Saturday 9th September 2023 at 21:55
किताब का विमोचन किया विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने
लुधियाना: 09 सितम्बर 2023: (मीडिया लिंक32//हिंदी स्क्रीन डेस्क)::
यह किसी ट्रेजेडी से कम तो नहीं कि सत्ता से जुड़े लोग आम तौर पर उसी बात का गंभीर नोटिस लेते हैं जिससे सत्ता को खतरा होता हो। जिस खबर या कविता के शब्दों से सत्ता का विरोध न होता हो आम तौर पर वह नज़र अंदाज़ ही रह जाती है। फिर वह खबर या कविता बेशक समाज का बेडा गर्क करने वाली हो उस पर कोई सियासत एतराज़ नहीं करती। परिणाम यह होता है कि आम लोगों को पैदा होने वाले नए नए खतरों के खिलाफ न समाज चेत पाता है और न सत्ता या प्रशासन। वाहियात किस्म के विज्ञापन आते है कि फलां परफ्यूम लगाओ तो लड़कियां फंसने लगेंगी। फलां टायर इस्तेमाल करो तो लड़कियां फंसेंगी। सरकार या समाज के साथ जुड़े किसी भी संगठन या विभाग ने इन लोगों के खिलाफ कभी एक्शन तक नहीं लिया। परिणाम होता है कि अनैतिकता बढ़ती चली जा रही है। इसी के चलते रेप की घटनाएँ भी बढ़ती जा रही हैं। कानून ने थोड़ी सख्ती की तो जिस महिला वर्ग को पीड़ित समझा जाता था उसी में से कुछ लोग इसी कानून का फायदा उठाने लगे।
बस जब कभी कोई ऐसी घटना मीडिया में आती है तो दो चार दिन हो हल्ला होता है इसके बाद फिर लोगों को भूल जाता है कि कब हुआ था किसके साथ रेप! फिर कोई नहीं घटना सामने आती है तो फिर से भूल जाती है। गौरतलब है कि इस तरह की जितनी घटनाएँ घटित होती हैं उनमें से बहुत कम की शिकायत ही लोगों तक पहुँचती है। कई मामलों में इस तरह से समझौता भी हो जाता है कि उसका कुछ पता भी नहीं लगता। कई मामलों में दबाव बढ़ने से शिकायत वापिस भी हो जाती है। इस के परिणामों को पूरा समाज भुगतता भी है। इस तरह के मामलों में अदालत संज्ञान लेती रही है लेकिन फिर भी सब कुछ कभी न रुक पाया। अब इस तरह की प्रमुख घटनाओं को आधार बना कर इन्हें दस्तावेज़ी की तरह संभालने का प्रयास किया है लुधियाना के एक सक्रिय वकील ने।
लुधियाना के सीनियर एडवोकेट मुनीष पुरंग ने सच्ची घटनाओं पर अधारित पहली किताब को लिखा है। इस किताब को नाम दिया गया है "द रेप फाइल"। यह किताब उन केसों पर अधारित है, जिनमें पहले महिलाओं ने पुरुषों पर रेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई। जब मामला अदालत में पहुंचा तो अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। अदालत ने आरोपियों को बा इज्जत बरी कर दिया। इस तरह की बहुत सी दास्तानें हैं इस पुस्तक में। शुक्रवार को विधानसभा स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने इस किताब का विमोचन किया है।
किताब के लेखक एडवोकेट मुनीष पुरंग बताते है कि उनकी किताब में कुल 12 कहानियां है। यह सभी सच्ची घटनाओं पर अधारित है। इन 12 मामलों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और अदालत में केस भी चले। इन केसों में बतौर एडवोकेट उन्होंने आरोपियों की तरफ से केस लड़ा है। सुनवाई दौरान शिकायतकर्ता महिलाओं ने अपनी शर्तों पर समझौता किया। इसके बाद रेप के आरोपों से किनारा कर लिया। इस मामले के आरोपियों को अदालत ने बा इज्जत बरी कर दिया। इसलिए मेरे मन में ख्याल आया क्यों न समाज में चल रहे इस ब्लैकमेलिंग का खुलासा आम लोगों के सामने रखा जाए। इसलिए इस किताब को लिखा गया है।
इस किताब को लिखने में लुधियाना के जाने माने सर्जन डाक्टर केके अरोड़ा ने सबसे ज्यादा प्रेरित किया। शुक्रवार को किताब के विमोचन के समय राहुल शर्मा, हरदियाल सिंह, मन्नू पुरंग, आरएस मंड, इंदरपाल सिंह, मैडम गरिमा, नरिंदर सिंह, सुखविंदर सिंह धालीवाल सहित कई अन्य लोग मौजूद थे।
वकील मुनीश पुरंग ने केवल इस तरह की घटनाओं और मामलों को सहेजा ही नहीं बल्कि फैसला होने के बाद की हालतों में कुरेदा भी है। इनमें से ब्लैकमेलिंग की संभावना का भी पता लगाया है। समाज में ऐसा होना अब आम भी होने लगा है। इसे एक हथियार की तरह भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। यही सिलसिला जारी रहा तो क्या बनेगा समाज का? क्या वकील मुनीश पुरंग की चिंताओं में सामजिक संगठन अपना योगदान देंगें?
अब देखना है कि इस तरह के ने ट्रेंड की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं। मुकरने वाली लड़कियों/महिलाओं के साथ कानून अतीत में भी सख्ती से पेश आता रहा है लेकिन शायद इस सख्ती को और बढ़ाना पड़ेगा।
No comments:
Post a Comment