इसको ख़ुदा का पावन पैगाम तो मत कह

हम आए हैं वहीं से जाएंगे भी वहीं

इस आख़री सफर को नाकाम तो मत कह

                        ---@अनुराधा सिंह

हिंदी सामना से साभार 

Thursday, October 17, 2024

PEC:14 से 16 अक्टूबर तक तीन दिवसीय कविता कार्यशाला का सफल आयोजन

Thursday 17th October 2024 at 5:29 PM Email K K Singh PEC 

डा.शम्स तबरेज़ी और डा.अनीश गर्ग, ने सिखाई काव्य की बारीकियां 


चंडीगढ़: 17 अक्टूबर, 2024: (हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

जब इंजीनिरिंग और कविता की उड़ान मिलते हैं तो बहुत से नए करिश्मे सामने आने लगते हैं। PEC के छात्रों के लिए इस तरह के करिश्मों को सामने लाने वाली  काव्य वर्कशाप आयोजन कुछ ऐसा ही तजुर्बा था।  बारीकियां सामने लाने लाने  हुए थे दो जानेमाने शायर डा. शम्स तबरेज़ी और डा. अनीश गर्ग। 


पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (PEC) के हिंदी संपादक मंडल (HEB) ने
14 से 16 अक्टूबर तक तीन दिवसीय कविता कार्यशाला का सफल आयोजन किया, जो उनके ओआई लोकेश सर के निर्देशन में संपन्न हुआ। इस कार्यशाला में 40 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इसमें दो प्रख्यात कवियों, डॉ. शम्स तबरेज़ी और डॉ. अनीश गर्ग, ने छात्रों को कविता लेखन और पठन की बारीकियों से परिचित कराया।

डॉ. शम्स तबरेज़ी, जो अपनी गहन और भावपूर्ण कविताओं के लिए प्रसिद्ध हैं, ने आत्म-अभिव्यक्ति के महत्व और शब्दों की शक्ति पर चर्चा करते हुए कार्यशाला की शुरुआत की। उन्होंने छात्रों को अपनी आंतरिक सोच और भावनाओं को कविता के माध्यम से व्यक्त करने के लिए प्रेरित किया, ताकि यह कला उनके व्यक्तिगत अनुभवों का प्रतिबिंब बने। डा. शम्स तबरेज़ी की शायरी भी बहुत  है। उनकी शायरी की एक झलक आप देख सकते हैं बस यहां क्लिक कर के। 

डॉ. अनीश गर्ग, जो काव्य तकनीकों में अपनी मुहारत के लिए जाने जाते हैं, ने छात्रों को कविता के तकनीकी पहलुओं जैसे ताल, छंद और चित्रण से परिचित कराया। उन्होंने इंटरैक्टिव सत्र भी आयोजित किए, जहां प्रतिभागियों ने विभिन्न कविताओं में गहरे अर्थों की परतों की पहचान और सराहना करना सीखा। इस सेशन में सवाल जवाब का सिलसिला काफी दिलचस्प रहा। 

शायरी पर इस कार्यशाला ने सैद्धांतिक ज्ञान और व्यावहारिक अभ्यास का संतुलित मिश्रण प्रदान किया, जिससे छात्रों को विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अपनी कविताएं लिखने का अवसर मिला। इस मार्गदर्शन का इन छात्रों को आगे चल कर फायदा भी बहुत होगा। PEC में आयोजित इस कार्यशाला के अंत तक, प्रतिभागियों ने अपनी लेखन क्षमता में पहले से बहुत अधिक आत्मविश्वास महसूस किया और इस अवसर के लिए प्रशंसा व्यक्त की कि उन्हें इतने कुशल कवियों से सीखने का अवसर मिला।
 
कुल मिला कर यह आयोजन अत्यंत सफल रहा, जिसने छात्रों को प्रेरित और उत्साहित किया, और उनकी काव्य यात्रा को जारी रखने की नई ऊर्जा प्रदान की।

"गीत मेरी मातृभाषा का; है न चाकू जैसी !

