Friday, December 11, 2020

किसान आंदोलन ने उत्साहित किया है संघर्षों के साहित्य सृजन को

 पढिए डा.चित्रलेखा की नयी काव्य रचना 

इस तस्वीर को क्लिक किया है हमेशां से ही सत्य  के साथ खड़ी होने वाली डा. जगदीश  कौर ने 

डाॅoचित्रलेखा

धरती है बिछौना

 रजाई आसमान

 खाएं रोटी-दाल

 हम हैं किसान।

 नए कानून से थोड़ा 

 हम-सब हैं हलकान

 पूंजीपति से मुक्त करो

 हम मेहनतकश इंसान। 

 काहे को झगड़ा-रगड़ा

 ओ हमारे हुक्मरान

 मान लो हमर बतिया

 दे दो ना जीवनदान।

 नंगे ही आए धरा पर

 नंगे ही श्मशान/कब्रिस्तान

 जीने को सिर्फ़ चाहिए

 रोटी,कपड़ा और मकान।

 इस देश का नारा है

 जय जवान, जय किसान

 गूंजता रहेगा ये सदा

 जब तक है हिंदुस्तान।

 पंछी के कलरव से पहले

 कृषकों का होता विहान

 जब तक थमी रहेगी सांस

 होगा नहीं अवसान।

Chitralekha Yadav Madhepura अर्थात डाॅoचित्रलेखा ने फेसबुक के "विश्व हिंदी संस्थान" नामक ग्रुप में  पोस्ट किया। हम इसे यहां 7 दिसंबर 2020 की रात्रि 08:09 बजे पोस्ट किया साभार प्रकाशित कर रहे हैं। 

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