Whatsapp: 21st November 2020 at 02:31 PM
मानवीय मन की संवेदना जगाती नई रचना
मैरी और मायकिल यही नाम रख दिए पड़ोसी भाभी ने उस प्रेमी जोड़े या पति पत्नी कहो। दोनों हमेशां साथ साथ रहते ,,, शायद उनको कुत्ते की योनि में अपने रिश्ते की एहमियत का अहसास हो चुका था।दोनों ज़्यादातर रोटी भाभी के यहां ही खाते मगर राखी पूरी गली की करते। घुसने नहीं देते किसी को। बहुत बार मैरी मां बनी पर उसके बच्चे हर बार चलती फिरती गाड़ियों की भेंट चढ़ गए।
इस बार भी दो तीन बच्चे गाड़ियों की भेंट चढ़ गए थे। एक को गंभीर चोट आई तो तरस खाकर उसे भाभी उठाकर ले आईं। उसका इलाज भी करवाया गया एक बुज़ुर्ग माता से, जो इन्सानी हड्डियों की माहिर हैं। ईश्वर की कृपा से वो बच्चा थोड़ा चलने फिरने भी लगा। यह पुण्य का काम था मुझे भी अच्छा लगा उन बेज़ुबानों की मदद करना।
मैरी के बच्चों को एक दो बार मैंने नाली में फंसने पर बचाया था उस बेज़ुबान को ये भी याद रहा आजतक। मुझे देखकर पूंछ हिलाकर परिचय देती कि वह सब समझती है।
पर मां तो मां है बेशक इन्सान हो या जानवर औलाद का मोह अलग ही होता है। इस बार उसके बच्चे मरे तो वह आक्रामकता पर उतर आई। हर आते जाते को भौंकने काटने भागने लगी।
गली वालों को फिर भी कुछ नहीं बोली यह भी उसकी समझदारी थी। मगर भाभी भी डर गईं कहीं काट लिया किसी को तो उनका नाम ख़ामख़ां बजेगा कि उनके गेट पर जो डेरा डाले रहती थी।
अब बच्चों को बेशक भाभी के घर से भी खाने को मिलता था मगर मैरी और मायकिल अपने मां बाप होने का फ़र्ज़ फिर भी निभाते,,,, कहीं से कुछ खाने को मिलता तो बच्चों के खाने को ले आते।
मगर इस बार कुछ अलग सी घटना घटी जो किसी के भी समझ ना आई,,,, मुझे बुख़ार था मैं लेटी थी,,,,गली में से लवली दीदी की आवाज़ें आ रही थीं।
मैंने बेटी को बोला ये लवली दीदी तो ऐसे बोलती नहीं कभी,,,, क्योंकि काम में बिज़ी होती, ज़रूर कोई गंभीर बात है। बेटी बोली मां आप ठीक नहीं, लेटी रहो । मगर मैं हिम्मत करके उठी । बाहर जाकर दीदी से पूछा क्या हुआ दी ,,,आप क्यों बोल रही हैंं,,,वह अपने घर के आगे की जगह धुल रही थीं। यहां मीट, चावल और हल्दी सी बिखरी थी।कुत्तों को भगाने को एक सोटी सी थी हाथ में।
बोले देखो कौशल जी ये आज दिन में तीसरी बार हुआ।अब सभी वहां इकट्ठा हो चुके थे और यह सोचने को मजबूर थे की यह किसी की कोई शरारत तो नहीं।
अब आजकल कोई जादू टोना को तो नहीं मानता वह यह भी बोले मगर सोच सभी की यह थी कि तीन बार एक खाना और कुत्तों को एक ही जगह मिली । सभी अपनी अपनी सोच में थे और अपने अपने विचार भी रख रहे थे। कुत्तों से ऐतराज़ भी सभी जता ही रहे थे बातों बातों में।
मैं वहां खड़ी सोच रही थी क्या मैरी को कोई ऐसा ठिकाना तो नहीं मिल गया जो खाना बच्चों के लिए चुराकर लाती हो। फिर सोचा, अब इन बच्चों का क्या होगा अगर भाभी ने छोड़ दिया।क्या इस बार भी एक एक कर गाड़ियों के नीचे आ जाएंगे। खुले आंगन में बैठे रहते थे।
सुबह उठे तो देखा पड़ोसी भाई जी ने गेट के आगे थोड़ी रोक लगा दी, अब डर तो उनका भी सच्चा था।
बच्चे उदास थे भाभी के बुलाने भागने वाले चुप चाप बैठे थे।और मैरी और मायकिल भी उदास नज़रों से गेट को ताक रहे थे। फिर मैरी और मायकिल दो बच्चों को ले गए,,मगर वह लौट आए ।अब भी गली में दूर दूर बैठे हैं उदास। पता नहीं कितनी उम्र शेष है उनकी। गाड़ियों की भेंट चढेगें या बचेंगे,,,,जिस ईश्वर ने पैदा किया अब वही जाने क्या होगा आगे। (हिंदी स्क्रीन)
भाखड़ा nngl।
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