कविता//मातृभाषा//सुखपाल 


सभी काम कर लेता है 

तीस साला डेविड 

'हैंडीमैन' हमारे अस्पताल का।

सफाई

टपकती छत की मुरम्मत 

बिजली वाले यंत्र ठीक करना 

टूटी हुई पाइपें जोड़ना 

फर्नीचर बनाना 

ड्राईवाल लगाना 

टायलेट फिट करना 

मशीनें ठीक करना....

दफ़्तर की चाबी घर भूल आया मैं 

डेविड को पूछा...

वह‌ बोला...

"चाबी तो है नहीं 

लेकिन दरवाजा खोल देता हूं तेरा !"

जेब से चाकू निकाल 

डेविड ने ताले के सुराख में झांका 

झट से दरवाजा खोल‌ मारा

और बोला -

चाबी की बजाय चाकू रखा करो जेब में 

"चाबी से एक दरवाजा खुलता है 

चाकू से बहुत सारे 

रोटी वाला भी..."

खुला का खुला रह गया मेरा मुंह 

" इतने काम कहां सीखें, डेविड ?"

वह मुस्कुराया -

" बहुत खराब था मेरा बचपन.."

चाकू हवा में उछाल 

धार की ओर से बोच कर

तीखे स्वर में गीत गुनगुनाते हुए 

वह चल पड़ा ‌दूसरी ओर...

मैंने पीछे से आवाज़ लगाई 

" किस भाषा का गीत है..?"

सिर घुमाकर बोला -

" मेरी मातृभाषा का

है न चाकू जैसी !

यह भी बहुत दरवाजे खोलती है 

मेरे लिए..."

👌🏽👤👌🏽

पंजाबी मूल : सुखपाल 

हिन्दी अनुवाद : गुरमान सैनी 

संपर्क : 9256346906

Sunday, August 18, 2024

कवित्री सम्मेलन में महिला दुष्कर्मो पर गहरा खेद व्यक्त किया गया

Sunday 18th August 2024 at 12:18 AM

 इसके साथ ही दिया गया महिलाओं को सशक्त रहने का सुझाव 


पंचकूला: 17 अगस्त 2024:(कृष्णा गोयल//इनपुट-हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

दुष्कर्मों की ख़बरों ने देश को हिला कर रख दिया है। दुनिया भर में इसकी चर्चा भी है। कुछ ज़्यादा पीछे न ही जाएं तो बात है 6 दिसंबर 2012 की जब निर्भया कांड की। उस कांड पर जितनी चर्चा हुई और जितने आंसू बहाए गए लेकिन वह सब कुछ मोमबत्तियां जलाने तक सीमित हो कर रह गया। न इस तरह की घटनाएं रुकीं और न ही लड़कियां और महिलाएं कभी सुरक्षित हो सकीं। निर्भया कांडा के बाद और भी जघन्य कांड हुए। 

अब कोलकाता तो ऐसी शर्मनाक वारदातों की शिखर बन के सामने आया है। अत्यंत शर्मनाक बात यह भी कि कोलकाता वाली इस वारदात के बाद भी कई जगहों पर इसी तरह की वारदातें होने की खबरें आईं हैं। सुबह अख़बार देखने से भी मन घबराता है। घर से बाहर कामकाज के लिए गईं हुईं बहु बेटियां जब तक घर नहीं लौट आतीं तब तक दिल दिमाग से चिंता नहीं हटती।   इन सभी का गहरा असर पड़ा नारी मानसिकता पर। शायरी और कला क्षेत्र से जुडी महिलाएं दिल दिमाग से आंदोलित भी हुईं लेकिन इसकी शक्ति और क्षमता नारी के पास कभी नहीं आई कि वह ऐसे तत्वों को सबक सिखाने वाले कानून बनवा सके या उन्हें लागू करवा सके। ऐसे में केवल कविता ही एक हथियार बचा था। उसका इस्तेमाल शायरी करने वाली महिलाओं ने बहुत अच्छे ढंग तरीके से किया भी। 

दिन शनिवार को चंडीगढ़ महिला काव्य मंच ने स्वतंत्रता दिवस के आह्वान पर एक कवित्री सम्मेलन का आयोजन सेक्टर 21 पंचकूला के हाउस नंबर 419 में श्री मोहित गर्ग कृष्णा गोयल एडवोकेट्स  के घर पर किया। इस मौके पर बहुत सी और नामी ग्रामी महिलाएं भी शामिल हुईं। 

इस यादगारी कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और पंचकुला उपाध्यक्ष रेणु अब्बी  के सरस्वती वंदना  से हुई जिस के बाद शहीदों को नमन करके  बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर शोक प्रस्ताव पास किया गया। कोलकाता की लेडी डॉक्टर की निर्मम हत्या पर सभी ने खेद व्यक्त किया। 

संगठन के संरक्षक डॉक्टर नरेश नाज़ ने महिलाओं को जागृत वा सावधान रहने का संदेश दिया। प्रोफेसर सुदेश मोदगिल नूर, जापान की महिला मंच की अध्यक्ष मुख्य मेहमान ने महिलाओं को फिजिकली सशक्त होने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।  

ट्राई सिटी ब्रांच की अध्यक्षा सुनीता गर्ग ने  मंच का संचालन बहुत मनमोहक ढंग से करते हुए आपसी भाईचारे से मजबूत सामाजिक स्थिति की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करवाया। ऑर्गेनाइजर कृष्णा  गोयल ने सभी महिलाओं को अपने लिए लाइसेंस समेत सुरक्षा यंत्र रखने का  सुझाव दिया।  मंजू चौहान चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी  मंच अध्यक्ष , सीमा शर्मा हरियाणा अध्यक्ष, डॉक्टर ज्योति शर्मा शिक्षा मंच अध्यक्ष, संगीता कुंद्रा चंडीगढ़ मंच अध्यक्ष,  गरिमा रेनू अब्बी पंचकूला मंच अध्यक्ष समेत  गुरविंदरजीत कौर,  डॉक्टर सुनीत मदान, विमला गुगलानी, मंजू खोसला, सीता श्याम, कुसुम धीमान दर्शना सुभाष पाहवा,  पूजा गर्ग, पुष्पा  हंस, संगीता पुखराज  संगीता शर्मा, सरोज चोपड़ा आशा रानी सभी कवित्रियों ने महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए समर्थ रहने के लिए कविताएं पढ़ी। वंदे मातरम के नारों के साथ इस गोष्ठी का समापन हुआ। इस गर्मजोश महिला काव्य गोष्ठी से आनंदित हो सभी ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की।******

कृष्णा गोयल,महिला मंच उपाध्यक्ष,पंचकुला ट्राइसिटी,पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार

Thursday, July 25, 2024

हिंदी लेखक और पत्रकार मनोज धीमान के लिए नया सम्मान

25th July 2024 at 3:31 PM

GNDU ने धीमान को हिंदी विषय में बोर्ड ऑफ स्टडीज (पीजी) में शामिल किया

लुधियाना: 25 जुलाई 2024: (कार्तिका कल्याणी सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::

लंबे समय तक पंजाब के सीमावर्ती लोगों के दर्द को लेकर रिपोर्टिंग करने वाले हिंदी लेखक और पत्रकार मनोज धीमान अब कई दश्कों से लुधियाना के साथ जुड़े हुए हैं। आंधी आए जा तूफ़ान मनोज धीमान अपनी लेखन और पत्रकारिता की ड्यूटी में मगन रहते हैं। उन्हें किसी ने भी किसी भी तरह की गट बंदी में रूचि लेते नहीं देखा। ुको ले कर अब ख़ुशी की नै खबर आई है।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर ने हिंदी लेखक और पत्रकार मनोज धीमान को 01-07-2024 से 30-06-2026 तक की अवधि के लिए हिंदी विषय में बोर्ड ऑफ स्टडीज (पीजी) में शामिल किया है।

कलम के क्षेत्र में इस  लेकर ख़ुशी के लहर है कि धीमान को कल शाम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कार्यालय से इस नियुक्ति के संबंध में आधिकारिक सूचना प्राप्त हुई।

उन्होंने इस नियुक्ति के लिए जीएनडीयू के कुलपति को धन्यवाद दिया है। साथ ही, उन्होंने जीएनडीयू में डीन, भाषा संकाय और विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग प्रो (डॉ) सुनील का भी इस नियुक्ति के लिए आभार व्यक्त किया।