चार अप्रैल को सम्मान दिवस पर डा. भावना की तरफ से विशेष पोस्ट
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फाईल फोटो |
जालंधर: 3 अप्रैल 2021: (डा. भावना//हिंदी स्क्रीन)::
'उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि ना मनोरथै' मेहनत से ही सब कार्य सिद्ध होते हैं मन की इच्छाओं से नहीं, को चरितार्थ करने वाली कुलविंदर बुटृर के हौसलों की उड़ान इस कथ्य को व्यापक फलक देती है। कर्मठता को जीवन का पर्याय बनाने वाली कुलविंदर बुटृर जहां अपने कार्य क्षेत्र में तल्लीनता रखती हैं, वहीं अपने समाज के प्रति भी उत्तर दायित्व निभाती हैं। पंजाब, पंजाबी और पंजाबियत के प्रति इनका दृष्टिकोण इनके व्यावसायिक जीवन में दृष्टिगोचर होता है। पंजाबी भाषा को सिंचित करने वाली बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व की स्वामी कुलविंदर बुटृर का पंजाबी के संरक्षण एवं संवर्धन में विशेष योगदान रहा है। आकाशवाणी जालंधर में कार्यरत कुलविंदर बुटृर ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष पंजाबी बोली के संवर्धन के लिए समर्पित किए हैं। पंजाबी बोली के लिए पूर्ण रूप से समर्पित इनकी भावना ने ना सिर्फ भाषा के क्षेत्र में ही योगदान दिया अपितु 'निर्माता दूरदर्शन जालंधर पंजाबी' होने के नाते पंजाबी सभ्याचार का संदेशा घर-घर तक पहुंचाया। यह इनका सौभाग्य था कि इनका बचपन उस परिवेश में पला बढ़ा और बीता जहां क्रांति और देश भक्ति की बयार बहती थी। गदरी बाबा और बाबा भगत सिंह बिल्गा जैसे क्रांतिकारियों का आशीर्वाद इनके व्यक्तित्व को तराशने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा 'बाबा भगत सिंह सरकारी विद्यालय बिल्गा' से पूरी की, जबकि उच्च शिक्षा 'गुरू नानक गर्ल्स कालेज बाबा से ढेसिया' से प्राप्त की। तत्कालीन रेडियो के प्रसिद्ध कार्यक्रम 'युववाणी' में अपनी आवाज प्रतिभा और मेधा के बल पर अपना वर्चस्व स्थापित किया। इसी स्थान से इनके जीवन की एक महत्वपूर्ण और लंबी यात्रा प्रारंभ होती है, जो कदम दर कदम उन विचारों को छूती है जो इनके अंत:करण में उद्वेलित हो रहे थे। मीडिया से इनका जुड़ाव इन के सपनों को व्यापक फलक देता गया। यद्यपि उन्होंने अपना पढ़ाई का शौक भी पूरा किया लेकिन इनकी प्रतिभा ने उन्हें सन 1985 मैं दूरदर्शन की सरकारी सेवा से जुड़ने का अवसर प्रदान किया। इस मंच से जुड़ कर इन्होंने दूरदर्शन के क्षेत्र में अनेकों अनवरत प्रयत्न किए। कड़ी मेहनत और इमानदारी ने इन्हें दूरदर्शन और पंजाबी सभ्याचार की चहेती बना दिया। इन्होंने पंजाबियत से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों और महान विभूतियों को अपने कार्य क्षेत्र से जोड़ा और अनेकों 'टेली फिल्में' , 'दस्तावेजी फिल्में ' और 'लाइव टीवी' कार्यक्रम करवाए। बचपन से ही भरी गई देशभक्ति की भावना ने उन्हें अनेकों देशभक्ति परक कार्यक्रम करवाने के लिए प्रेरित किया। 'धियां पंजाब दियां', 'सपनों की उड़ान', एवं 'नारी मंच' इनके बहुत चर्चित कार्यक्रम थे। नारी उत्थान को वह कई तरह से मुखरित करती रही हैं। कला, समाज, राजनीति जैसे कई अन्य क्षेत्रों में इन्होंने पंजाब की नारी को ऐसा मंच प्रदान किया कि जहां वह अपनी आवाज को बुलंद कर सकें और गौरवान्वित महसूस करें। अपनी दस्तावेजी फिल्मों में उन्होंने पंजाब के शहरों को बारीकी से उतारा है। इनके अथक प्रयास के फल स्वरूप भारतीय दूरदर्शन पर पहली बार 'मास्टर शैफ पंजाबी' जैसी प्रतियोगिताओं का आरंभ किया गया। बहुत से कार्यक्रमों में पर्दे के पीछे से मधुर आवाज देकर इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई।
कुलविंदर जी के जीवन को सफल बनाने में इनके पति प्रो. गोपाल सिंह बुटृर का विशेष योगदान रहा है। यह उन्हें अपने जीवन की कूंजी मानती हैं। प्रगतिवादी एवं आशावादी जीवनी दर्शन के चलते यह जीवन में नई ऊंचाइयों को छूना चाहती हैं। यह अपने पारिवारिक जीवन से पूर्णतः संतुष्ट हैं।'काम ही पूजा है' को ध्येय मानने वाली आपकी सोच जगी रहे, जगाती रहे और उत्तरोत्तर संवर्धित हो।
डॉ. भावना लायलपुर खालसा कॉलेज, जालंधर के हिन्दी विभाग में कार्यरत हैं