Monday, February 10, 2020

हर इकन्नी खर्च कर बैठे//रेक्टर कथूरिया

पड़ी मुश्किल तो देखा हर चवन्नी खर्च कर बैठे!
जमा पूंजी बहुत थी पर सभी हम खर्च कर बैठे!
लड़कपन भी, जवानी भी, बुढापा खर्च कर बैठे!

कमाया था बहुत सम्भाल न पाए मगर हम सब,
पड़ी मुश्किल तो देखा हर चवन्नी खर्च कर बैठे!

मोहब्बत ने कहा था मान लो मेरा कहा अब तो,
कहा माना मगर दिल और दुनिया खर्च कर बैठे!

बड़े सपने सजाए थे, बड़े तिकड़म लड़ाए था,
खुली जब नींद तो देखा वो सब कुछ खर्च कर बैठे!

मोहब्बत की हकीकत उलझनों के भंवर सी निकली,
फंसे इस भंवर में तो हर इकन्नी खर्च कर बैठे।

सफर इस जन्म का दुशवार था, दुशवार ही निकला;
हकीकत तब खुली जब हर हकीकत खर्च कर बैठे।

मोहब्बत में बहुत अब फर्क जीने और मरने का;
कि जीना था जिसे तक के, उसी को खर्च कर बैठे!
                                              --रेक्टर कथूरिया
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