हिंदी में सियासत की बात करने वाली पत्रिकाओं में भी साहित्य के ज़रिए बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में बहुत कुछ कहा जा रहा है। इस बार देखिए हिंदी सामना में अनुराधा सिंह का अंदाज़:
इस तीरगी को आखिरी पयाम तो मत कह
इस इब्तिदा को अपना अंजाम तो मत कह
इंसानियत है अब भी बाकी जहान में
हैवानियत भरी है आवाम तो मत कह
तेरा ख़ुदा वही है जो मेरा ईश है
इतनी सी बात पर तू कत्लेआम तो मत कह
ये मृगमरिचिका है है भूलभुलैया
इसको ख़ुदा का पावन पैगाम तो मत कह
हम आए हैं वहीं से जाएंगे भी वहीं
इस आख़री सफर को नाकाम तो मत कह
---@अनुराधा सिंह