Saturday, February 19, 2022

हिन्दी लेखिका संघ के वार्षिक सम्मान और पुरस्कार घोषित

गाजीपुर की कवयित्री रश्मि शाक्य भी होंगी पुरस्कृत


देवबंद: (*ज्योति बजाज//इनपुट:कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन डेस्क ):: 

हिन्दी लेखिका संघ के वर्ष 2021-22 के वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा हो गयी है। संघ की अध्यक्ष अनीता सक्सेना ने कल देर रात इस वर्ष सम्मानित होने वाली महिला साहित्यकारों की सूची जारी कर दी। इसमें देश भर से 25 से अधिक लेखिकाएं सम्मानित और पुरस्कृत की जाएंगी। सम्मान समारोह 6 मार्च को हिन्दी भवन, भोपाल में सम्पन्न होगा।

उक्त जानकारी साहित्यक एंव सामाजिक संस्था चेतना के महामंत्री गौरव विवेक ने प्रेस को जारी ब्यान में बताया कि संस्था की सरंक्षक व गाजीपुर की कवयित्री रश्मि शाक्य को उनकी पुस्तक हमसे कोई वचन न मांगो, मुक्तक विधा में सुशीला जिनेश स्मृति पुरस्कार, प्रदान किया जाएगा। रश्मि शाक्य की अब तक चार किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय स्तर का सम्मान हरिवंश राय बच्चन युवा गीतकार सम्मान, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान द्वारा साहित्य गौरव सम्मान, भारतीय सिने कर्मचारी संघ द्वारा इंस्पायरिंग वीमेन अवार्ड, तुलसी शोध संस्थान लखनऊ द्वारा सन्त तुलसी सम्मान, विपुलम विदुषी सम्मान जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। कार्यक्रम में कुसुम कुमारी जैन वरिष्ठता सम्मान, माया अग्रवाल, डॉ. फीरोजा मुजफ्फर सेवा सम्मान, डॉ. साधना शुक्ला को एवं डॉ. सुशीला कपूर हिंदी सेवी सम्मान, श्रीमती मनोरमा पंत, श्रीमती शोभा शर्मा कर्मठता सम्मान डॉ. साधना गंगराड़े को प्रदान किया जाएगा। 

संस्था की सरंक्षक रश्मि शाक्य को सम्मान मिलने पर डा0 अंजना कुमार, योगेन्द्र सुन्दरीयाल, पल्लवी त्रिपाठी, आदेश चैहान, डा0 दिवाकर, बलराज मलिक, गौरव विवेक, रितेश कुमार आदि ने हर्ष व्यक्त किया। साहित्यिक दीप वेलफेयर सोसाइटी (रजि) लुधियाना की तरफ से भी हर्षित ह्रदय के साथ श्रीमती रश्मि शाक्य जी को सम्मान मिलने की खुशी में हर्ष व्यक्त किया गया।

गौरतलब है कि रश्मि शाक्या विद्रोही स्वर जैसे अपने विचार बभूत बेबाकी और बुलंदी से रखती हैं।  उनकी शायरी की एक झलक आप यहाँ भी देख सकते हैं:

जो विधर्मी  थे, पुजारी हो  गए।

न्याय पर अन्याय भारी हो गए।

हो गयी धृतराष्ट्र जैसी राजसत्ता,

और हम भी  गांधारी हो  गए॥

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ये तो सच है कि कैसे भी कट जाएगी।

चन्द ग़म में ख़ुशी में निपट जाएगी।

गर तुम्हारे लिए प्यार दिल से घटा,

ज़िन्दगी भी उसी रोज़ घट जाएगी॥

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अगर निभा न हम पाए तो तड़प-तड़प कर मर जायेंगे,

हमसे कोई वचन न मांगो .......वचन बड़े भारी होते हैं.

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सत्ताओं के निर्णायक  हैं .... हम भारत के लोग।

जन-गण भी हैं अधिनायक हैं हम भारत के लोग॥

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सत्य का परिणाम घोषित क्या करेंगे?

स्वयं हैं भूखे तो तोषित क्या करेंगे ?

आप सब उम्मीद पर जिनकी टिके हैं,

आत्मा से वे कुपोषित, क्या करेंगे ?

