Saturday, September 5, 2020

लगातार जारी है अमृता प्रीतम का जादू

 चंडीगढ़ में अमृता प्रीतम की शब्द शक्ति पर हुआ विशेष वेबिनार 
चंडीगढ़: 03 सितंबर 2020: (पुष्पिंदर कौर//हिंदी स्क्रीन)::
शब्द रुकते नहीं शब्द झुकते नहीं!
शब्द दबते नहीं, शब्द मरते नहीं!
ये करिश्मा हैं कुदरत का देखो ज़रा!
इनसे बातें करो, इनको सुन लो ज़रा!                         (कार्तिका सिंह)
अक्सर लगता है कि शब्द अतीत हो गए लेकिन वे हमेशां वर्तमान  बने रहते हैं। अतीत की कहानियां भी सुनाते हैं और भविष्य की दस्तक का भी पता देते हैं। बहुत खुशकिस्मत होते हैं वे लोग जो शब्दों को समय पर सुन लेते हैं और इनमें छिपे रहस्य भी समझ लेते हैं। इन कालजयी शब्दों की रमज़ समझने के लिए इनसे एकरूप होना भी आवश्यक है। इनका जादू जब चलने लगता है तो फिर किसी से नहीं रुकता।
"मैं तवारीख हां हिंद दी" अमृता प्रीतम के 101वें जन्मदिन को समर्पित समागम "अनुरूप साहित्य संवाद मंच पंजाब" और "काव्य शास्त्र" (पंजाबी पत्रिका) के संयुक्त प्रयास से 31 अगस्त 2020 को पंजाबी साहित्य की शीर्ष लेखिका अमृता प्रीतम जी के 101वें जन्मदिन के अवसर पर एक रोज़ा वेबीनार और कवि दरबार आयोजित किया गया। आयोजन का शुभारम्भ अमरजीत कौर हिरदे के स्वागतीय भाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि अमृता प्रीतम के जीवन,  साहित्य और शख्सियत को नए संदर्भ से पुनर्मूल्यांकन  करने की आवश्यकता है।  'अमृता प्रीतम की शख्सियत के विचारधाराई बिंब' सिरलेख के अंतर्गत उसकी शख्सियत और साहित्य के विश्वव्यापी पहलूओं के ऊपर कई अन्य पंजाबी चिंतकों ने भी महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। 
वेबीनार में डॉक्टर दरिया (प्रमुख पंजाबी विभाग, गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी) ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि, "अमृता प्रीतम की शख्सियत पंजाबी साहित्य, साहित्यिक पत्रकारिता और लोक मनों के ऊपर छाई हुई है। अमिया कुंवर (पंजाबी लेखिका और आलोचिका) ने अमृता प्रीतम के साथ बिताए अपने पलों के अनुभवों को श्रोताओं के सन्मुख बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया। डॉक्टर प्रवीण कुमार (पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़) ने कहा कि उनकी शख्सियत बहु-विधावी, बहु-दिशावी प्रभाव रखती है और पंजाबी कावि-आलोचना पर उसकी सियासत के संदर्भ में उसकी जद्दो-जहद, सिर्जना और जीवन के नए आयाम प्रस्तुत किए। डॉ अमरजीत सिंह (मुखी पंजाबी विभाग संत बाबा भाग सिंह यूनिवर्सिटी) ने अमृता प्रीतम को अंतरराष्ट्रीय पंजाबी सृजक के तौर पर मानता देते हुए कहा कि उनकी शख्सियत और साहित्य के विश्वव्यापी पहलूओं, साहित्यक राजनीति के प्रभाव और लोक चेतना में बसे बिंब को समग्र रूप में देखने की आवश्यकता है। डॉ कुलदीप सिंह (कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी) ने अमृता प्रीतम के साहित्य के विचारधाराई पहलुओं का आलोचनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया। इस सैशन का मंच संचालन डॉक्टर रूपिंदरजीत कौर (संत बाबा भाग सिंह यूनिवर्सिटी) ने किया।
इस आयोजन के दूसरे सैशन में कवि दरबार किया गया। जिसमें पंजाबी जुबान के अजीम शायरों ने शिरकत की। अमरजीत कौर हृदय ने आए हुए कवियों का स्वागत करते हुए अमृता प्रीतम की समकालीन सार्थकता के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए और उसके ऊपर अपनी कविता प्रस्तुत की। 
"जेकर तेरे कोल कुझ सी तां ओह सी तेरा इश्क 
तेरा हुनर अते    
तेरी कलम था जुनून 
अते एक तेरी साफगोई 
जिवें चिकड विच कमल 
इस काव्य महफिल में स्वामी अंतर नीरव, सेवा सिंह भाषो, सुदेश नूर मौदगिल, प्रिंसिपल जगदीप कौर अहूजा, नीना सैनी,  भूपिंदरप्रीत कौर, अमरजीत कसक, डॉक्टर सनोबर चिब, निम्मी वशिष्ठ, कुलदीप चिराग, रजनी वालिया, लखविंदर कौर लकी, ने अमृता प्रीतम की कविताएं और उसके जीवन चेतना, संवेदना और विचारधाराक नुक्ता-निगाह से कवियों ने अपनी शायरी प्रस्तुत की और उसको श्रद्धांजलि भेंट की। इस सैशन का मंच संचालन डॉ हरप्रीत सिंह (संत बाबा भाग सिंह यूनिवर्सिटी) ने किया। 
अब इसकी आयोजक टीम किसी नए आयोजन की तैयारी में है जिसका दिन, तारीख और समय जल्द ही बताया जायेगा। आप इसमें शामिल होने की तैयारी रखिये।  

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