एक्सटेंशन लायब्रेरी में हुआ महिलाओं का विशेष शायरी आयोजन
नारी के हुसन और प्रेम को लेकर अगर पुरुष अक्सर लालायित रहा है तो शायद प्रकृति भी यही चाहती है। प्रेम की इन सदियों पुरानी कहानियों में निरंतर दोहराव जारी है लेकिन फिर भी इसका नयापन कायम है। ये किस्से ये कहानियां कभी पुराने नहीं हो सके। इसे प्रकृति और प्रेम का करिश्मा ही कहा जा सकता है। हर युग में प्रेम में पड़ने वाले युवाओं को यही महसुस होता है कि शायद उन्हीं का प्रेम ही नया है। शायद पहली बार उन्होंने ही प्रेम किया है। जो लोग जिस्म तक ठहर जाते हैं उन्हें इसकी गहराई का भान कभी नहीं हो पाता। जो लोग तन से आगे जा कर मन तक उतरते हैं, फिर दिल तक पहुँचते हैं और उसके बाद अंतरात्मा का रास्ता तलाश कर लेते हैं उन्हीं को अर्धनारीश्वर के रहस्यों का पता चलना शुरू होता है।
नारी को अर्धांगनी कहना आसान लग सकता है लेकिन इस आधे अंग के हर दर्द और हर अहसास को महसूस करना जीवन भर की साधना भी हो सकती है। गृहस्थ आश्रम में यही सच्ची भावना है जो मोक्ष तक ले जाती है। कुंडलिनी जागरण क्या होता है इसी से पता चलने के दरवाज़े खुलने लगते हैं। महादेव क्यूं महादेव कहे जाते हैं इसकी अनुभूति होनी शुरू होती है। आदियोगी ने क्या समझाया था इसका विवरण बिना किताबों को पढ़े मिलना शुरू हो जाता है। गृहस्थ को त्यागने वाले जब दुनिया को एक परिवार मानने की बातें करते हैं तो उनकी बातों पर शक होना शुरू हो जाता है। गृहस्थ में ही भगवान दीखनेके चमत्कार प्रेम से ही सम्भव हैं।
कहते हैं कपड़ा सीने वाली सूई कहाँ राखी है इसका पता घर की महिला को होगा। नमक मिर्च कहां पड़ा है इसका पता भी उसे होगा। ज़रूरी कागज़ात कहाँ रखे हैं इसकी संभाल भी वही करती है। कब किसके यहां आना जाना है इसका पता भी उसी को होगा लेकिन इन सारे झमेलों में उसकी जगह कहां है यह पूछने पर उसकी आंखों में शायद आंसू आ जाएँ। वह बता नहीं पायेगी।
जहां अपने मायके और शहर के साथ साथ सभी कुछ यहां तक कि सारी दुनिया छोड़ कर किसी बेगाने परिवार को अपना मान कर रहने आ जाती है तो यह घर सारी उम्र उसका नहीं हो पाता। उसके पति का हो सकता है, उसके बच्चों का हो सकता है, उसके परिवार का हो सकता है लेकिन उसका नहीं हो सकता। इसी दर्द की बात हुई पंजाब यूनिवर्सिटी के रीजनल सेंटर की एक्सटेंशन लाईब्रेरी में हुए आयोजन के दौरान। यह आयोजन महिला काव्य मंच का था। महिलाओं का था। शायरी का था।
पूंजीवाद के इस दौर में नारी को एक बाजार की चीज़ बना दिया गया। टायर बेचने हों तो भी नारी की चर्चा, परफ्यूम बेचना हो तो भी नारी की चर्चा अर्थात हर मामले में नारी देह को एक व्यापर बना दिया गया है। इस अन्याय और इस दर्द की चर्चा तो अब हर रोज़ करनी पड़ेगी। पूरे वर्ष में केवल एक महिला दिवस काफी नहीं है। हमें पूरा वर्ष हर रोज़ नारी पर हो रहे हो रहे हमलों के खिलाफ आवाज़ बुलंद करनी होगी।
नारी के स्वतंत्र अस्तित्व की चर्चा करने वालों के इस सारे आयोजन के संचालन में डाक्टर बबीता जैन, प्रिंसिपल नरिंदर कौर संधु, प्रिंसिपल मनप्रीत कौर, पंजाब हरियाणा और चंडीगढ़ की प्रभारी-श्रीमती शारदा मित्तल, ट्राईसिटी चंडीगढ़ की अध्यक्ष-राशि श्रीवास्तव, कानून विभाग की समन्वयक-डा. आरती पुरी, पंजाब इकाई की प्रधान-डा. पूनम गुप्ता, और उनके साथ साथ समाज के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं बेनू सतीश कान्त, छाया शर्मा, एकता पूजा शर्मा, नीलू बग्गा लुधियानवी बहुत ही मौन और गंभीर भूमिका अदा करती रहीं। पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर के केंद्रीय निदेशक डा. रवि इंद्र सिंह आयोजन के अंत तक सभी को बहुत ही ध्यान से सुनते रहे। उन्होंने अपने गहन गंभीर विचार भी रखे।
शायरी के दौर में जहां छात्राओं ने कमाल की रचनाएँ रखीं वहीं बड़ी उम्र में कदम रख चुकी लेखिकाओं ने भी अपने दिल की बातें कहीं। कार्तिका सिंह की काव्य रचना गौरी लंकेश को समर्पित रही जिस तालियां बटोरी। रीता मक्क्ड़ ने बहुत ही खूबसूरती से नारी के अधिकारों की बात कही जो उसे सारी उम्र नहीं मिल पाते। प्रिंसिपल मनप्रीत कौर ने नारी की चर्चा करते हुए छाया अर्थात परछाईं के महत्व को भी समझाया और कैफ़ी आज़मी साहिब के शेयरों के ज़रिये भी नारी के मन की थाह समझने का प्रयास किया।
शायरी के आयोजनों में अपना अलग स्थान बनाने वाली जसप्रीत कौर फलक ने अपने अलग से अणदाय में अपनी मौजूदगी का अहसास कराया।
महिला काव्य मंच के इस प्रोग्राम का यह यादगारी आयोजन पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर की एक्सटेंशन लाइब्रेरी के एनी बसंत हाल में किया गया। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में पंजाब यूनिवर्सिटी रीजनल सेंटर का यह सक्रिय सहयोग वास्तव में नारी शक्ति और नारी गरिमा को सैल्यूट करने जैसा ही था। गौरतलब है कि इसके आयोजक पुरुष अर्थात नरेश नाज़ साहिब ने की और इसकी बागडोर महिलाओं को संभाल दी। आजकल यह मंच अक्सर कोई न कोई आयोजन देश के भागों में करता ही रहता है। पंजाब और चंडीगढ़ में इसकी सक्रियता तेज़ी से बढ़ी है। इसका पूरा विवरण हिंदी स्क्रीन में देख सकते हैं। --रेक्टर कथूरिया
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