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मैंने आज़ादी मांगी 

उन्होंने मुझे देशद्रोही कहा

उस दिन समझ आया-

"आज़ादी और देशभक्ति

दो अलग - अलग तलवारें हैं

जो एक म्यान में कभी नहीं आ सकतीं...."[

आप ज़रूरत अनुसार 'आज़ादी' की जगह रोज़गार,  सामाजिक न्याय, सुरक्षा आदि-आदि शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं]

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बर्छी जैसे इस मौसम में,

नर्म धूप सी याद तुम्हारी

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कितने चेहरे आप लगाते साहब जी।

देख मुखौटे भी शरमाते साहब जी।

लोकतंत्र को लाठी लेकर हांक रहे,

तानाशाही ख़ूब चलाते साहब जी॥

छुरियों से छलनी-छलनी कर डाला है,

लेकिन मुँह से प्यार जताते साहब जी॥

घर को अपने रोज़ फूंक पर फूंक रहे,

ग़ैरों पर इल्ज़ाम लगाते साहब जी।

अपना कहते, पर हिस्सों में बांट रहे,

कैसा रिश्ता आप निभाते साहब जी॥

आपकी वहशत पर यदि चीखूं-चिल्लाऊं

 मुझको विद्रोही बतलाते साहब जी॥

भ्रम टूटेगा, सदियां माफ़ करेंगी क्या?

कुछ तो इज़्ज़त आप बचाते साहब जी॥

हमसे कोई वचन न मांगो ( Humse Koi Vachan Na Maango) https://www.amazon.in/.../ref=cm_sw_r_apan_glt_fabc...
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 *हमसे कोई वचन न मांगो*
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इस नए साल अपनों को गिफ़्ट करने के लिए आपके पास बेस्ट चॉइस के रूप में है...

*ज्योति बजाज स्वयं भी सक्रिय शायरा हैं और समकालीन आयोजनों और साहित्यिक सरगर्मियों पर नज़र भी रखती हैं। 


Friday, February 18, 2022

एक आयोजन "निर्मल ऋषि" मैम के साथ

साहित्यिकदीप वेलफेयर सोसाइटी ने कराया विशेष कार्यक्रम 

लुधियाना:17 फरवरी 2022: (हिंदी स्क्रीन ब्यूरो)::
साहित्यिकदीप वेलफेयर सोसाइटी (रजि) की ओर से प्रकाशित करवाए गए सांझे संकलन "काव्य-क्यारी"को साहित्य प्रेमियों को समर्पित करने से पहले पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम कमाने वाले "निर्मल ऋषि"मैम को भेंट किया गया। ऋषि मैम एक बढ़िया अदाकारा होने के साथ-साथ एक बहुत ही नरम दिल इंसान भी हैं जिन्होंने हमारी पूरी टीम की हिम्मत बढ़ाते हुए पुस्तक काव्य-क्यारी को बेहद प्यार और आशीर्वाद दिया। साहित्य के प्रति उनका प्रेम एवं अपनी मातृभाषा पंजाबी के प्रति उनकी रूचि देख हम सभी को उनसे बेहद कुछ सीखने को मिला। ईश्वर की असीम कृपा से पुस्तक काव्य-क्यारी को जल्दी ही साहित्य प्रेमियों को समर्पित किया जाएगा। 

Wednesday, February 16, 2022

नहीं रहे बेनू परवाज़ के माता अजीत कौर जी

कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे लुधियाना में हुआ निधन 

लुधियाना: 16 फरवरी 2022: (रेक्टर कथूरिया//हिंदी स्क्रीन)::

कुछ लोग दुःख से टूट जाते हैं। कुछ बहादुर लोग  टुकड़ों को फिर से उठा क्र जोड़ लेते हैं और चल पड़ते हैं नए जोश के साथ  पर। जब प्रोफेसर सतीश कांत का अचानक निधन हो गया तो उनके परिवार के लिए सब कुछ टूट गया। सभी सपने बिखर गए। जो अपने थे उनके पास पहले से ही उनके अपने झमेले थे। जो अपने नहीं हैं वे भी या तो हालत का फायदा उठग्ने लगते हैं या फिर औपचारिक अफ़सोस व्यक्त करने के बाद लौट जाते हैं अपनी अपनी दुनिया में। कौन किसका दुःख बंटा पाता और सा ही दुःख बंटाने की बात सम्भव भी नहीं होती। सती प्रथा को मानने वाली महिलाएं तो आग में जल कर रख हो जाती रहीं लेकिन इस आग से ज़्यादा पीड़ादायक होती है बिरहा की आग। उसमें जीवन भर एक एक सांस सती होते रहना होता है। इसके साथ ही घर परिवार और दुनिया की रस्में भी निभानी होती हैं। सभी ज़िम्मेदारियां भी उठानी होती हैं। इस धर्मयुद्ध से भागने की सिफारिश न  न ही समाज। परिवार, समाज और स्वयं की ज़िम्मेदारियों से भाग कर की गई पूजा भी स्वीकारयोग्य नहीं होती। 

