Sunday, February 16, 2020

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी गुरदासपुर पंजाब में

एक दिवसीय विशेष आयोजन दिनांक 14 मार्च, 2020 को
साथियो,
राजकीय महाविद्यालय, गुरदासपुर, पंजाब द्वारा साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली एवं बोहल शोध मंजूषा, भिवानी, हरियाणा के सहयोग से एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी, दिनांक 14 मार्च, 2020 को  ‘भारतीय संस्कृति में संस्कृत एवं हिंदी भाषा का योगदान’, विषय पर आयोजित किया जायेगा ।
संगोष्ठी स्थल:-  
राजकीय महाविद्यालय, गुरदासपुर, पंजाब
उपविषय:
1 वैदिक कालीन शिक्षा पद्धति 
2. वैदिक कालीन ग्राम्यजीवन 
3. भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संचेतना  
4. वेदों में नारी की भूमिका  
5. भारतीय संस्कृति में पंजाबी भाषा का योगदान 
6.  भारतीय संस्कृति में छतीसगढ़ी भाषा का योगदान 
7.  भारतीय संस्कृति में डोगरी भाषा का योगदान 
8.  भारतीय संस्कृति में पाली भाषा का योगदान 
9 भारतीय संस्कृति में क्षेत्रीय भाषाओँ का योगदान
10. भारतीय संस्कृति और सिनेमा 
11. भारतीय संस्कृति और मीडिया 
12. भारतीय संस्कृति और लोकनाट्य 
13. भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्य 
14. भारतीय संस्कृति और रंगमंच 
15. भारतीय संस्कृति और लोकपर्व
16. भारतीय संस्कृति में धर्म एवं पंथ 
17. भारतीय संस्कृति और प्रवासी साहित्य
18.  पंजाब के हिन्दी साहित्यकार
19.  विदेशो में भारतीय संस्कृति और पंजाब के प्रवासी साहित्यकार
20.  पंजाब का हिन्दी साहित्य में योगदान
21.  हिन्दी सिनेमा और पंजाब
22. अग्रेजी साहित्य और पंजाब
23.  संस्कृत साहित्य को पंजाब का योगदान
24.  पंजाब में रचित सन्त साहित्य
25. डी.ए.वी. संस्थाओ का हिन्दी के प्रचार-प्रसार में योगदान
26. आर्य समाज का हिन्दी, संस्कृत साहित्य में योगदान
27. पंजाब के सिक्ख गुरूओं का भारतीय संस्कृति में योगदान  
उक्त शीर्षकों के अतिरिक्त मुख्य विषय से जुड़े अन्य विषयों पर भी शोधालेख भेजे जा सकते हैं। विषय चयन से पूर्व संयोजक से विचार करना उचित होगा।

शोध आलेख आमंत्रित हैं- आलेख संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी एवं पंजाबी में भाषा मे आलेख स्वीकार किये जायेंगे।

