17th August 2021 at 4:08 PM
ज़ूम के ज़रिये शायरी से बुलंद किया तिरंगा
लुधियाना: 17 अगस्त 2021: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन)::
कुछ लोग बुरे हालात के बावजूद ही नहीं दबते। उनकी जीवेषणा इतनी मज़बूत होती है कि उनको कहीं से उखाड़ कर फेंक दो तो वे फिर से वहीं पर अपनी जगह बना लेते हैं जहां हालात उन्हें फेंक देते हैं। जब कोविड के चलते लॉकडाऊन हुआ तो तकरीबन सभी आयोजन बंद हो गए। अन्य शहरों की तरह लुधियाना के स्कूल, कालज और सांस्कृतिक केंद्र बंद भी हो गए पंजाबी भवन, गुरुनानक भवन और अन्य संस्थान में भी आयोजनों का सिलसिला बंद हो गए। गेट पर ताले लग गए। इनके साथ ही बंद हो गए इनमें होने वाली छोटी छोटी सभाओं के आयोजन। कुछ देर मिल बैठने का एक अच्छा स्थान बन चुका था पंजाबी भवन। एक वीरानी, एक उदासी, एक ख़ामोशी सी छा गई पंजाबी भवन में। सिर्फ कुछ पंछी चहचहाते थे, कुछ तितलियां आती रहीं बाकी सब बंद हो गया।
इसके साथ ही एक तड़प सी जागने लगी उन लोगों के दिलों में जो कभी यहां अपने मुशायरे किया करते थे। कभी अपनी किताबों को रिलीज़ करने की खुशियां बांटा करते थे। तड़प उठने वाले इन लोगों में शायर थे, लेखक थे, रंगमंच कर्मी थे, अच्छे श्रोते थे, अच्छे दर्शक थे। कंटीन वालों को भी घाटे उठा कर जाना पड़ा। वीरानी और बढ़ गई। कोविड और लॉकडाऊन के इन कटु प्रभावों याद किया जाता रहेगा। इनमें से कुछ लोगों ने सोचा आखिर कोई तो रास्ता होगा? कुछ तो बात बनेगी? कभी तो फिर से कलमों वालों के मेले सजेंगे?
इन तड़पते लोगों में से एक खूबसूरत शायरा जसप्रीत कौर फलक भी थी। फलक आसमान को कहते हैं। इस मैडम का तख्खलुस ही फलक ठहरा। वह जब भी वक्त मिलता आसमान की तरफ देखती रहती जैसे कह रही हो हो खुदा से कि कुछ तो मेहर कर! कोई तो चमत्कार दिखा! आंसू उसके शब्दों में आ जाते! वह पूछती दुनिया भर को जोड़ने वाले कलमकारों के दरम्यान क्यों पैदा हुईं इतनी दूरिया? कब जाएगा कोरोना? कब खत्म होगा लॉकडाऊन? उसके सवाल खुदा के दरबार तक पहुंचत्ते रहे। कहते हैं न-दिल से जो बात निकलती है असर रखती है। इन दुआयों का भी जल्दी ही असर हुआ और बहुत अच्छा असर हुआ। खुदा का संदेश जल्दी ही धरती पर पहुँच गया। बात समझ में आ गई और वह बोल उठी-वे फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं!
आखिर शुरू हुआ ज़ूम का सिलसिला। ऑनलाइन आयोजन तेज़ी से आयोजित होने लगे। अपने अपने घर में बैठ कर एक दुसरे के सामने बैठने जैसा अनुभव इस नई तकनीक ने दिया। बहुत से संगठनों की खुशियां लौट आईं। यूटयूब पर किताबें रिलीज़ होने लगीं। फ़िल्में रिलीज़ होने लगीं। इन्हीं बहानों के ज़रिये कलम से जुड़े लोग फिर से एकजुट होने लगे, मिलने जुलने लगे।
साहित्य और कला से जुड़े मंच कविता कथा कारवां के तत्वाधान में भी एक ऐसा ही आयोजन हुआ। पंद्रह अगस्त 2021 को जूम ऐप द्वारा एक अन्तरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विदेश और अपने देश के विविध प्रदेशों के कवि-कवयित्रियों ने हिस्सा लिया और स्वतंत्रता दिवस के पाक अवसर पर देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत काव्य रचनाएँ प्रस्तुत कीं और देश के अमर सपूतों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
डॉ राशि ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आग़ाज़ किया। इस मंच की अध्यक्षा जसप्रीत कौर फ़लक ने स्वागत-भाषण दिया और शहीदों को श्रद्धांजलिअर्पित करते हुए एक ग़ज़ल पेश की। रेडियो से जुडी दुनिया की जादूई शख्सियत डॉ रश्मि खुराना (इंग्लैंड) मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में विशेष रुप से उपस्थित थीं। डाक्टर रश्मि खुराना से पहली भेंट में ही मिलने वाला उनका कायल हो जाता है। उन्होंने भी ज़िंदगी के दुःख सहते हुए खुद को संतुलित रखा है। दिल में दर्द का सागर और चेहरे पर मुस्कान। यही खासियत है डाक्टर रश्मि खुराना की। जो लोग उन्हें आकाशवाणी जालंधर में मिलते रहे हैं वे इसे अच्छी तरह जानते हैं। उनकी किताब को भी कोविद ने बहुत देर रोके रखा।
खैर बात तो मुशायरे की चल रही थी न। सुश्री मोनिका कटारिया ने बेहद जोशीले अंदाज में कार्यक्रम का संचालन किया। डॉ रश्मि चोदा ने सस्वर सरस्वती वंदना गा कर कार्यक्रम का आगाज किया। डॉ दीप कमल (अमृतसर), डॉ अनु मेहता (गुजरात), कोमल दीप,डॉ सुमन शर्मा ज़ी (गुजरात),डॉ राजेश(जीरकपुर) की रचनाओं ने समा बाँध दिया और हमें सोंचने को मजबूर कर दिया कि हम देश के प्रति अपनी फर्ज़ अदायगी में कितने ईमानदार हैं। अंत मे मंच की सचिव रश्मि अस्थाना ने अपनी काव्य प्रस्तुति के साथ-साथ सभी सम्मानित गुणी जनों का धन्यवाद करते हुए सुश्री जसप्रीत कौर फ़लक के साहित्य प्रेम और कर्मठता की भूमि-भूमि प्रशंसा करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया ।राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। जल्दी ही फिर से मिलने का वायदा करके यह आयोजन सम्पन्न हुआ। --कार्तिका सिंह
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