Wednesday, September 2, 2020

शशि थरूर साहिब ने याद दिलाई दुष्यंत कुमार साहिब की

 सत्ता और सियासत पर बहुत ही सधी हुई चोट मारती है शायरी 
लुधियाना: 2 सितंबर 2020: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन)::
शशि थरूर 
अभी हाल ही में हमें जिन सदमों से दो चार होना पड़ा उनमें एक सदमा डाक्टर राहत इंदौरी साहिब के बिछड़ने का भी रहा। जब कुछ विशेष किस्म के लोग हिन्दोस्तान को अपनी जागीर समझने का राग अलाप रहे थे उस समय बार बार याद एते रहे जनाब राहत साहिब:
सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, 
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है?
कभी इसी तरह के तेवर हिंदी शायर जनाब दुष्यंत कुमार साहिब के हुआ करते थे। तकरीबन हर बात पर उनका कोई शेयर याद आ जाता था। सत्ता और सियासत पर दुष्यंत साहिब की शायरी बहुत ही असरदायिक चोट करती थी। 
सभी को लपेटे में लेते हुए कभी जन जन के दिल पर शासन करने वाले दुष्यंत कुमार साहिब ने लिखा था:
आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख

घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख
आज फिर दुष्यंत साहिब की याद बहुत ही शिद्द्त से दिलाई है जनाब शशि थरूर साहिब ने। उन्होंने टविटर पर टवीट करते हुए जनाब दुष्यंत साहिब के एक बहु चर्चित रहे शेयर को भी सामने रखा। यह शेयर बहुत ही चर्चा में रहा था: 
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो 
ये कँवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं 
जनाब शशि थरूर ने इस शेयर को अपने टवीट का मुखड़ा बनाते हुए दुष्यंत साहिब के ही कुछ अन्य शेयरों पर आधारित एक तस्वीर भी साथ ही पोस्ट की है।

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए;
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। 

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी;
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। 

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में;
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए। 

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं;
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। 

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही;
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए। 

सत्ता और सियासत पर बहुत ही सधी हुई चोट मारती है शायरी इस बात को जाने माने शायरों ने कई कई बार साबित किया है। पुरानी कविता से लेकर नयी कविता तक इस तरह के तेवर जारी हैं। अब देखना है कि इस तरह की शायरी सियासत की दुनिया पर सच में कितना असर डाल सकती है!
उल्लेखनीय है कि कल अर्थात पहली सितंबर को जनाब दुष्यंत कुमार साहिब का जन्म दिन भी था जिसे बहुत से लोगों ने अपने अपने तौर पर मनाया। शशि तहररोर साहिब की पोस्ट उसी सेलिब्रेशन का एक  कही जा सकती है। बहुत से अन्य वशिष्ठ लोगों ने भी अपने अपने अंदाज़ में इस दिन को मनाया। उनका ज़िकर हम अलग पोस्टों में कर रहे हैं। 

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