● आप अपने मौलिक शोध् आलेख seminar14march20@gmail.com
 पर 14 फ़रवरी 2020 तक कृतिदेव, वॉकमैन चाणक्य 901-95 अथवा यूनिकोड में वर्ड फाइल में भेज सकते हैं। पी.डी.एफ. एवं स्कैन फाइल स्वीकार नहीं की जायेंगी ।
शोधालेखों में सन्दर्भ आलेख के अंत में दिए जायें. संदर्भ देना अनिवार्य होगा. 
● आलेख ISBN नंबर अंकित पुस्तक में प्रकाशित होंगे। आलेख कम से कम 2000 शब्दों का हो।
● स्वीकृत आलेखों को पुस्तकीय रुप में लोकार्पण किया जायेगा।
● 15 चयनित शोध्-पत्रों को प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाएगा एवं उन्हें विशेष ‘स्मृति चिह्न' से सम्मानित किया जाएगा। 
● सभी प्रतिभागियों को निशुल्क , स्मृतिचिह्न, प्रमाणपत्र एवं पुस्तक प्रदान किये जाएंगे।
● स्मृतिचिह्न उन्हीं प्रतिभागियों को दिये जाएंगे जिनका आलेख एवं पंजीकरण 14 फ़रवरी 2020 तक प्राप्त होगा एवं संगोष्ठी में उपस्थित होंगे।
● शोध् पत्र के अन्त में अपना पूरा नाम, घर/कॉलेज का पता, मोबाइल नं., ईमेल अवश्य लिखें। इसके अभाव में शोध् पत्र को निरस्त किया जा सकता है।
(यदि किसी कारणवश आप संगोष्ठी में नही आ पाते हैं तो सिर्फ पुस्तक एवं प्रमाणपत्र ही पोस्ट किए जाएंगे, स्मृतिचिह्न पोस्ट नही किया जाएगा)
पंजीकरण शुल्क
14 फ़रवरी 2020 से पूर्व 
प्राध्यापक : 700
शोधार्थी तथा अन्य प्रतिभागी : 500
14 फ़रवरी से पश्चात्
प्राध्यापक : 900
शोधार्थी तथा अन्य प्रतिभागी : 600
डाक खर्च : 150 
बैंक विवरण
Paytm, phone pay, google pay - 9136175560
खाता संख्या- 6729179894
खाता धारक का नाम : साहित्य संचय 
Ifsc- IDIB000S216
Bank- Indian Bank
Branch- Sonia vihar, Delhi
संयोजक : डॉ. केवल  कृष्ण मल्होत्रा -9815242960
आयोजक : 
साहित्य संचय फाउंडेशन
अध्यक्ष, मनोज कुमार 9136175560
डॉ नरेश सिहाग 'एडवोकेट' 8708822674 (राजस्थान)
सुमन रानी- 9050289680 (हरियाणा)
डॉ विनोद तनेजा पंजाब 
9876865695
संजय कुमार- 8769406872(राजस्थान)
डॉ संगम वर्मा-9463603737(पंजाब)
ज्योति कुशवाहा-8223002666(छत्तीसगढ़)
वीरेंदर तिवारी- 9140671058 (उत्तर प्रदेश),
डॉ विनोद कुमार-9876758830 (पंजाब)
अभय कुमार -8507440700 (बिहार)
रवि कुमार -7780960421 (जम्मू)
सुशील भगत- 8803035823 (जम्मू)
कमलेश- 8699801601 (पंजाब)
 भारती- 9599091536 (हिमाचल प्रदेश)
डॉ विनय श्रीवास्तव- 7080820498 (उत्तराखंड)
रेखा -9530752446 (पंजाब)
डिंपल -783785820 (पंजाब)
संरक्षक : बी आर राणा, प्रिंसीपल, राजकीय महाविद्यालय, गुरदासपुर, पंजाब

Monday, February 10, 2020

हर इकन्नी खर्च कर बैठे//रेक्टर कथूरिया

पड़ी मुश्किल तो देखा हर चवन्नी खर्च कर बैठे!
जमा पूंजी बहुत थी पर सभी हम खर्च कर बैठे!
लड़कपन भी, जवानी भी, बुढापा खर्च कर बैठे!

कमाया था बहुत सम्भाल न पाए मगर हम सब,
पड़ी मुश्किल तो देखा हर चवन्नी खर्च कर बैठे!

मोहब्बत ने कहा था मान लो मेरा कहा अब तो,
कहा माना मगर दिल और दुनिया खर्च कर बैठे!

बड़े सपने सजाए थे, बड़े तिकड़म लड़ाए था,
खुली जब नींद तो देखा वो सब कुछ खर्च कर बैठे!

मोहब्बत की हकीकत उलझनों के भंवर सी निकली,
फंसे इस भंवर में तो हर इकन्नी खर्च कर बैठे।

सफर इस जन्म का दुशवार था, दुशवार ही निकला;
हकीकत तब खुली जब हर हकीकत खर्च कर बैठे।

मोहब्बत में बहुत अब फर्क जीने और मरने का;
कि जीना था जिसे तक के, उसी को खर्च कर बैठे!
                                              --रेक्टर कथूरिया
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