9th April 2023 at 8:54 AM
स्थापना दिवस 9 अप्रैल पर विशेष
प्रगतिशील लेखक संघ का उदय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अहम् मुद्दे को लेकर हुए लेखकों के आंदोलन से हुआ।प्रगतिशील लेखकों के आंदोलन की उत्पत्ति 'अंगारे' के प्रकाशन में देखा जा सकता है, यह नौ लघु कहानियों का संग्रह और अहमद अली, सज्जाद ज़हीर, राशिद जहाँ और महमूद द्वारा एक-अभिनय नाटक- 1932 में उज़-ज़फ़र को समेटे हुए है।यह पुस्तक नागरिकों और धार्मिक अधिकारियों की नाराजगी के साथ सामने आई जिसको संयुक्त प्रांत की सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था।
इस पुस्तक के लेखक ने इसके लिए कोई क्षमा याचना नहीं की वे इसे लॉन्च करने के परिणामों से डरे नहीं वे केवल 'इसे लॉन्च करने के अधिकार और इसके सामान्य रूप से मानव जाति और भारतीय लोगों के लिए सर्वोच्च महत्व के सभी मामलों में स्वतंत्र आलोचना और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार के लिए खड़े हो गए। इसी अधिकार की प्राप्ति के लिए प्रगतिशील लेखकों की एक लीग का तुरंत गठन किया, और कहा गया कि लेखक समय-समय पर अंग्रेजी और हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में अपने संग्रह प्रस्तुत करें। जो इस विचार में रुचि रखते हैं, वे हमसे संपर्क करें। प्रगतिशील लेखक और उनका साहित्य सामने आ गया।इतना ही काफी था।
इसके बाद तो इंडियन प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन की स्थापना लंदन में 1935 में हुई जिसके अध्यक्ष बने सज़्जाद ज़हीर। वे सन् 1933में लंदन गए थे अध्ययन के लिए लेकिन उनके दिलों दिमाग में 'अंगारे 'तैर रहे थे। 1936 में ज़हीर हिंदुस्तान आ गए और लखनऊ में रिफा -ए-आम क्लब में सैयद सज्जाद जहीर और अहमद अली के नेतृत्व में 9अप्रैल 1936 को अखिल भारतीय लेखक संघ की स्थापना की गई थी । प्रथम अध्यक्ष बने थे मुंशी प्रेमचंद। यहाँ आने से पूर्व वे अलीगढ़ में डॉ॰ अशरफ, इलाहबाद में अहमद अली, मुम्बई में कन्हैया लाल मुंशी, बनारस में प्रेमचंद, कलकत्ता में प्रो॰ हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे।
मौजूदा दौर में भी प्रगतिशील लेखक संघ सक्रिय है। इसका सत्रहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन जयपुर में हुआ था जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर तमिल के बहुप्रतिष्ठित लेखक श्री पुन्नीलन और राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर पंजाबी के प्रसिद्ध लेखक प्रो. सुखदेव सिंह सिरसा चुने गए थे। अब अगला सम्मेलन 20, 21 और 22 अगस्त को हरिशंकर परसाई की जन्मशताब्दी के अवसर पर जबलपुर में आयोजित होगा। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता का समर्थन करता है और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता है। जबलपुर में होने जा रहा सम्मेलन सुविख्यात व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की समर्पित है वे एक परिवर्तन कामी रचनाकार थे उनके व्यंग्य आज के दौर में सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं। परसाई जी के व्यंग्य की शिष्टता का संबंध उच्चवर्गीय मनोरंजन से ना होकर समाज में सर्वहारा की उस लड़ाई से अधिक है जो आगे जाकर मनुष्य की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यही प्रगतिशील लेखक संघ का प्रमुख उद्देश्य भी है।
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