Sunday, September 22, 2013

काव्य रचना// रिवाज़// डॉ अ कीर्तिवर्धन

दीवार खिंची आँगन में,मन भी बँट गए,
जब से अलग चूल्हे का चल गया रिवाज !

रहते थे एक घर में ,परिवार एक साथ,
अकेले रहने का अब चल गया रिवाज़ |

टूटने लगे हैं घर जब से गली गाँव में,
बच्चों के मन से बुजुर्गों का मिट गया लिहाज |

दीवार खिंची आँगन में,मन भी बँट गए,
जब से अलग चूल्हे का चल गया रिवाज |

दीवारें क्या खिंची माँ-बाप बँट गए,
बताने लगे हैं बच्चे अब खर्च का हिसाब |

मुश्किल है आजकल बच्चों को डांटना,
देने लगे हैं बच्चे हर बात का जवाब |

दिखते नहीं हैं बूढों के भी बाल अब सफ़ेद,
लगाने लगे हैं जब से वो बालों में खिजाब |

दौलत की हवस ने "कीर्ति" कैसा खेल खेला,
बदल गया है आजकल हर शख्स का मिजाज |


डॉ अ कीर्तिवर्धन अपने लेखों आलेखों की तरह काव्य रचना में भी अपनी कला अक्सर दिखाते रहते हैं। 
उनका सम्पर्क नबर है:
8265821800


काव्य रचना// रिवाज़// डॉ अ कीर्तिवर्धन

Friday, September 13, 2013

डॉ अ कीर्तिवर्धन पर रचनाएं आमंत्रित

Fri, Sep 13, 2013 at 1:47 PM
आदरणीय ,
                विषय :- डॉ अ कीर्तिवर्धन  की समग्र पड़ताल करता सुरसरी का विशेषांक।
बड़े ही हर्ष के साथ सूचित करना चाहते हैं कि बिहार से प्रकाशित सुप्रसिद्ध साहित्यक पत्रिका “ सुरसरी “ ने डॉ अ कीर्तिवर्धन के समग्र व्यक्तित्व , कृतित्व एवं साहित्यक यात्रा का मूल्यांकन करने का निर्णय लिया है

वरिष्ठ साहित्यकार , सरल , सहज , मानवीय दृष्टिकोण से ओत -प्रोत डॉ अ कीर्तिवर्धन सम्पूर्ण देश में जाने - पहचाने व पढ़े जाते हैं।  अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उनके अनेक पाठक, शुभचिंतक व मित्र हैं।  आपकी अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हैं , जिनमे से बाल साहित्य पर “ सुबह सवेरे “ , बुजुर्गों की दशा - दिशा पर प्रथम ग्रन्थ के रूप में मान्य “ जतन से ओढ़ी चदरिया “ तथा  आलेखों का संग्रह “ चिंतन बिंदु “ बहुचर्चित रही हैं।  अनेक पत्र -पत्रिकाओं में सहयोगी , अतिथि सम्पादक, परामर्शद डॉ वर्धन समाज सेवा व ट्रेड यूनियन से भी जुड़े हैं। वह बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं।

साहित्यक उपलब्धियों के रूप में 400 से अधिक पत्र -पत्रिकाओं में आपकी रचनाओं का निरंतर प्रकाशन, 60  से अधिक सम्मान व उपाधियाँ , अनेकों रचनाओं का कोंकण , तमिल , नेपाली , उर्दू , अंगिका , मैथिलि व अंग्रेजी भाषाओं में अनुवाद व प्रकाशन तथा अनेकों संस्थाओं से सम्बद्धता है।  आप उत्तर प्रदेश साहित्यकार स्वाभिमान समिति के सदस्य , दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मलेन के कार्यकारिणी सदस्य , अखिल भारतीय साहित्य परिषद् ,मुज़फ्फरनगर ईकाई के अध्यक्ष होने के साथ साथ अनेकों संस्थाओं के उत्तर प्रदेश संयोजक भी हैं।