प्रोफेसर सतीश कांत का निधन होने के बाद यह सभी चुनौतियां मैडम बेनु के सामने थी। पति चल बसे तो सती जैसी प्रथाएं शुरू करने और चलाए रखने वाला समाज पत्नी का मुस्कराना भी ठीक नहीं समझता। ढंग से कपड़ा पहन ले तो उसे दूसरी ही निगाहों से देखने लगता है। लेकिन ज़िंदगी की जंग में मुस्कराना भी पड़ता है और ढंग के कपड़े भी पहनने पड़ते हैं। 
बेनू मैडम के पिता बहुत ही प्रगतिशील थे। उन पर वाम के विचारों का काफी असर था। एक तरह से कामरेडों वाली लुक थी इस परिवार की। पीटीआई का साथ छूटा तो उन्हें पिता भी बहुत याद आए लेकिन वह भी तो पास नहीं न थे। 
इस दूरी के बावजूद पिता के अपनाए  विचारों ने बेनू मैडम और उनके परिवार को शक्ति दी कि समाज से डर कर नहीं बल्कि उन्हीं सिद्धांतों को अपना कर चला जाता है जो पूरे समाज का भला करने वाले हों। 
उस बेहद नाज़ुक माहौल में जिसने स्नेह और मातृत्व के साथ आगे बढ़ने की शक्ति दी वह बेनू की मां थी। हम से कुछ लोगों ने उस महान शख्सियत माता अजीत कौर जी के दर्शन भी किए हुए हैं। उस महान माता ने बेनू को हौंसला दिया। पूरी हिम्मत से काम करने के लिए ढांढ़स बंधाई। समाज आड़े आया तो बेनू की माता जी ने पूरे समाज के साथ टक्कर  ले कर उसे अपने साथ चलने पर मजबूर किया। बेनू को साहित्य सृजना के लिए उत्साहित किया। 
बेनू को टूटने से बचाने वाली वह महान शख्सियत अब इस दुनिया में नहीं रही। इस महीने की 15 फरवरी को उनका निधन हो गया। वह कुछ दिन से बीमार तो चल रहे थे लेकिन ऐसी आशंका तो कदापि भी नहीं थी। शायद यही होती है अनहोनी। जो हम सोचना भी नहीं चाहते वही हो कर रहता है। वह बेनू और परिवार को छोड़ कर चली गयीं उस सफर पर जहां से कोई नहीं लौटता। दुःखद मन से उन्हें सिविल लाईन्ज़ के श्मशान घाट में अंतिम दर्शनों के बाद विदा कर दिया गया। चिता की अग्नि के साथ ही ज्योति के साथ ज्योति मिल गई। अब यादें शेष हैं। उनके दिए आशीर्वाद शेष हैं। उनकी बातें अब भी कानों में सुनाई देती रहेंगी। जहां जहां वह उठते बैठते थे वहां वहां से उनके होने का भरम होता रहेगा।  उन्हें खोने के बाद उनकी अहमियत हर पल बढ़ती रहेगी। हम सोचते रहेंगे काश आज फिर वह हमारे पास होते लेकिन कौन आया है उस जहां से लौट कर। वह अदृश्य हो गई हैं लेकिन वह हमारे आपस ही तो हैं। बस अब नज़र नहीं आएंगी। 

Friday, February 11, 2022

साहित्य अकादमी की ओर से जारी हैं विशेष प्रयास

प्रविष्टि तिथि: 10 FEB 2022 6:36PM by PIB Delhi

बड़ी संख्‍या में भारतीय उत्कृष्ट ग्रंथों, लोकप्रिय कृतियों और उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाओं को विदेशी भाषाओं में सवंर्धित किया गया है: श्री जी. किशन रेड्डी

