Sunday, July 19, 2020

अंतिम व्यक्ति का विश्वास सरकार से उठ चुका है

मंजुल भारद्वाज की कविताओं ने मोड़ा राजनैतिक बहस का रुख!
मुंबई: (सायली पावसकर रंगकर्मी//हिंदी स्क्रीन)::
अंतिम व्यक्ति लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहा है! अपनी इस काव्य रचना में मंजुल भारद्वाज कहते हैं:
रंगचिंतक मंजुल भारदवाज 
भारतीय समाज और व्यवस्था का
अंतिम व्यक्ति चल रहा है
वो रहमो करम पर नहीं
अपने श्रम पर
ज़िंदा रहना चाहता है
व्यवस्था और सरकार
उसे घोंट कर मारना चाहती है
अपने टुकड़ों पर आश्रित करना चाहती है
उसे खोखले वादों से निपटाना चाहती है
अंतिम व्यक्ति का विश्वास
सरकार से उठ चुका है
उसे अपने श्रम शक्ति पर भरोसा है
जब भगवान, अल्लाह के
दरबार बन्द हैं
उनकी ठेकेदारी करने वाली
यूनियन लापता हैं
तब अंतिम व्यक्ति ने
अपनी विवशता को ताक़त में बदला है
मरना निश्चीत है तो
स्वाभिमान से जीने का संघर्ष हो
अंतिम व्यक्ति अपनी मंज़िल पर चल पड़ा है
वो हिंसक नहीं है
पुलिस और व्यवस्था की हिंसा सह रहा है
मुख्य रास्तों की नाकाबन्दी तोड़
नए रास्तों पर चल रहा है
उसके इस अहिंसक सत्याग्रह ने
सरकार को नंगा कर दिया है
सोशल मीडिया, ट्विटर ट्रेंड के
छद्म को ध्वस्त कर दिया है
गोदी मीडिया को 70 महीने में
पहली बार निरर्थक कर दिया है
अंतिम व्यक्ति का
यह सविनय अवज्ञा आंदोलन है
लोकतंत्र की आज़ादी के लिए
वो कभी भूख से मर रहा है
कभी हाईवे पर कुचला जा रहा है
कहीं रेल की पटरी पर मर रहा है
पर अंतिम व्यक्ति चल रहा है
जब मध्यम वर्ग अपने पिंजरों में
दिन रात कैद है
तब भी यह अंतिम व्यक्ति
दिन रात चल रहा है
सरकार को मजबूर कर रहा है
अपनी कुर्बानी से मध्यम वर्ग के
ज़मीर को कुरेद रहा है
ज़रा सोचिए देश बन्दी में
यह अंतिम व्यक्ति लोकतंत्र के लिए
लड़ रहा है
यह गांधी की तरह
अपनी विवशता को
अपना हथियार बना रहा है
शायद गांधी को पहले से पता था
उसके लोकतंत्र और विवेक का
वारिसदार अंतिम व्यक्ति होगा!
लेखिका सायली पावसकर रंगकर्मी
गांधी ने कहा था, गांव की ओर चलो!  गांधी के इन शब्दों को आज मज़दूरों ने सार्थक किया है। गांधी का विचार है कि देश की वास्तविक प्रगति ग्रामीण विकास पर आधारित हो।  मजदूरों के इस सत्याग्रह ने बताया कि आत्मनिर्भरता की असली जड़ गांव में है।  (इसीलिए संकट के समय सभी लोग अपने गांव गए)।  यदि गांवों में शाश्वत विकास की जड़ें मजबूत होती, तो मजदूरों को अपने गांवों, घरों और परिवारों को छोड़कर परजीवी शहरों में आने की आवश्यकता ही नहीं होती।
उपरोक्त कविता की रचना उसी अंतिम व्यक्ति के बारे में है, जो गांधी का अंतिम (हाशिये का व्यक्ति) व्यक्ति, कार्ल मार्क्स का सर्वहारा और अंबेडकर का शोषित व्यक्ति है।  गांधी ने इस हाशिये के व्यक्ति को राजनैतिक प्रक्रिया से जोड़ा और भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाया। अंबेडकर ने जातिवाद के शोषण और शोषितों के दमन को उजागर किया। जन्म के संयोग को चुनौती दी और व्यवस्था में सहभागी होने के लिए समान अधिकार प्राप्त कराए।  कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष की रूपरेखा को तोड़कर सर्वहारा की सत्ता को स्थापित करने का सूत्र दिया। (क्रमशः) बाकी अगली पोस्ट में
लेखिका:
सायली पावसकर रंगकर्मी
pawaskarsayali31@gmail.com
स्टेज के महारथी मंजुल भरद्वाज से सम्पर्क का ईमेल पता है:Manjul Bhardwaj <etftor@gmail.com>

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