जसप्रीत कौर फलक के मार्गदर्शन में जारी रहा चुनौती भरा सफर
लुधियाना: 30 सितंबर 2020: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन)::
कोरोना युग का लॉक डाउन तो अपनी भयावह स्मृतियों के कारण याद रहेगा ही। ज़िंदगी का अचानक ठिठक जाना और मध्यवर्गीय छोटे छोटे कारोबारों का दम तोड़ जाना काले दौर के तौर पर हमेशां याद रखे जायेंगे लेकिन इस सब के बावजूद जो साकारत्मक बात याद रखी जाएगी वह है ऐसे भयानक दौर में भी शायर वर्ग की हिम्मत। ज़िंदगी की रफ्तार के सामने लॉक डाउन की दीवार खड़ी होने के बावजूद शायर चलते ही रहे चलते ही रहे। इनके काफिले नहीं रुके। शायरों ने इन दीवारों में से भी दरवाज़े निकाले। अंधेरों को भी उजालों में बदला। रुकावटों को भी अपनी सीढ़ी बनाया और लगातार चलते रहे। मिलने जुलने और सभा सम्मेलनों पर बंदिश लगी तो शायर वर्ग ने ज़ूम और गूगल मीट का सहारा लिया लेकिन रूबरू होना नहीं छोड़ा। शायर गाते रहे, "चले चलो कि वो मंज़िल अभी नहींआई।" अंसभव राहों पर चलते हुए ये शायर लोग जोश में भी रहे और होश में भी रहे। जानीमानी शायरा डा. कविता किरण के शब्दों में कहें तो इस काले स्याह दौर में भी लगातार चलने वाले ये शायर लोग मानों कह रहे थे:
नामुमकिन को मुमकिन करने निकले हैं,
हम छलनी में पानी भरने निकले हैं।
आँसू पोंछ न पाए अपनी आँखों के
और जगत की पीड़ा हरने निकले हैं।
पंजाब, हरियाणा और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में सरगर्म रहे काफिलों में से एक का ज़िक्र हम यहां भी कर रहे हैं। "कविता, कथा कारवाँ" हमेशां की तरह जसप्रीत कौर फलक के मार्गदर्शन में लॉक डाउन के दौरान भी सरगर्म रहा। न तो कोरोना रोक सका न ही लॉक डाउन।
जानीमानी शायरा फलक अपनी नई सरगर्मी के संबंध में कहती है:आजकल की परिस्थितियों को देखते हुए संस्था कविता कथा कारवाँ के तहत ,यू ट्यूब लाइव कार्यक्रम ,राष्ट्रीय हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में 14 से लेकर 28 सितम्बर करवाए गए। जिसमे विचार गोष्ठी, कवि सम्मेलन आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए।अतिम चरण में भविष्य में हिन्दी की सम्भावनाओं पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। सर्व प्रथम श्रीमती रश्मि अस्थाना ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का प्रारंभ किया। मंच की अध्यक्षा जसप्रीत कौर फ़लक ने सभी प्रतिष्ठित जनों का मंच पर स्वागत किया। अनेक सम्माननीय शिक्षाविदों ने हिंदी की समृद्धता पर अपने विचार पेश किए । उन्होंने कहा कि भले ही आज भारत की सभी भाषाओं ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है लेकिन इसके बावजूद हिंदी भाषा ही सर्वेसर्वा है। मुख्य अतिथि के रुप में डा. विनोद कुमार तनेजा ने हिंदी भाषा के महत्व के विषय में बताया कि आज हिंदी विश्व स्तर पर हिंदी की मान्यता अति आवश्यक होती जा रही है और विदेशों का हिंदी के प्रति रुझान बहुत तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। संचार एवं संपर्क भाषा के रूप में हिंदी भारत की आत्मा है। इस प्रकार हिन्दी पखवाड़े के अंतिम चरण पर "कविता कथा कारवाँ" मंच को गौरवान्वित करने के लिए उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ विनोद कुमार तनेजा, वरिष्ट अतिथि डॉ धर्मपाल साहिल और किरण साहनी के साथ-साथ विद्वतजन, बुद्धिजीवी, आचार्य, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ ब्रह्मदेव, डॉ राजेन्द्र जैन, डॉ विनोद कुमार, डॉ कुलदीप सिंह इत्यादि सभी ने सारगर्भित परिचर्चा की। डॉ राजेन्द्र साहिल ने अत्यंत कुशल मंच संचालन किया और धन्यवादी शब्द माननीय रश्मि अस्थाना जी ने कहे। इसके साथ ही एक सफल और सार्थक परिचर्चा सम्पन्न हुई। कार्यक्रम के प्रारंभ से लेकर अंत तक मंच का संचालन डॉ राजेन्द्र साहिल जी ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज से किया। मंच कविता कथा कारवांँ कीअध्यक्षा प्रो जसप्रीत कौर फ़लक द्वारा सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया गया और अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस की शुभकामनाएं देकर अंत में राष्ट्रगान के साथ सभा का समापन किया गया।
एक फिर शायर वर्ग ने साबित किया:
हम रुकते नहीं
हम थकते नहीं!
चाहे आये कोरोना
या
हो लॉक डाउन! प्रस्तुति--रेक्टर कथूरिया
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