श्री कीर्तिवर्धन जी का जन्म शामली में हुआ और वर्तमान में आप नैनीताल बैंक की मुज़फ्फरनगर शाखा में कार्यरत हैं।  आप पिछले 33  वर्षों से बैंक में सेवारत है। नैनीताल बैंक स्टाफ एसोसिएशन के महामंत्री व ट्रेड यूनियन के विभिन्न पदों पर रहते हुए आपने अपनी कार्यकुशलता के साथ जुझारू छवि स्थापित की।  वर्तमान में आप नैनीताल बैंक इम्पलाईज यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।  आपकी कार्य प्रणाली तथा मृदु व्यवहार बैंक के ग्राहकों , साथी कर्मचारियों एवं प्रबंधकों द्वारा भी सराहनीय रहा है।  

वर्धन जी की लोकप्रियता , सहजता , सरलता तथा साहित्यक उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए सन 2011 में प्रमुख राष्ट्रीय पत्रिका “ कल्पान्त “ ने भी उन पर केन्द्रित “ साहित्य का कीर्तिवर्धन “ विशेषांक प्रकाशित किया था , जिसकी व्यापक चर्चा तथा प्रसंशा हुई थी।  आपकी कवितायें , शोध आलेख तथा निबन्ध अपनी अलग शैली के कारण पहचान छोड़ते हैं।  समीक्षा करने की समालोचनात्मक दृष्टि उन्हें विशिष्ट बनाती है तो पुस्तकों की भूमिका लिखते  समय वह प्रेरणा व प्रोत्साहन देते दिखाई पड़ते हैं।

आदरणीय , आप कीर्तिवर्धन जी के बाल सखा, विद्यार्थी जीवन के साथी , सामाजिक कार्यों के सहयोगी , ट्रेड यूनियन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले मित्र , साहित्य में पाठक , प्रसंशक , अग्रज , बैंक में ग्राहक एवं साथी , रिश्तेदार , दोस्त , समाज सेवा के क्षेत्र में उनके अग्रणीय यानि किसी न किसी रूप में कीर्तिवर्धन जी से जुड़े रहे रहे हैं , उनके कृतित्व व व्यक्तित्व के पहलुओं से परिचित हैं।  

हमारा आपसे अनुरोध है कि आप अपनी यादों एवं कीर्तिवर्धन जी के साथ लिए गए अनुभवों मे से कुछ हमारे साथ साझा करें।  उनके साथ लिए गए विभिन अवसरों के फोटो तथा आपके संस्मरण पत्रिका को गरिमा प्रदान करेंगे तथा कीर्तिवर्धन जी के व्यक्तित्व को भी नई उंचाईयां प्रदान करेंगे।

सभी पत्र - पत्रिकाओं के सम्मानित संपादकों से भी विनम्र अनुरोध है कि इस विज्ञप्ति को अपनी पत्रिका में स्थान प्रदान कर अनुगृहित करें तथा अपने विचारों से भी अवगत कराने की कृपा करें।

माननीय , आपसे अनुरोध है कि डॉ अ कीर्तिवर्धन से सम्बंधित अपने संस्मरण , विचार , उनकी पुस्तकों पर समीक्षा , कविताओं का मूल्याङ्कन ,  उनके साथ बिताये गए क्षणों के चित्र , शुभकामना सन्देश , आशीर्वचन , उनकी रचनाओं का किसी अन्य भाषा में अनुवाद आदि हमें निम्न पते पर अथवा सीधे डॉ कीर्तिवर्धन जी को निम्न पते पर प्रेषित करें।  

आप सम्बंधित सामग्री e mail से भी भेज सकते हैं -------
कृपया अपना फोटो भी संलग्न करें।
                                                                                     
पता --                                                                               निवेदक
डॉ अ कीर्तिवर्धन                                                     अश्विनी कुमार आलोक                                           
विद्यालक्ष्मी निकेतन                                               सम्पादक - “ सुरसरी “
53 -महालक्ष्मी एन्क्लेव ,जानसठ रोड ,                     प्रोफेसर्स कॉलोनी, महनार
मुज़फ्फरनगर -251001 (उत्तर प्रदेश)                        वैशाली -844506 ( बिहार )

08265821800                                                      09801699936

a.kirtivardhan@gmail.com                                 ashwinikumaralok@gmail.com