Friday, September 14, 2012

प्रगतिशील साहित्य का उदय

    
  • प्रगतिशील धारा ने उर्दू, पंजाबी और हिंदी साहित्य पर भी अमिट प्रभाव छोड़ा। मजदूरों और किसानों के साथ कलमकार भी आने सामने आ गए।आम लोगों के साथ उनके दुःख दर्द को ह्म्सूस करना, बांटना और फिर अपनी कलम या आवाज़ के ज़रिये उनके दुःख को जन जन तक लेजाना आसान नहीं था पर यह दुर्गम काम भी हुआ और अभी भी जारी है।
    इस वीडियो में कुछ इसी ही चर्चा है जिसे  यहाँ यूट्यूब  से साभार दिया जा रहा है। यदि आपके पास भी कुछ  ऐसी ही जानकारी हो तो उसे तस्वीरों या वीडियो के साथ हिंदी स्क्रीन के लिए भी प्रेषित कीजीये। आपकी रचना की इंतज़ार बनी रहेगी।--रेक्टर कथूरिया     

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