Wednesday, July 10, 2024

ग़ज़ल//कृष्णा गोयल

Monday 8th July 2024 at 20:45 

जिसकी भावनाएं आप इसे पढ़ कर महसूस कर सकते हैं 


आग जो जल रही थी बुझाने के बाद;

शायरा कृष्ण गोयल 

आएगी फिर खुशी वह जमाने के बाद।


आज तुम ही डरा क्यों रहे हो हमें;

क्यों रुला भी रहे हो हंसाने के बाद। 


जब तुम्हें मान भाई लिया हमने फिर;

हुए दगाबाज भाई कहाने  के बाद। 


क्यों रहे मार डंक  यार आस्तीन में;

दूध भी प्यार से यूं पिलाने के बाद।  


हाथ तुम जो बढ़ाओ ज़रा प्यार का;

आज भाई बनें शिकवे मिटाने के बाद।

***

 *चंडीगढ़ के निकट ही पंचकूला में रहने वाली शायरा कृष्णा गोयल पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार रहे हैं। ज़िन्दगी के उतराव चढ़ाव  हरे सफर में उन्होंने दुनिया को बहुत नज़दीक से देखा है। उनकी पैनी नज़र की यह काव्य पूर्ण अनुभूति बहुत गहरी रही है। इसकी अभिव्यक्ति उनकी रचनाओं में अक्सर झलकती भी है। आपको उनकी यह रचना कैसी लगी अवश्य बताएं। 

1 comment: