Sunday, July 31, 2022

अहमद फ़रहाद साहिब की वह ग़ज़ल जिसने लोकप्रियता के रेकार्ड तोड़ दिए

 मैं फूल बाँटता हूँ मुझे–मार दीजिए 


खरड़//मोहाली: 30 जुलाई 2022: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन)::

वैसे तो अहमद फरहाद की यह ग़ज़ल भी लोकप्रियता की बुलंदियों को छूती हुई जन जन के दिल में उत्तर गई लेकिन हमें इसे पढ़ने की खुशनसीबी मिली खरड़//मोहाली के एक वटसप ग्रुप वेद दीवाना फैन क्लब में। बहुत ही मय्यारी रचनाओं को पाठकों के सामने रखने वाला यह ग्रुप तेज़ी से अपनी जगह बनाता चला जा रहा है। इसी ग्रुप में से हम दे रहे हैं अहमद फरहाद साहिब की यह ग़ज़ल जिसे ग्रुप में सभी के सामने रखा है इंद्र सैनी साहिब ने। 

काफ़िर हूँ सरफ़िरा हूँ मुझे– मार दीजिए

मैं सोचने लगा हूँ मुझे– मार दीजिए

                      मै पूछने लगा हूँ सबब अपने क़त्ल का

                     मैं हद से बढ़ गया हूँ मुझे– मार दीजिए

शायर अहमद फरहाद साहिब 

ख़ुशबू से मेरा रब्त है जुगनूँ से मेरा काम

कितना भटक गया हूँ मुझे–मार दीजिए

                    मालूम है मुझे कि–बड़ा जुर्म है ये काम

                    मैं ख़्वाब देखता हूँ मुझे– मार दीजिए

ये ज़ुल्म है कि ज़ुल्म को कहता हूँ साफ़ ज़ुल्म

क्या ज़ुल्म कर रहा हूँ मुझे–मार दीजिए

                           ज़िंदा रहा तो करता रहूंगा हमेशा प्यार

                          मैंसाफ़ कह रहा हूँ मुझे– मार दीजिए

जो ज़ख़्म बाँटते हैं उन्हें–ज़ीस्त पे है हक़

मैं फूल बाँटता हूँ मुझे–मार दीजिए

                       बारूद का नहीं– मेरा मसला दुरूद है

                      मैं ख़ैर माँगता हूँ मुझे–मार दीजिए

                             --अहमद फ़रहाद 

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