Hindi Poem Posted by Haridyesh Mayank on 26th November 2024 at 5:55 PM FB
दिल मेरा इश्तहार जैसा है.... !
आज ह्रदयेश मयंक की एक नई ग़ज़ल के कुछ शेर जो दिल से लेकर बाज़ार तक की बात करते हैं। निवास मुंबई में है। चिंतन दिशा की संपादक और प्रकाशक हैं। पत्रिका संचालन के चलते स्वनिर्भर भी हैं। वास्तव में नीतिगत और विचारधारक पत्रिकाएं समय भी मांगती हैं, मुश्किलों से जुटाया हुआ धन भी और इसके साथ ही, दिल, दिमाग की पूरी ऊर्जा भी। आसान नहीं होती साहित्य साधना, पत्रकारिता और लेखन। देखिए ह्रदयेश मयंक जी शायरी का एक अंदाज़। --रेक्टर कथूरिया//संपादक: हिंदी स्क्रीन
लम्हा- लम्हा उधार जैसा है
मुल्क सारा बज़ार जैसा है
सारी दुनिया ख़रीद ली मैंने
फिर भी दिल बेक़रार जैसा है
ज़िन्दगी रूठकर निभाती रही
उसका गुस्सा भी प्यार जैसा है
हर तरफ़ ,शोर है ,तमाशा है
सारा मंज़र ग़ुबार जैसा है
हर्फ़-ब-हर्फ़ आईने की तरह
दिल मेरा इश्तहार जैसा है।
----सोशल मीडिया से साभार ह्रदयेश मयंक
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