भारत सरकार ने साहित्य अकादमी (संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय) के माध्यम से भारतीय साहित्य के विदेशी भाषाओं में अनुवाद को बढ़ावा देने/प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर अनेक कदम उठाए हैं। इन वर्षों के दौरान अकादमी ने कई उत्कृष्ट भारतीय  ग्रंथों और लोकप्रिय भारतीय कृतियों को विदेशी भाषाओं में संवर्धित किया है, जैसे कि रामायण का अयोध्या कांड, जैसा कि कंबन द्वा कथित तमिल से अंग्रेजी में, मलयालम के चेम्मीन से अंग्रेजी और कई पूर्वी यूरोपीय भाषाओं में, तुलसीदास की कवितावली का अंग्रेजी में, प्रेमचंद के गोदान का अंग्रेजी में, एसएन पेंडसे की गारंबीचा बापू को अंग्रेजी में, विभूति भूषण बंद्योपाध्याय की पाथेर पांचाली का फ्रेंच में, कुछ उल्लेखनीय नाम हैं।

    अकादमी ने 10 विभिन्न भारतीय भाषाओं की निम्नलिखित 10 पुस्तकों का चीनी, रूसी और अंग्रेजी में अनुवाद प्रकाशित किया है:

  1. सैयद अब्दुल मलिक (असमिया) द्वारा सुरुज्मुख स्वप्ना
  2. तारा शंकर बंद्योपाध्याय (बंगाली) द्वारा आरोग्यनिकेतन
  3. झावेरचंद मेघानी (गुजराती) द्वारा वेविशाल
  4. निर्मल वर्मा द्वारा (हिंदी) कव्वे और कला पानी
  5. एस एल भैरप्पा (कन्नड़) द्वारा पर्व
  6. मनोज दास (उड़िया) द्वारा मनोज दसंका कथा ओ कहिनी
  7. गुरदयाल सिंह (पंजाबी) द्वारा मरही दा दिवा
  8. डी. जयकांतन (तमिल) द्वारा सिला नेरंगलिल सिला मणिदरगल
  9. आर विश्वनाथ शास्त्री द्वारा इलू (तेलुगु)
  10. राजिंदर सिंह बेदी द्वारा एक चादर मैली सी (उर्दू)

    उपर्युक्त अनुवादों और प्रकाशनों के अलावा, अकादमी ने कई शीर्षकों को विदेशी भाषाओं में प्रकाशित/अनुवादित किया है। विदेशों में भारतीय साहित्य को बढ़ावा देने के लिए विदेशी भाषाओं में अनूदित भारतीय कृतियों के प्रकाशन हैं:

 

क्रम संख्या

शीर्षक

अनूदित भाषा

  1.  

नबारुन भट्टाचार्य द्वारा हर्बर्ट

जर्मन

  1.  

खुशवंत सिंह द्वारा ट्रेन टू पाकिस्तान या पाकिस्तान मेल

स्वीडिश

  1.  

अंबाई द्वारा कातिल ओरुमान

फ्रेंच

  1.  

भरतला दा नाट्य शास्त्र कपिल वात्स्यायन द्वारा

रूसी

  1.  

भारतीय लघु कथाएँ ई.वी. रामकृष्णन

रूसी

  1.  

कविता

स्लोवेनियन

  1.  

द डुअल ऑफ द हार्ट

अंग्रेजी

  1.  

तेलुगू से अल्लम रजैया द्वारा भूमि

स्पेनिश

  1.  

हिंदी से जूठन वाल्मीकि द्वारा

स्पेनिश

  1.  

बांग्ला से महाश्वेता देवी द्वारा हजार चैरासी माँ

स्पेनिश

  1.  

उर्दू/अंग्रेजी राजिंदर सिंह बेदी द्वारा आई टेक दिस वुमन

स्पेनिश

  1.  

गुजराती/अंग्रेजी से सुरेश जोशी की लघु कथाएँ

स्पेनिश

  1.  

तमिल से सी.एस. चेलप्पा द्वारा वादिवासल

स्पेनिश

  1.  

सैयद अब्दुल मलिक द्वारा सूरजमुखिरस्वप्न

स्पेनिश

  1.  

तमिल से अशोकमित्रन द्वारा 18वां समानांतर

स्पेनिश

  1.  

पाश की 7कविताएँ

स्पेनिश

  1.  

आई ऑफ गॉड

स्पेनिश

  1.  

कन्नड़ से डी.आर. बेंद्रे की स्पाइडर इन द वेब

स्पेनिश

 यह जानकारी आज राज्यसभा में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने दी।