Friday, July 22, 2022

कविता कथा कारवां की ओर से 'सावन कवि दरबार' का आयोजन

18th July 2022 at 09:14 PM

 जानेमाने शायर सरदार पंछी मुख्य अतिथि के रूप में पधारे 


लुधियाना: 18 जुलाई 2022: (कार्तिका सिंह//हिंदी स्क्रीन):: 

शायरी तभी सम्भव होती है जब इन्दगी दर्द भी देती है, संवेदना भी देती है, दर्द भी देती है। इस जहां अनुभूति के बाद कोई कोई ही होता है जो इस सरे अनुभव की अभिव्यक्ति कर सकता है। जैसे जैसे यह अनुभूतियां गहरी होती आती है वैसे वैसे अभिव्यक्ति का रंग भी गहराता जाता है। लोग कहने लगते हैं आपकी कविता बहुत सुंदर हो गई है। बस ऐसे अनुभवों का अहसास करते करते ही जसप्रीत कौर फलक ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी साहिब  की कविता पर पीएचडी कर ली। यानि जीवन में भी कविता, शोध में भी कविता और इन्दगी के आयोजनों में भी कविता। कुल मिला कर जसप्रीत कौर फलक का पूरा जीवन ही कवितामय बन गया है। इसकी चमक अब तो चेहरे पर भी स्पष्ट नज़र आने लगी है। 

कविता कथा कारवाँ (रजि.) की ओर से 'सावन कवि दरबार' का आयोजन माया नगर में किया गया।  वरिष्ठतम शायर सरदार पंछी  इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे। इस अवसर पर संस्था की अध्यक्षा डॉ जसप्रीत कौर फ़लक ने आमंत्रित कवियों एवं उपस्थित गणमान्य काव्य प्रेमियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रसिद्ध भजन गायिका सरोज वर्मा के सुमधुर स्वर में सरस्वती वंदना गायन से हुआ। 

इसके बाद कविगणों एवं शायरों ने सावन ऋतु को केंद्र में रखकर अपनी-अपनी बेहतरीन कविताएं और ग़ज़लें प्रस्तुत कीं। रचनाकारों ने अपनी खूबसूरत ग़ज़लों, गीतों और कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। साहित्य के साथ साथ संगीत का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा था। 

कवि दरबार में  डॉ जसप्रीत कौर फ़लक, डॉ जगतार धीमान, दानिश भारती, डॉ राजेंद्र साहिल, अमृतपाल गोगिया, हरदीप बिरदी, रश्मि अस्थाना, गुरचरण नारंग, नवप्रीत हैरी और डॉ रविंदर सिंह चंदी ने अपनी उच्च स्तरीय रचनात्मक प्रतिभा का परिचय दिया। मशहूर शायर दानिश भारती ने प्रभावशाली ढंग से मंच का संचालन किया। 

अंत में सुश्री रश्मि अस्थाना, सचिव, कविता कथा कारवाँ (पंजीकृत) ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम का सबसे बड़ा आकर्षण रहे मालपुए और खीर। सभी साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों ने स्वादिष्ट मालपुए-खीर का आनंद लिया और श्रावण मास का शगुन भी पूरा किया।


चलते चलते कुछ पंक्तियां 

कोई किस्से नहीं होते कोई बातें नहीं होतीं

महकते दिन नहीं होते मधुर रातें नहीं होतीं

कहीं पर दूर रहकर भी कोई दूरी नही होती

कहीं पर पास रहकर भी मुलाकातें नहीं होतीं

-डॉ कविता'किरण"

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